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किसानों की आत्महत्या पर प्रेस कॉन्फ्रेंस का आयोजन, निर्मला सितारमण के समक्ष रखी जाएंगी प्रमुख सिफारिशें

भारत में किसानों की आत्महत्या एक दुखद सच्चाई है. इसमें भी कोई दो राय नहीं है कि तमाम वादों और दावों के बाद भी आत्महत्या का ग्राफ बढ़ता ही जा रहा है. राष्ट्रीय अपराध ब्यरो के आंकड़ों से पता लगता है कि 1994 और 2018 के बीच 353802 किसानों ने आत्महत्या की, जिनमें 85 फीसदी पुरुष हैं. वहीं इस रिपोर्ट में 50188 महिला किसानों के आत्महत्या करने का जिक्र है. इन्हीं बातों को देखते हुए आज मकाम किसान अधिकार मंच ने "महिला किसान और आत्महत्या" विषय पर प्रेस कॉन्फ्रेंस का आयोजन किया।

सिप्पू कुमार

भारत में किसानों की आत्महत्या एक दुखद सच्चाई है. इसमें भी कोई दो राय नहीं है कि तमाम वादों और दावों के बाद भी आत्महत्या का ग्राफ बढ़ता ही जा रहा है. राष्ट्रीय अपराध ब्यरो के आंकड़ों से पता लगता है कि 1994 और 2018 के बीच 353802 किसानों ने आत्महत्या की, जिनमें 85 फीसदी पुरुष हैं. वहीं इस रिपोर्ट में 50188 महिला किसानों के आत्महत्या करने का जिक्र है. इन्हीं बातों को देखते हुए आज मकाम किसान अधिकार मंच ने "महिला किसान और आत्महत्या" विषय पर प्रेस कॉन्फ्रेंस का आयोजन किया। इस कॉन्फ्रेंस में बताया गया कि इन आत्महत्याओं के पीछे क्या कारण हैं. अधिकतर पीड़ित परिवारों ने बताया कि अनियमित मौसम की स्थिति, परिवार के मुद्दों, ऋण बोझ तथा समय-समय पर सरकारी नीतियों में दुखद बदलाव ने ही किसानों को आत्महत्या के लिए मजबूर कर रखा है.

पहचान अधिकार और जीविका:

कॉन्फ्रेंस में कई किसानों ने बताया कि आत्महत्या की वास्तविकता प्रमाणित करना अपने आप में किसी चुनौती से कम नहीं है. सरकार के नियम और कानून ना तो पीड़ित परिवार को जांच-पड़ताल में शामिल करते हैं और ना ही संबंधित परिवार की हालत का जायजा लेते हैं. सरकार की गलत नीतियों या कर्ज के दबाव को छुपाने के लिए अक्सर आत्महत्या की वजह घरेलू झगड़ों को बताया जाता है. ऐसा भी देखा जाता है कि महिला किसानों के भूमि के अधिकार का हनन करते हुए परिवार ही उसे बेसहारा कर देता है. फिर इस मामले में समाज की उपेक्षा का शिकार महिलओं को होना ही पड़ता होगा ये कहने की जरूरत नहीं है.

विधवा महिलाओं की चुनौतियां किसी सागर की तरह गहरी है. अक्सर वो वो योन हिंसा और शोषण की शिकार होती हैं. पति के गुजरने के बाद निसंदेह बच्चों की शिक्षा और भरण-पोषण का भार भी उन्हीं के जिम्मे आता है. मानसिक दबाव उनके स्वास्थ को खराब करते हुए कमजोर बनाता जाता है.

मुकाम किसान अधिकार की प्रमुख सिफारिशें:

1.हर सरकार को महाराष्ट्र सरकार की जीआर योजना(18 जून २०१ को लाया गया ) को लागू करना चाहिए।

2.आत्महत्या प्रभावित पीड़ित महिलाओं के लिए डेटाबेस तैयार करना चाहिए।

3.सरकार को सभी बकाया कर्ज का भुगतान करना चाहिए।

4.किसी भी पीड़ित महिला का नाम एसएचजी से बाहर नहीं होना चाहिए।

5.महिलाओं को सामूहिक खेती के लिए प्रोत्साहन एवं सहायता प्रदान होनी चाहिए।

6.सभी कृषि आत्महत्याग्रस्त राज्यों में जिला स्तर पर एक विशेष प्रकोष्ठ का गठन होना चाहिए।

7.सभी जिलों में किसान मित्र हेल्पलाइन आरंभ होनी चाहिए।

English Summary: MAKAAM Mahila Kisan Adhikaar Manch Press conference organized on farmers suicide and recommendation Published on: 28 January 2020, 06:12 PM IST

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