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राम मंदिर पर मोदी सरकार की बड़ी पहल, कोर्ट से मांगी अपनी जमीन

मोदी सरकार ने सुप्रीम कोर्ट से अर्जी लगाई है कि अयोध्या में राम मंदिर परिसर की 67 एकड़ जमीन सरकार को दी जानी चाहिए क्योंकि यह जमीन सरकार के अधिकार में आती है. सरकार ने दलील दी है कि मंदिर क्षेत्र की कुल जमीन में से केवल 2.77 एकड़ जमीन पर ही विवाद है इसलिए विवादित जमीन को छोड़कर शेष हिस्सा राम जन्मभूमि न्यास (ट्रस्ट) को दे दी जाए.

प्रभाकर मिश्र

मोदी सरकार ने सुप्रीम कोर्ट से अर्जी लगाई है कि अयोध्या में राम मंदिर परिसर की 67 एकड़ जमीन सरकार को दी जानी चाहिए क्योंकि यह जमीन सरकार के अधिकार में आती है. सरकार ने दलील दी है कि मंदिर क्षेत्र की कुल जमीन में से केवल 2.77 एकड़ जमीन पर ही विवाद है इसलिए विवादित जमीन को छोड़कर शेष हिस्सा राम जन्मभूमि न्यास (ट्रस्ट) को दे दी जाए.  

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केंद्र सरकार ने अपनी इस याचिका में कहा कि अयोध्या की 67 एकड़ जमीन का सरकार ने अधिग्रहण किया था जिसे सुप्रीम कोर्ट ने यथास्थिति बरकारार रखने का आदेश दिया है. इस पर केंद्र सरकार ने कहा है कि केवल 2.77 एकड़ जमीन पर ही विवाद है. जबकि शेष बची जमीन पर कोई विवाद ही नहीं है इसलिए उसे यथास्थिति बरकरार रखने कोई जरूरत नहीं है.

बता दें कि 6 दिसंबर, 1992 में अयोध्या में बाबरी मस्जिद विध्वंस के बाद तत्कालीन नरसिम्हा राव सरकार ने 1993 में अध्यादेश लाकर विवादित स्थल और आस-पास की जमीन का अधिग्रहण किया था. इसमें 40 एकड़ जमीन राम जन्मभूमि न्यास की है. शेष 19 एकड़ जमीन सरकार की है क्योंकि जमीन के अधिकाधिक मालिकों को मुआवजा सरकार द्वारा दे दिया गया है. केंद्र सरकार ने सुप्रीम कोर्ट की याचिका में कहा कि हम चाहते हैं कि यह जमीन उन्हें (राम जन्मभूमि न्यास को) वापस कर दी जाए ताकि विवादित भूमि तक पहुंचने का रास्ता वगैरह बनाया जा सके. केंद्र

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वहीं दूसरी तरफ़ इस मामले के पक्षकार इकबाल अंसारी ने बताया कि उन्हें केंद्र सरकार की इस याचिका से कोई आपत्ति नहीं है. सरकार बाबरी मस्जिद के अलावा जमीन का दूसरा हिस्सा लेने को स्वतंत्र है. रामलला पुजारी आचार्य सत्येंद्र दास कहा ने कहा कि विवाद केवल 2.77 एकड़ जमीन पर है. राम मंदिर निर्माण के लिए इसी जमीन का निस्तारण जरुरी है.

गौरतलब है कि जब बाबरी मस्जिद का विध्वंस हुआ था तो विवादित ढ़ांचे के पास की 67 एकड़ जमीन सरकार द्वारा अधिग्रहण कर ली गई थी. उसके बाद कोर्ट ने इस जमीन को यथास्थिति बनाए रखने का फैसला लिया था. इस जमीन के अधिग्रहण का मुख्य मकसद था कि बाद में विवादित जमीन जिस पार्टी को मिलेगी उसे यह जमीन दे दी जाएगी. सरकार चाहती है कि विवादमुक्त 67 एकड़ जमीन पर यथास्थिति बनाए रखने का फैसला वापस ले लिया जाए. केंद्र सरकार ने तर्क दिया है कि विवादित जमीन फैसला आने में देर हो रही है इसलिए मंदिर ट्रस्ट को उनकी जमीन वापस दी जा सकती है ताकि वे मंदिर निर्माण कर सकें.

English Summary: Modi government's big initiative on Ram temple, sought by the court for its land Published on: 29 January 2019, 02:32 PM IST

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