किसान को कर्ज के बोझ से मुक्ति दिलाना हर सरकार के सामने बड़ी चुनौती है। इस बीच कई प्रकार के मुद्दे सामने आते हैं। क्या कर्जमाफी इस समस्या का संपूर्ण हल है या नहीं। देश में जब एक प्रदेश सरकार कर्जमाफी की बात करती है तो दूसरे राज्य में कर्जमाफी के स्वर तेज हो जाते है। ऐसे में सरकार के सामने तो वाकई चुनौती है।
कर्ज किसान आत्महत्याओं की वजह बनता जा रहा है। इस दौरान कर्ज चुकाने से लेकर फसल की लागत का डेढ़ गुना वापसी न मिलना दोनों ही गंभीर समस्याएं बनती जा रही हैं।
लेकिन इस समस्या का हल क्या है?
कृषि जागरण से बातचीत के दौरान किसान नेता वीएम सिंह ने कहा, " किसान को मानसिक दबाव और कर्जमाफी से दूर करने का संपूर्ण हल न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) मिलना है। उनके मुताबिक देश में आज उत्पादन अच्छी मात्रा में हो रहा है लेकिन परेशानी किसान को उसकी सही उपज का सही मूल्य मिलने में है।" न्यूनतम समर्थन मूल्य का डेढ़ गुना किसान को मिले। स्वामीनाथन रिपोर्ट ने 2007 में इसकी सिफारिश की थी। इस बीच 10 साल का बकाया भी किसान को मिलना चाहिए। सिंह ने बताया कि दो बिल पर कार्य किया जा रहा है जिसके अंतर्गत सरकार के सामने एक योजना के मुताबिक दो बातें रखी जाएंगी कि हर किसान को कर्जमुक्ति दें और लागत का डेढ़ गुना वापसी मिलें।
हर फसल का डेढ़ गुना एमएसपी मिलें। यदि कोई मध्यस्थ इस बीच एमएसपी से नीचे की खरीद की बात करें तो उसे सजा मिलनी चाहिए।
वीएम सिंह ने कहा कि वास्तव में एक किसान को यह बताने में खुशी होगी और गर्व की बात होगी कि उसका बेटा किसान है जब उसे बाजार में उपज का सही दाम मिलेगा और उसकी मेहनत का सही आंकलन किया जाएगा परिणामस्वरूप किसान कर्ज के बोझ से उबर पाएगा। खेती को तब आप प्रतिस्पर्धात्मक देख सकते हैं। जब किसान को लागत का डेढ़ गुना वापस मिलेगा तब आप किसान की खुशहाली की बात कर सकते हैं।
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