केंद्र सरकार के कार्यकाल पूरा होने में दो साल और बचे हैं। इसके मद्देनजर सरकार हर वो काम पूरा करने में जुट गई है, जो जमीन पर दिखाई देने लगे। इसी योजना के तहत किसानों की आय दोगुना करने के लिए केंद्र ने राज्यों पर दबाव बनाना शुरू कर दिया है। कृषि क्षेत्र की उन सभी योजनाओं पर तत्काल प्रभाव से अमल करने के निर्देश जारी किए गए हैं, जिससे खेती लहलहा उठे और किसान खिल उठें।
इसी लक्ष्य को पूरा करने के लिए केंद्रीय कृषि मंत्रलय ने सभी राज्यों को पिछले तीन सालों के दौरान किए गए उपायों के क्रियान्वयन पर जोर देने को कहा है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी इस लक्ष्य को प्राप्त करने के लिए खुद कृषि क्षेत्र की सभी योजनाओं की गहन समीक्षा कर रहे हैं। कमजोर कड़ी वाली जगहों को मजबूत बनाने की सख्त हिदायत भी दी गई है।
कृषि राज्यों के अधिकार क्षेत्र में है। इसमें केंद्र सहयोग कर उसे आगे बढ़ा सकता है। मौजूदा केंद्र की सरकार ने घाटे का सौदा कही जाने वाली खेती को लाभ में तब्दील करने के सारे उपाय किए हैं। इसके लिए राज्यों को सहयोगी बनाया जा रहा है। ज्यादातर राज्यों ने केंद्र की इस योजना में बढ़ चढ़कर हिस्सा भी लिया है। लेकिन कई जगहों पर अभी गति तेज नहीं हो पा रही है।
बेहतर मानसून का अनुमान, बीते फसल वर्ष में बंपर पैदावार, लेकिन दक्षिण भारत के कुछ राज्यों में सूखे जैसी स्थिति को देखते हुए वहां के किसानों के समक्ष चुनौतियां पेश आई हैं। कृषि क्षेत्र की इस मिली जुली स्थितियों से निपटने में केंद्र सरकार ने राज्यों की आगे बढ़कर मदद की है। इस आशय का एक विस्तृत पत्र केंद्रीय कृषि मंत्री राधा मोहन सिंह ने सभी राज्यों के मुख्यमंत्रियों को लिखा है।
मानसून निर्भर खेती के हिसाब से राज्यों को जिला कृषि आकस्मिक योजना बनाने के साथ प्रधानमंत्री कृषि सिंचाई योजना के तहत जिला सिंचाई योजनाओं की प्रगति की समीक्षा करने को कहा गया है। इसका मकसद सिंचाई के अभाव में खेती को होने वाले नुकसान से बचाना है। महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी योजना (मनरेगा) के तहत जल संचयन व भूगर्भ जल रिचार्ज की दिशा में कराए गए कार्यो की गहन समीक्षा के निर्देश दिए गए हैं।
कृषि मंत्री ने मुख्यमंत्रियों को लिखे पत्र में नहरों की सफाई, नलकूपों की मरम्मत और ट्रांसफार्मर की देखरेख के साथ पेयजल हैंडपंप व अन्य योजनाओं की प्रगति की समीक्षा करने पर जोर दिया गया है। आगामी सीजन में किसानों को जोखिम से बचाने के लिए प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना के बारे में जागरूकता पर काम किया जाए।
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