Mount Everest 360 Degree Video Viral: माउंड एवरेस्ट धरती का सबसे ऊंचा पहाड़ है. इन दिनों सोशल मीडिया पर माउंड एवरेस्ट का एक वीडियो जमकर वायरल हो रहा है, जिसमें विश्व के सबसे ऊंचे पहाड़ के टॉप से 360 डिग्री का दर्श्य दिखाया गया है. इसमें सबसे ऊंची माउंट एवरेस्ट की चोटी पर पर्वतारोही नजर आ रहे हैं जो इस वीडियो को बना रहे हैं.
माउंट एवरेस्ट हर वक्त अपने किसी न किसी घटना को लेकर चर्चा में बना रहता है. चलिए जानते हैं इसके कुछ खास फैक्ट्स...
माउंट एवरेस्ट पर अबतक 4 हजार से अधिक लोग 9 हजार से अधिक बार जा चुके हैं. भंयकर सर्दी और कम ऑक्सीजन की वजह से माउंट एवरेस्ट विश्व के सबसे खतरनाक पहाड़ों में से एक है, इसे चोमोलंगमा या कोमोलांगमा या सागरमाथा भी बुलाया जाता है.
A 360° camera view from the top of Mt Everest
— Massimo (@Rainmaker1973) December 20, 2022
[source: https://t.co/nuJRVUUSSt]pic.twitter.com/CtrHYQjXua
क्यों माउंट एवरेस्ट को कहा जाता है चोमोलांगमा या कोमोलांगमा
माउंट एवरेस्ट नेपाल और चीन की सीमा पर स्थित है. इसे तिब्बती भाषा में चोमोलांगमा या कोमोलांगमा कहा जाता है, जिसका मतलब होता है पृथ्वी की मां. वहीं नेपाली भाषा में इसे सागरमाथा कहते है, यानी आसमान का भगवान. जबकि इसे पश्चिमी देशों में जॉर्ज एवरेस्ट के नाम से भी जाना जाता है. क्योंकि उन्होंने 19वीं सदी में हिमालय का सर्वे किया था.
माउंट एवरेस्ट दूनिया का सबसे उंचा पहाड़ नहीं
एक दिलचस्प बात ये है कि माउंट एवरेस्ट दुनिया का सबसे ऊंचा पहाड़ नहीं है. बल्कि ये समुद्र की सतह से सबसे ऊंचा पहाड़ है. लेकिन हवाई का माउना किया पहाड़ (Mauna Kea) सबसे ऊंचा पहाड़ है. हवाई का माउना किया पहाड़ का बेस से टॉप 10,210 मीटर ऊंचा है. लेकिन समुद्री सतह से ऊपर उसकी ऊंचाई सिर्फ 4205 मीटर है.
माउंट एवरेस्ट के केंद्र की दूरी पृथ्वी से अधिक दूर नहीं है, जबकि दक्षिण अमेरिका के इक्वाडोर का माउंट चिमबोराजो (Mount Chimborazo) धरती से दूर है. जिसकी दूरी 6310 मीटर है.
हर सदी 40 सेंटीमीटर ऊपर चला जाता है माउंट एवरेस्ट
माउंट एवरेस्ट हर सदी में 40 सेंटीमीटर ऊपर चला जाता है. हिमालय का निर्माण यूरेशियन प्लेट पर इंडियन प्लेट से लगने वाले धक्के की वजह से हुआ था. माउंट एवरेस्ट हर साल 4 मिलिमीटर और सदी में कुल मिलाकर 40 सेंटीमीटर ऊपर उठता है. यानी की माउंट एवरेस्ट 100 साल में 16 इंच मीटर ऊंचा उठता है.
नोएल ओडेल ने पहली बार माउंट एवरेस्ट पर 1924 में समुद्री जीवाश्म की खोज की थी, जिससे यह पता चल सका की यह विशालकाय पहाड़ लगभग 6 करोड़ साल पुराना है और इसके टॉप पर मिले लाइमस्टोन और सैंडस्टोन करीब 45 करोड़ साल पहले समुद्र के भीतर थे.
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