केंद्रीय कृषि एवं किसान कल्याण मंत्रालय द्वारा कर्नाटक सरकार के समन्वय से बेंगलुरू में आयोजित, राज्यों के कृषि एवं बागवानी मंत्रियों का दो दिवसीय राष्ट्रीय सम्मेलन आज सफलतापूर्वक संपन्न हुआ. सम्मेलन के दौरान विभिन्न सत्रों में व्यापक विचार-विमर्श के आधार पर, राज्यों ने प्राकृतिक खेती, डिजिटल कृषि, फसल बीमा, कृषक उत्पादक संगठन (एफपीओ) को बढ़ावा देने, कृषि अवसंरचना कोष (एग्री इंफ्रास्ट्रक्टर फंड) जैसे क्षेत्रों में अपना योगदान बढ़ाने पर सहमति व्यक्त की ताकि केंद्र सरकार के सतत कृषि विकास के प्रयासों को पूरा किया जा सके, जो प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी द्वारा बताए गए "आत्मनिर्भर भारत" के लक्ष्य को प्राप्त करने के दिशा में ठोस कदम होगा.
नवाचार तकनीक से होगी प्रगति
इस अवसर पर आज मीडिया से चर्चा में केंद्रीय कृषि एवं किसान कल्याण मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर ने कहा कि कृषि क्षेत्र में जबरदस्त संभावनाएं हैं. इस क्षेत्र में उभरती चुनौतियों का समाधान करने और छोटे किसानों के कल्याण की दिशा में काम करने के लिए नवाचारों व तकनीकी प्रगति पर ध्यान केंद्रित करने की आवश्यकता है.
उन्होंने कहा कि अन्य क्षेत्रों की तुलना में कृषि क्षेत्र ने कोविड महामारी के दौरान भी सकारात्मक प्रदर्शन किया और इस दौरान केंद्र सरकार के विशिष्ट हस्तक्षेपों के कारण कृषि कार्यों में निर्बाध छूट दी गई, जिससे कृषि कार्य अच्छे से हुए, वहीं किसान रेल चलाने जैसे उपक्रमों से कृषि क्षेत्र व किसानों को काफी लाभ हुआ.
किसानों को बढ़ावा देंगी ये पहल
तोमर ने इस बात पर जोर दिया कि हमें अपना ध्यान राज्य सरकारों के समन्वय से भारत सरकार की नीतियों व कार्यक्रमों के बेहतर क्रियान्वयन की ओर केंद्रित करने की आवश्यकता है. इसमें डिजिटल कृषि मिशन का प्रभावी कार्यान्वयन, एफपीओ को बढ़ावा देना, ई-नाम के माध्यम से कृषि उपज के बेहतर व्यापार तंत्र का विकास, पीएम किसान सम्मान निधि व कृषि अवसंरचना कोष का सर्वोत्तम उपयोग करके ग्रामीण क्षेत्रों में बुनियादी ढांचे का विकास शामिल है.
उन्होंने कहा कि राज्यों को किसानों की आय बढ़ाने के लिए उच्च मूल्य वाली फसलों की मांग को ध्यान में रखते हुए फसल विविधीकरण की ओर ध्यान केंद्रित करने की जरूरत है. इस अवसर पर केंद्रीय कृषि एवं किसान कल्याण राज्य मंत्री शोभा करंदलाजे व कर्नाटक के कृषि मंत्री श्री बी.सी. पाटिल मौजूद थे.
दो दिनी सम्मेलन के दौरान, राज्यों के साथ देश में कृषि के समग्र विकास के लिए महत्वपूर्ण विषयों पर मंथन हुआ. राज्यों के कृषि और बागवानी मंत्रियों तथा वरिष्ठ कृषि अधिकारियों के साथ हुए विचार-विमर्श से केंद्र सरकार को कृषक समुदाय के हित में सभी योजनाओं के प्रभावी कार्यान्वयन के लिए एक रोडमैप व सुचारू कार्ययोजना विकसित करने में सुविधा होगी.
सम्मेलन में, अगले वर्ष-2023 में मनाए जाने वाले अंतरराष्ट्रीय पोषक-अनाज वर्ष के संबंध में भी चर्चा की गई. पोषक-अनाजों के महत्व को ध्यान में रखते हुए राज्यों ने इनका उत्पादन व क्षेत्र बढ़ाने पर सहमति जताई, साथ ही पोषक-अनाज के प्रसंस्करण, मूल्यवर्धन और विपणन को भी हरसंभव कदम उठाकर केंद्र सरकार के साथ मिलकर बढ़ावा दिया जाएगा.
Share your comments