गिरिडीह की महिलाओं ने लगन व वात्सल्य की अनूठी मिसाल कायम की है। इन्होंने अपने परिवार को समृद्ध बनाने के साथ-साथ क्षेत्र के स्कूली बच्चों को स्वस्थ जीवन की सौगात भी दी है। प्रखंड की कई पंचायतों की महिलाएं मशरूम उत्पादन में जुटी हैं।
मशरूम को बाजार में बेचने के अलावा एक हिस्सा 28 सरकारी स्कूलों को रियायती दर पर भेजा जाता है, ताकि बच्चे मिड डे मील में अपनी सेहत को संवार सकें। रुर्बन मिशन के तहत मंगरोडीह, पांडेयडीह, सिरसिया और सिहोडीह पंचायत में गठित स्वयं सहायता समूहों की महिलाओं को स्वरोजगार से जोड़ने के लिए महिलाओं को मशरूम उत्पादन का प्रशिक्षण दिया गया है। एक दर्जन समूह की सौ से अधिक महिलाएं मशरूम उत्पादन कर रही हैं। खास बात यह है कि इन्हें मिशन की तरफ से ही बीज व अन्य सामग्री दी गई।
मशरूम ने संवारी जिंदगी :
एक महिला प्रतिमाह 100 पैकेट मशरूम तैयार करती है। नतीजा प्रति माह 7-8 हजार रुपये की आमदनी हो जाती है। मशरूम उत्पादन कर रहीं गीता देवी ने बताया कि इस काम से जुड़ने से वह आत्मनिर्भर बनी हैं। पहले छोटी-छोटी जरूरतों के लिए परिवार पर निर्भर थीं। अब वह सब्जी सहित घर की अन्य कई जरूरतों को पूरा करने में सक्षम हैं। सिरसिया पंचायत की माधुरी कहतीं है कि इस काम में विशेष लागत नहीं है, पर दाम अच्छे मिलते हैं।
गिरिडीह बना मिसाल :
गिरिडीह ही झारखंड का एक ऐसा जिला है, जहां के 28 स्कूलों के मिड डे मील में मशरूम शामिल है। रुर्बन मिशन के प्रदीप कुमार ने बताया कि गिरिडीह में अनूठा प्रयास महिलाओं ने किया है।
साभार
-दैनिक जागरण
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