नीति आयोग द्वारा 19 दिसंबर को कहा गया है कि किसानों की क़र्ज़ माफ़ी से एक तबके को ही फायदा प्राप्त होगा और यह कोई हल नहीं है. कृषि संबंधित समस्याओं के समाधान के लिए उन्हें और भी कदम उठाने पड़ेंगे. कृषि कर्ज को माफ़ करने की बात पर नीति आयोग ने यह कहा कि राहुल गांधी सरकार पर किसानों का कर्ज माफ करने के लिये काफी दबाव दे रहे हैं. जब तक कर्जमाफ नहीं होगा वह प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को आराम से बैठने नहीं देंगे. देश के लिये रणनीति दस्तावेज जारी करने पर नीति आयोग के उपाध्यक्ष राजीव कुमार ने बताया कि, कृषि क्षेत्र में संकट के लिए कृषि ऋण माफी कोई समाधान नहीं है बल्कि इससे केवल कुछ ही समय के लिए किसानों को राहत मिलेगी.
नीति आयोग के सदस्यों ने अपनी सहमति जताते हुए कहा कि कर्ज माफी की सबसे बड़ी समस्या यह है कि इससे किसानों के केवल एक हिस्से को ही लाभ पहुंचेगा. जो गरीब राज्य हैं, वहां केवल 10 से 15 प्रतिशत किसानों को ही कर्ज माफी का लाभ मिलेगा. क्योंकि छोटे राज्यों में किसानों की बैंकों और वित्तीय संस्थानों से क़र्ज़ लेने की संख्या बहुत कम है.
आयोग के सदस्यों ने कहा कि किसानों के कर्ज लेने के मामले में संस्थागत पहुंच को लेकर जब राज्यों में इस तरह का अंतर हो, तब ऐसे में बहुत सारा पैसा कृषि कर्ज माफी पर खर्च करने का कोई अर्थ नहीं बनता और कैग की रिपोर्ट में कहा गया है कि कृषि कर्ज माफी से कोई सहायता नहीं मिलती. कृषि क्षेत्र में किसानों की समस्या का हल कर्ज माफी नहीं है.
मनीशा शर्मा, कृषि जागरण
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