किसी ने सोचा भी नहीं होगा कि इस साल पड़े सूखे की स्थित में भी लोग बंजर जमीन में भी खेती कर सकते हैं। पर मध्य प्रदेश के कुछ किसानों ने इसे साकार कर खेती कर रहे हैं। उन्होंने शहर से निकलने वाले गंदे नाले के पानी का उपयोग किया। बड़ी बगराजन मंदिर के पास पड़ी 50 बीघा बंजर जमीन को उपजाऊ बना दिया। इन किसानों ने पानी का उपयोग करते हुए अनाज की फसल ले ली है और अब विभिन्न प्रकार की सब्जियां उगाकर लाखों रुपए कमा रहे हैं।
पूरे शहर के गंदे पानी को एक बड़े नाले के सहारे बायपास के महालक्ष्मी मंदिर से बड़ी बगराजन होते हुए सिंघाड़ी नदी में छोड़ा जाता है। इस गंदे पानी को महालक्ष्मी मंदिर से बगराजन तिराहा तक के 4 किसान करीब 50 बीघा जमीन को सिंचित करने के लिए इस्तेमाल कर रहे हैं। यह जमीन पहाड़ी के नीचे होने के कारण कई सालों तक बंजर पड़ी रही, पर शहर के 61 वर्षीय बसंत अनुरागी, गुविंदी कुशवाहा, दादे कुशवाहा और प्रीतक कुशवाहा ने जमीन मालिक से बटाई पर लेकर गर्मियों के समय में सब्जियां उगाना शुरू कर दिया है। यह चार किसान कई सालों से विभिन्न प्रकार की सब्जियां उगाते चले आ रहे हैं और लाखों रुपए कमा रहे हैं।
बिना खाद के उगती हैं सभी सब्जियां
कृषि विभाग के रवि श्रीवास्तव ने बताया कि नाले के पानी में सभी प्रकार के उर्वरक पाए जाते हैं। इसलिए फसल के लिए किसी भी प्रकार की खाद की जरूरत नहीं पड़ती है। नाले का पानी अपने आप में ही खाद है। इसलिए खाद डालने की जरूरत नहीं, यहां के किसान को। सब्जियों में रासायनिक खाद का इस्तेमाल न होने के कारण सब्जियां स्वादिष्ट हैं। इस पानी को जिस फसल में इस्तेमाल किया जाएगा, वह अधिक उपजेगी।
कई प्रकार की सब्जियां उगाते हैं
खेती करने वाले किसान बसंत अनुरागी ने बताया कि बारिश के समय इस जमीन के कुछ हिस्से पर पानी भर जाता है। इस कारण भराव क्षेत्र में खेती करना संभव नहीं रहता। इस कारण हम सभी किसान सर्दियों और गर्मियों में सब्जी की खेती करते हैं। यहां पर टमाटर, गोभी, बंद गोभी, धनियां, फूल गोभी, बैगन सहित आलू जैसी अनेक सब्जियों को उगाते हैं। कुछ जमीन पर हमेशा नाले का पानी भरा रहता है, उस जमीन पर गाय, बकरियों और भैसों के लिए चारा उगाते हैं।
सूखे का नहीं असर
यहां खेती करने वाले किसानों ने बताया कि यहां पर उगने वाली खेती में अधिकांश नाले के पानी का इस्तेमाल किया जाता है। इस कारण जिले में कम बारिश होने का इस खेती पर काेई असर नहीं पड़ा है। बल्कि बारिश कम होने से बारिश के मौसम में जो फसलें हम नहीं उगा पाते थे, वे भी इस साल हम लोगों ने उगाई हैं।
Share your comments