आगामी लोकसभा चुनाव के मद्देनजर केंद्र व राज्य सरकारें एक के बाद एक नई-नई योजनाएं ला रही हैं. एक तरह से 2019 लोकसभा चुनाव के मद्देनजर वादों और घोषणाओं की बरसात सी हो गई है. इसी कड़ी में केंद्र सरकार अब किसानों को मिलने वाली सब्सिडी को कैश के रूप में ट्रांसफर करने के प्रस्ताव पर विचार कर रही है. इसका बहुत जल्द ही केंद्र सरकार की ओर से ऐलान किया जा सकता है. बता दें कि अभी तक किसानों को उर्वरक, बीज, खाद, यूरिया पर मिलने वाली सब्सिडी दाम में छूट के तहत मिलती है, लेकिन अब सभी किसान इसका आसानी से फायदा उठा इसके लिए इस सब्सिडी को कैश के रूप में देने का प्रावधान किया जाएगा. ब्लूमबर्ग की एक रिपोर्ट के मुताबिक, ये प्रस्ताव लागू होने पर हर साल केंद्र सरकार 70 हजार करोड़ रुपये किसानों पर खर्च करेगी.
गौरतलब है कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में कैबिनेट किसानों को मिलने वाली सभी तरह की सब्सिडी को मिलाकर एक करने जा रही है. इसमें उर्वरक की कीमत भी शामिल है. चालू वित्त वर्ष में वित्त मंत्री अरुण जेटली ने किसानों की कैश सब्सिडी के लिए बजट में 71, 000 करोड़ दिए जाने का प्रावधान किया था.हालांकि, इस स्कीम को लागू करने में कई दिक्कतें भी हैं. दरअसल, मोदी सरकार पहले ही राजकोषीय घाटे के बजटीय लक्ष्य को पार कर चुके हैं. ऐसे में चालू वित्त वर्ष में सरकार के पास अतिरिक्त खर्च की बोझ उठाने की कोई गुंजाइश नहीं है.
बता दें कि चालू वित्त वर्ष में राजकोषीय घाटा बजट के मुकाबले करीब 115 फीसद के स्तर को पार कर चुका है. अप्रैल से नवंबर माह के बीच राजकोषीय घाटा 7.17 लाख करोड़ रुपये रहा है, जो पिछली तिमाही से कई गुना ज्यादा है. वित्त वर्ष 2018-19 के शुरुआती 8 महीनों में सरकार ने टैक्स के रूप में कुल 7.72 लाख करोड़ रुपये ही कमाया है. इन्हीं आंकड़ों के आधार पर माना जा रहा है कि अंतरिम बजट में सरकार के लिए राजकोषीय घाटे को पूरा करना मुश्किल होगा.
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