भारत सरकार (Indian Government) द्वारा 14 मई 2020 को एक अधिसूचना जारी की गई, जिसमें खेती में उपयोग होने वाले 27 कीटनाशक पर प्रतिबंधित लगाने का फैसला लिया गया है. इसके साथ ही सरकार की तरफ से लगभग 45 दिन का समय दिया गया, जिसमें लोगों को चर्चा करने और अपनी राय कऱने का मौका दिया गया. मीडिया रिपोर्ट्स की मानें, तो कीटनाशक उद्योग अपनी पूरी ताकत से इस अधिसूचना का विरोध कर रहा है. बताया जा रहा है कि रसायन और उर्वरक मंत्रालय ने भी कृषि एवं किसान कल्याण मंत्रालय को पत्र लिख कर इस फैसले का विरोध किया है.
उद्योग जगत के मुताबिक...
भारत सरकार द्वारा यह फैसला काफी जल्दबाजी में लिया गया है. मगर देखा जाए, तो इस अधिसूचना की नींव UPA-2 सरकार के कार्यकाल के आखिरी समय में 8 जुलाई 2013 को रखी गई गई थी. इस दौरान एक विशेषज्ञ समिति का गठन किया किया गया, जिसमें "नियोनिकोटिनॉयड्स" के उपयोग पर खास रिपोर्ट तैयार करने को कहा गया था. इस समिति की तरफ से 9 दिसंबर 2015 को एक रिपोर्ट पेश की गई, जिसको पीएम मोदी ने 14 अक्टूबर 2016 को स्वीकृति दे दी थी. इसी समिति की सिफारिशों के आधार पर 18 कीटनाशकों के उपयोग पर प्रतिबंध लगा दिया गया. ऐसे में सरकार के इस कदम को पिछले फैसले का ही अगला एक चरण मानना चाहिए. इसके तहत 27 और कीटनाशकों को प्रतिबंधित करने का प्रस्ताव रखा गया है. बाकी शेष 21 में से 6 कीटनाशक समीक्षा के दायरे में रखे गए हैं, जबकि 15 कीटनाशक के उपयोग करना सुरक्षित माना गया है.
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अगर प्रतिबंध के लिए प्रस्तावित कीटनाशक की बता की जाए, तो इसमें 4 कार्बोसल्फान, डिकोफोल, मेथोमाइल और मोनोक्रोटोफॉस हैं, जो कि काफी जहरीले होने की वजह से रेड कैटेगरी में शामिल हैं. इनमें मोनोक्रोटोफॉस वही दवा है, जिसका छिड़काव करते समय साल 2017 में महाराष्ट्र में कई किसानों की मौत हो गई थी, तो वहीं सैकड़ों किसान बीमार हो गए थे. फूड एंड एग्रीकल्चर ऑर्गेनाइजेशन (FAO) और विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) काफी समय से इस खतरनाक दवा प्रतिबंद लगाने की सिफारिश कर रहा था, लेकिन फिर भी भारत में इसका उत्पादन हो रहा है.
कृषि मंत्रालय का आंकड़ों की मानें, तो किसानों को जैविक खादों का उपयोग करना चाहिए. इससे चावल, मक्का, कॉटन, मिर्च, मूंगफली और सब्जी किसानों की आमदनी में प्रति एकड़ की दर से बढ़ पाएगी. ऐसे में माना जा रहा है कि भारत सरकार का 27 कीटनाशकों पर प्रतिबंधित लगाने का फैसला उपभोक्ताओं के स्वास्थ्य को देखकर लिया गया है. इसके साथ ही किसानों की आमदनी भी बढ़ पाएगी.
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