सरकार की तरफ से मधुमक्खी पालन के तहत राष्ट्रीय मधुमक्खी पालन एवं हनी मिशन योजना चलाई जा रही है, जिसका भूमिहीन ग्रामीण गरीबों व सीमांत किसानों के लिए आजीविका के लिए मधुमक्खी पालन एक अच्छा स्त्रोत बनाना है, जिससे बागवानी कृषकों के उत्पादन व आय में वृद्धी हो. इस योजना के तहत मधुमक्खी पालकों को 80 से 85 फीसदी की सब्सिडी दी जा रही है.
20 अगस्त आवेदन की अंतिम तिथि
हरियाणा राज्य के मधुमक्खी पालक यदि इस योजना को लाभ पाना चाहते हैं, तो उनके लिए आवेदन की अंतिम तारिख 20 अगस्त 2022 तय की गई है. आवेदक मधुमक्खी पालन कालोनियों, मधुमक्खी के बक्से, मधुमक्खी पालन उपकरण व ट्रेनिंग के लिए एकिकृत बागवानी मिशन (integrated horticulture Mission) के तहत लाभ ले सकते हैं.
मधुमक्खी संरक्षण
मधुमक्खियां पर्यावरण के लिए बेहद फायदेमंद हैं, लेकिन उनकी संख्या में गिरावट आ रही है, इसलिए यह हमारी जिम्मेदारी है कि हम उनके लिए एक सुरक्षित आवास प्रदान करें.
मधुमक्खी पालन एक ऐसा कार्य (Skill) है, जो दुर्लभ होता जा रहा है और ऐसा लगता है कि दुनियाभर में मधुमक्खी पालकों की संख्या में गिरावट आई है. मधुमक्खी पालन एकीकृत कृषि प्रणाली के हिस्से के रूप में ग्रामीण क्षेत्रों में किसानों/भूमिहीन श्रमिकों द्वारा की जाने वाली एक कृषि गतिविधि है. मधुमक्खी पालन फसलों के परागण में उपयोगी रहा है, जिससे फसल की उपज बढ़ाने और शहद और अन्य उच्च मूल्य वाले मधुमक्खी उत्पादों को उपलब्ध कराने के माध्यम से किसानों/मधुमक्खी पालकों की आय में वृद्धि हुई है. भारत की विविध कृषि-जलवायु परिस्थितियाँ मधुमक्खी पालन/शहद उत्पादन और शहद के निर्यात की अपार संभावनाएं और अवसर प्रदान करती हैं.
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राष्ट्रीय मधुमक्खी पालन और शहद मिशन क्या है
देश में एकीकृत कृषि प्रणाली के हिस्से के रूप में मधुमक्खी पालन के महत्व को ध्यान में रखते हुए, केंद्र सरकार ने राष्ट्रीय मधुमक्खी पालन और शहद मिशन (NBHM) के लिए तीन साल (2020-21 से 2022-23) के लिए 500 करोड़ रुपये के आवंटन को मंजूरी दी है. NBHM मिशन की घोषणा आत्मानिर्भर भारत योजना के हिस्से के रूप में की गई थी.
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