किसान सम्मान निधि योजना में लगातार हो रही धांधली को मद्देनजर रखते हुए हिमाचल प्रदेश सरकार ने बड़ा कदम उठाया है. दरअसल, प्रदेश सरकार ने प्रत्येक पंचायत दफ्तर में किसान सम्मान निधि के लाभार्थियों की जानकारी सूचना बोर्ड पर प्रदर्शित करने का निर्देश दिया है, ताकि यह पता चल सके कि कितने किसान इस योजना का लाभ उठा चुके हैं. कई अपात्र किसान इस योजना का लाभ उठा रहे हैं, जिसे देखते हुए सरकार ने यह कदम उठाया है.
वहीं, किसान सम्मान निधि योजना में हो रही धांधली को रोकने के लिए हिमाचल प्रदेश सरकार के इस कदम के बाद माना जा रहा है कि अब अन्य राज्यों की सरकारें भी ऐसा कदम उठा सकती है. इस लेख में पढ़ें कि आखिर इस योजना में हो रही धांधली को खत्म करने के लिए सरकार ने क्या प्रक्रिया तय की है.
जानिए पूरी प्रक्रिया
दरअसल, हिमाचल प्रदेश सरकार की तरफ से कहा गया है कि पहले किसान सम्मान निधि योजना का लाभ उठा चुके लाभार्थी किसानों की सूची प्रदेश पंचायत कार्यालय के सूचना बोर्ड में प्रदर्शित की जाएगी. प्रदेश के राजस्व विभाग जिले के सभी पटवारियों, पंचायत सचिव व नंबरदारों की कमेटी बनाकर किसान सम्मान निधि योजना के लाभार्थियों का सत्यापन किया जाएगा.
संबंधित क्षेत्र का पटवारी यह लिखकर देगा कि लाभार्थी के पास इस योजना का लाभ उठाने के लिए नियमों के तहत जोताई योग्य भूमि है या नहीं. इसके बाद पंचायत सचिव भी लाभार्थियों का सत्यापन करेंगे. इसके बाद यह रिपोर्ट तहसीलदार और उसके बाद जिला राजस्व विभाग के पास पहुंचेगी जो इस बात की पुष्टि करेंगे कि कौन-से किसानों ने नियमों के अनुरूप इस योजना का लाभ उठाया है और किसने नहीं.
जमीनी स्तर पर वेरिफिकेशन होने से इस योजना में हो रहे भ्रष्टाचार पर अंकुश लगेगा. सरकार ने यह कदम ऐसे समय पर उठाया है जब लगातार यह खबरें सामने आ रही थी कि किसान भाई नियमों के विरोध में जाकर इस योजना का लाभ उठा रहे हैं.
इस योजना की शुरूआत साल २०१८ में केंद्र सरकार ने आर्थिक रूप से कमजोर तबके के किसानों के लिए की थी. इस योजना के तहत किसानों को प्रतिवर्ष ६ हजार रूपए तीन किश्तों में देने का प्रावधान किया गया है. अब जब इस सरकारी योजना में धांधली की खबरें सामने आ रही हैं तो ऐसे में हिमाचल प्रदेश सरकार द्वारा उठाये गए इस कदम का क्या असर होता है. यह तो फिलहाल आने वाला वक्त ही बताएगा.
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