भोपाल। प्रदेश में 16 अक्टूबर से शुरू हुई मुख्यमंत्री भावांतर भुगतान योजना के तहत खरीदी को लेकर पैदा हो रहे भ्रम को दूर करने के लिए सरकार के पांच अधिकारी मंगलवार को मैदान में उतरे।
पत्रकारवार्ता कर कृषि विभाग और मंडी बोर्ड के अधिकारियों ने साफ किया कि योजना के दायरे में औसत दर्जे से कम (नॉन एफएक्यू) की फसल भी आएगी। व्यापारी कहीं सुनियोजित तरीके से कम भाव पर फसल तो नहीं खरीद रहे हैं, यह देखने के लिए टास्क फोर्स गठित की गई है, जो प्रतिदिन मंडियों में होने वाली खरीदी-फरोख्त का विश्लेषण करेगी। वहीं, आगे चलकर योजना में जो भी फसल खरीदी जाएगी, उसके लिए ग्रेडिंग की व्यवस्था लागू की जाएगी।
योजना में शामिल सोयाबीन, तुअर, मूंग, उड़द, मक्का, मूंगफली, रामतिल के भाव मंडियों में न्यूनतम समर्थन मूल्य से 200 रुपए से लेकर तीन हजार रुपए प्रति क्विंटल कम चल रहे हैं। सिर्फ तिल ही एकमात्र ऐसी फसल है, जिसके भाव समर्थन मूल्य से ज्यादा हैं। अपर मुख्य सचिव कृषि पीसी मीना, प्रमुख सचिव कृषि डॉ. राजेश राजौरा और आयुक्त मंडी बोर्ड फैज अहमद किदवई ने बताया कि योजना में अभी तक पौने दो लाख टन फसल खरीदी गई है।
न्यूनतम समर्थन मूल्य से कम भाव होने से यह भ्रम फैल रहा है कि योजना की वजह से ऐसा हो रहा है, जबकि यह सही नहीं है। पूरे प्रदेश और देश के ज्यादातर राज्यों में फसल के भाव कम चल रहे हैं। उड़द के दामों में गिरावट सर्वाधिक है। इसकी वजह रकबा बढ़ने के साथ उत्पादन भी अधिक होना है।
व्यापारी अपने हिसाब से उपज खरीदता है। सरकार उस पर दबाव नहीं डाल सकती है। मंडी में किसी भी भाव में तयशुदा फसलें बिकें, सरकार भावांतर का भुगतान करेगी। औसत दर्जे से कम की फसल भी दायरे में आएगी। ऐसी फसलों पर भावांतर न्यूनतम समर्थन मूल्य और मॉडल रेट का अंतर मिलेगा।
मंडियों में भाव किसी सुनियोजित रणनीति के तहत तो व्यापारी तय नहीं कर रहे हैं, इस पर नजर रखने के लिए एक टास्क फोर्स बनाई है। यह प्रतिदिन मंडियों में होने वाली खरीदी का विश्लेषण करेगी। साथ ही यह भी देखा जाएगा कि योजना लागू होने से पहले क्या दरें चल रही थीं। यदि किसी प्रकार का गड़बड़ी नजर आती है तो फिर सरकार एक्शन लेगी।
व्यापारियों द्वारा पचास हजार रुपए से ज्यादा का नकद भुगतान नहीं करने को लेकर शिकायतें सामने आई हैं। इसको लेकर व्यापारियों में भ्रम है। इसे दूर करने आयकर विभाग से मार्गदर्शन लेकर दिशा-निर्देश जारी किए जाएंगे। इसी तरह बैंकों से एक दिन में दो लाख रुपए से ज्यादा के लेन-देन का लेकर भी भ्रम है। इसे भी भारतीय रिजर्व बैंक के मार्गदर्शन से दूर किया जाएगा।
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