
उप मुख्यमंत्री सह कृषि मंत्री विजय कुमार सिन्हा ने कहा कि बिहार सरकार ने कृषि क्षेत्र में नवाचार और विविधीकरण को प्रोत्साहित करते हुए एक नई योजना ‘‘गेंदा फूल विकास योजना” की शुरुआत की है, जिसका उद्देश्य राज्य में गेंदा फूल की खेती/Marigold Flower Cultivation को बढ़ावा देना और किसानों की आय में वृद्धि सुनिश्चित करना है. इस योजना को किसानों के लिए “आर्थिक रूप से लाभकारी और दीर्घकालिक समाधान” बताया.
उप मुख्यमंत्री ने जानकारी दी कि वित्तीय वर्ष 2025-26 के लिए इस योजना के अंतर्गत 632.50 लाख की निकासी एवं व्यय की स्वीकृति दी गई है. इस राशि का उपयोग राज्य के सभी जिलों में गेंदा फूल की खेती को बढ़ावा देने हेतु किया जाएगा, ताकि अधिक से अधिक किसान इस योजना का लाभ ले सकें.
योजना का उद्देश्य और महत्त्व
सिन्हा ने कहा कि गेंदा फूल का उपयोग धार्मिक, सांस्कृतिक और उत्सव के अवसरों में बड़े पैमाने पर सजावट के लिए होता है. इसके उत्पादन से जुड़े उत्पादों की बाजार में निरंतर मांग बनी रहती है. गेंदा फूल विकास योजना का मुख्य उद्देश्य राज्य में इस फूल की व्यावसायिक खेती को बढ़ावा देना, फूल उत्पादन में वृद्धि करना तथा इससे जुड़े प्रसंस्करण और विपणन को विकसित करना है. यह योजना किसानों की आजीविका को सुदृढ़ कर उनकी आय में ठोस वृद्धि सुनिश्चित करने की दिशा में एक महत्त्वपूर्ण कदम मानी जा रही है.
योजना का कार्यान्वयन और अनुदान
उन्होंने कहा कि इस योजना का क्रियान्वयन पूरे राज्य में किया जाएगा. गेंदा फूल की खेती के लिए प्रति हेक्टेयर इकाई लागत 80,000 रूपये निर्धारित की गई है. इस लागत पर किसानों को 50% यानी 40,000 रूपये प्रति हेक्टेयर की दर से अनुदान प्रदान किया जाएगा. पौधों की आपूर्ति किसानों की मांग के अनुसार अनुदानित दर पर की जाएगी, जिससे उन्हें गुणवत्तापूर्ण पौध सामग्री सुलभ हो सके.
भुगतान की प्रक्रिया
सिन्हा ने कहा कि अनुदान का भुगतान एकमुश्त रूप से किया जाएगा, जो गेंदा फूल की सफल पुष्पण के पश्चात संबंधित प्रखंड उद्यान पदाधिकारी की अनुशंसा और संतोषजनक सत्यापन के आधार पर किया जाएगा. यह भुगतान संबंधित जिले के सहायक निदेशक (उद्यान) द्वारा संपन्न किया जाएगा.
भविष्य की दिशा
उप मुख्यमंत्री ने कहा कि गेंदा फूल विकास योजना बिहार सरकार की एक दूरदर्शी और नवाचारी पहल है, जो न केवल किसानों को आर्थिक रूप से सशक्त बनाएगी, बल्कि फूलों की खेती को एक संगठित और लाभकारी व्यवसाय में परिवर्तित करेगी. यह योजना राज्य को पुष्प उत्पादन में आत्मनिर्भर बनाने की दिशा में एक महत्त्वपूर्ण कदम सिद्ध होगी. इसके माध्यम से ग्रामीण अर्थव्यवस्था को भी नया प्रोत्साहन मिलेगा और रोजगार के अवसरों में वृद्धि होगी.
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