भारत के फलों का अपना ही स्वाद है, यहाँ की मिट्टी में उपजें फलों का खट्टा मीठा स्वाद हर किसी को मोह लेता है. भारत में कई ऐसे फल है जो अपनी उच्च गुणवत्ता और खास गुण के कारण काफी मशहूर है. ऐसे फलों को भारत सरकार द्वारा जीआई टैग (GI Tag) भी दिया गया है. अब नीति आयोग भारत के ऐसे ही मशहूर फलों को निर्यात करने की योजना पर काम कर रहा है. जल्द ही विदेशी भारत के इन फलों का स्वाद चख सकेंगे.
क्या होता है जीआई टैग (GI Tag)
सबसे पहले आपकों बतातें है आखिर ये जीआई टैग होता क्या है. फलों का जीआई टैग (GI Tag) एक प्रकार का ज्ञात प्रमाण होता है जो विशेष क्षेत्र से उत्पादित फलों को या उनके विशेष प्रकारों को या विशेषताओं को दर्शाता है। इसे भारत सरकार द्वारा दिए जाने वाले एक सर्टिफिकेट की तरह बताया जाता है जो कि उत्पादक के उत्पाद की गुणवत्ता और उसकी मान्यता को दर्शाता है। जीआई टैग (GI Tag) की प्राप्ति से, उत्पादकों को अपने उत्पाद को सामान्य उत्पादों से अलग रखने का एक अवसर मिलता है जोकि उन्हें बेहतर बिक्री के लिए अनुकूल बनाता है। इसके अलावा, GI Tag के माध्यम से, विश्व भर में उत्पाद की जानकारी और उसकी मान्यता बढ़ती है।
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बिहार की मशहूर लीची को मिलेगी खास पहचान
विभागीय सूत्रों की मानें तो नीति आयोग ने हाल ही में बिहार की मशहूर लीची को विदेशों में बेहतर पहचान दिलाने के लिए निर्यात करने का फैसला लिया है. नीति आयोग ने बिहार की लीची के निर्यात को को बढ़ावा देने के लिए एक योजना बनाई है। यह योजना बिहार की लीची की मांग को विश्व स्तर पर बढ़ाने के साथ-साथ राज्य के किसानों को बड़ा बाज़ार उपलब्ध करवा सकती है. साथ ही किसान को अधिक मुनाफे के लिए अवसर भी प्रदान करेगी।
बिहार में होगा लीची उद्योग को विकसित
विभागीय सूत्रों की माने तो इस योजना के अंतर्गत, नीति आयोग बिहार सरकार के साथ मिलकर काम कर रहा है, और विदेशों में लीची के निर्यात को बढ़ाने के लिए नीतिगत प्रयास कर रहा है। इसके साथ ही, नीति आयोग ने बिहार के लिए एक नए लीची उद्योग को विकसित करने का भी प्रस्ताव रखा है। इस नए लीची उद्योग के अंतर्गत, बिहार में लीची की खेती, प्रसंस्करण और निर्यात को बढ़ावा दिया जाएगा। इससे न केवल नए रोजगार के अवसर प्रदान किए जाएंगे बल्कि स्थानीय किसानों की आय को दुगना किया जा सकेग.
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अनोखे स्वाद के बावजूद निर्यात में कमी
बिहार की लीची का स्वाद बेहद ही उम्दा है जिससे भारतीय बाजार में बिहार की लीची की बहुत अधिक मांग है, लेकिन इन सब के बावजूद बिहार की लीची का निर्यात अभी तक बहुत कम ही रहा है। इसके पीछे कुछ खास कारण माने जाते है. किसानों के समक्ष लीची उत्पादन के दौरान उचित तकनीक का न होना बड़ी गंभीर समस्या रहती है साथ ही फल में बीमारियों की समस्या भी एक मुख्य कारण है. इसके आलावा किसानों के पास निर्यात के लिए उपयुक्त भंडारण कमी भी है जिससे किसान अपनी फसल को सुरक्षति नहीं रख पातें है. इतना ही नही किसानो के समक्ष
परिवहन का अभाव भी एक अहम् कारण माना गया है.
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निर्यात में APEDA करेगा मदद
इन सभी को ध्यान में रखते हुए अब नीति आयोग इस प्रयास से, बिहार की लीची सहित देश के सभी जीआई टैग (GI Tag) फलों के निर्यात को बढ़ाने का में काम कर रहा है, जिसमे नीति आयोग ने कृषि और प्रसंस्कृत खाद्य उत्पाद निर्यात विकास प्राधिकरण (APEDA) से भी सहयोग लिया है. देश के खास फलों के निर्यात के लिए APEDA द्वारा एक खास शैड्यूल तैयार किया हिया जिसमे 133 उत्पादों को शामिल किया गया है, इनमें जिनमें नागपुर नारंगी (Nagpur Orange), बनारस ग्वाला (Banarasi Gwar), दसहरा आम (Dashehari Mango), मलिहाबाद बेल (Malihabad Dasheri Mango),चिरौंजी आम (Chausa Mango), बंगनपल्ली मंगो (Banginapalli Mango),तिरुचिरापल्ली कोयंबटूर नारंगी (Tiruchirapalli Coimbatore Orange), कासी स्वरूप (Kasi Viswanath Petha), जामुन बर्फी (Jamun Barfi), कालिंगड जम (Kalingad Jam) और बिहार की लीची इत्यादि शामिल है. नीति आयोग के इस कदम से देश के फल उगानें वालें किसानों को अधिक मुनाफे के अवसर मिल सकेंगे । साथ ही साथ इससे विदेशी खाद्य बाजार में भारतीय फलों की मांग भी बढ़ेगी और विदेशी ग्राहकों को भारत में उगाये गए खास फलों का स्वाद चखने का मौका मिलेगा।
भारत ने 2021-22 में विदेश में बेंचे 5,593 करोड़ रुपये के फल
आपकों बता दें भारत हर साल फलों के निर्यात में करोडो रूपये का निर्यात करता है. 2021-22 के दौरान, भारत ने ताजे फल और सब्जियों के निर्यात में 11,412.50 करोड़ रुपये (1,527.60 अमेरिकी डालर) का व्यापार किया था, जिसमें फलों के निर्यात में 5,593 करोड़ रुपये (750.7 अमेरिकी डालर) का व्यापर शामिल है ।
अब नीति आयोग के जीआई टैग (GI Tag) शामिल फलो के निर्यात की योजना से विदेशी व्यापर के बढ़ने और किसानों को लाभ मिलने की उम्मीदें जागने लगी है. इसके लिए नीति आयोग देश के सभी राज्य की सरकारों के साथ समन्यव स्थापित करने में भी लगा हुआ है. नीति योग का ये कदम कही न कही किसानों को आर्थिक रूप से मजबूत करने वाला साबित हो सकेगा साथ ही देश की आर्थिक मजबूती में भी सहयोग करेगा.
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