राष्ट्रीय समेकित नाशीजीव प्रबंधन अनुसंधान केंद्र (एनसीआईपीएम) के डायरेक्टर डॉ. डीबी आहूजा ने कहा कि जींद जिले के निडाना गांव से शुरू हुई कीट ज्ञान की पद्धति को पूरे देश में लागू करवाने की जरूरत है। ताकि फसलों में कीटनाशकों के प्रयोग को बंद कर खाने की थाली को जहरमुक्त किया जा सके। कीट ज्ञान की पद्धति को अपनाकर ही किसान कम लागत में अधिक पैदावार लेकर आर्थिक रूप से सुदृढ़ बन सकते हैं। कीट ज्ञान की इस पद्धति को पूरे देश में लागू करवाने के लिए एनसीआईपीएम की टीम प्रयासरत है और जल्द ही अपनी रिसर्च टीम के साथ विचार-विमर्श कर सरकार को इसके लिए सिफारिश भेजेंगे।
शुक्रवार को डॉ. आहूजा अपनी टीम के साथ निडाना गांव में कीटाचार्य किसानों से कीट ज्ञान की पद्धति की जानकारी लेने पहुंचे थे। इस टीम में प्रधान कृषि वैज्ञानिक डॉ. अजनता, डॉ. अनूप कुमार तथा पंजाब कृषि विश्वविद्यालय से वरिष्ठ कृषि वैज्ञानिक डॉ. विजय कुमार, डॉ. शेरा के अलावा एशियन एग्री हिस्ट्री फाउंडेशन उदयपुर के डायरेक्टर डॉ. एसएल चौधरी, बराह तपा प्रधान कुलदीप ढांडा, प्रगतिशील किसान क्लब के प्रधान राजबीर कटारिया भी मौजूद रहे।
डॉ. आहुजा ने कहा कि एनसीआईपीएम की टीम पिछले तीन वर्षों से निडाना के किसानों की कीट ज्ञान की पद्धति पर रिसर्च कर रही है और इस रिसर्च के काफी सकारात्मक परिणाम सामने आए हैं। इस पद्धति से किसान कम लागत में डेढ़ गुणा तक अधिक उत्पादन ले सकते हैं। पंजाब कृषि विश्वविद्यालय से आए वरिष्ठ कृषि वैज्ञानिक डॉ. विजय कुमार ने बताया कि पंजाब में किसान कीटनाशकों का अंधाधुंध प्रयोग फसलों में करते हैं और इससे वहां के लोग गंभीर बीमारियों की चपेट में रहे हैं। इसके लिए यहां के कीटाचार्य किसानों के साथ मिलकर पंजाब में विशेष किसान खेत पाठशालाएं शुरू करवाई जाएंगी।
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