केरल में काजू उधोग कि स्थिति दयनीय है और जल्द ही कुछ नहीं किया गया तो इसकी हालत भी वैसी ही हो जाएगी जैसी गन्ना किसान और गन्ना उधोग के मामले में उत्तर प्रदेश कि है। केरल का काजू उधोग सरकार से विशेष पैकेज कि उम्मीद कर रहा है। फिल्हाल यह उधोग अधिक मजदूरी और श्रमिक संघो के मसलों कि वजह से कर्ज तले दबा हुआ है। राज्य के मुख्यमंत्री इस पैकेज कि घोसणा से पहले बैंको और श्रमिक संघो के प्रतिनिधियों से मुलाकात कर रहे है।
उधोग ने राज्य वेतन संरचना में बदलाव और इसके कार्य निष्पादन कि शर्ते जोड़ने कि सिफारिश कि है। कुछ बैंको ने उधोग को फिर से ऋण देना शुरु कर दिया है। इससे कुछ कारखानों को काम शुरु करने मे सहायता मिली है श्रमिको कि अनिशचित हड़ताल के कारण काम ठप हो गया था।
केरल स्थित काजू प्रसंस्करणकर्ता एंव निर्यातक संघ का कहना है कि हम श्रमिक संघो के नेताओ और बैंको के साथ लगातार बैठके कर रहे है। इन बैठको से कुछ सकारात्मक निष्कर्ष निकलने कि उम्मीद है जिससे कि उधोग पहले कि तरह उत्पादन शुरु कर सके।
राज्य मे 865 से अधिक कारखानों में से लगभग 90 फिसदी बंद हो चुके है और कुल 3 लाख श्रमिकों में से 2,50,000 बेरोजगार हो चुके है। ऊंचे वेतन और बढते एनपीए ने इन इकाइयो को प्रभावित किया है। एक दशक पहले तक यह इकाइयां देश के तकरीबन 85 फिसदी काजू का प्रसंसकरण किया करती थी।
राज्य सरकार का कहना कि हाल ही में उसने 170 से अधिक निजी कंपनियों को फिर से काम शुरु करनें में सहायता कि है। और सरकार निजी क्षेत्र के प्रसंस्करणकर्ताओं के बैंको और वित्तीय एंजेसियों के साथ उच्च स्तरीय बैठके आयोजित कर रही है।
विधानसभा को संबोधित करते हुए राज्य कि मत्सयपालन, बंदरगाह अभियंत्रिकी और काजू उधोग मंत्री जे मर्सीकुट्टी अम्मा ने कहा कि अब तक 176 निजी कारखानो के लिए पुनरुद्दार पैकेज प्रसतुत किया जा चुका है और बैंक ऋणो को पुनर्गठन करते हुए कारखानो को फिर से खोलने औऱ श्रमिको का रोजगार सुनिशचित करने का प्रयास किया जा रहा है।
सरकार सीधे अफ्रकी देशो से कच्चे काजू का आयात करने के लिए भी कदम उठा रही है और राज्य मे ईकाइयों के लिए पर्याप्त कच्चे काजू प्राप्त करने के विक्लप तलाशने के लिए एक बोर्ड़ का गठन भी किया है। भारतीय काजू निर्यात संवर्धन पारिषद (सीईपीसीआई) के चैयरमैन आर के मूदेश ने मीडींया को दिए अपने बयान में कहा कि अन्य राज्यों के मुकाबले केरल में काजू उत्पादन कि लागत काफी ज्यादा है। क्योंकि कुछ साल पहले राज्य द्वारा वेतन में बहुत अधिक बढोतरी कि गई थी।
जहां अन्य राज्यों में यह वेतन लगभग 1,000-1800 रुपए प्रति बोरी है। वहीं केरल में यह 3400 रुपए प्रति बोरी है। इसके अलावा अन्य राज्यो में उधोग नई तकनीक से परिपूर्ण एंव स्वाचालित प्रक्रिया द्वारा उत्पादक्ता में सुधार करने में सक्षम है। जिसके लिए केवल थोडे निवेश कि आवशयकता होती है।
भानु प्रताप
कृषि जागरण
Share your comments