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World Natural Conservation Day: क्यों मनाते हैं ‘विश्व प्राकृतिक संरक्षण दिवस’

क्या आपने कभी इस भागदौड़ भरी जिंदगी में फुर्सत के दो पल निकालकर ईश्वर की रचना को निहारा है. यह सोचकर ही बेहद आश्चर्य होता है कि कितनी अद्भुत रचना ईश्वर ने रची है.

सचिन कुमार
World Nature Day
World Nature Day

क्या आपने कभी इस भागदौड़ भरी जिंदगी में फुर्सत के दो पल निकालकर ईश्वर की रचना को निहारा है. यह सोचकर ही बेहद आश्चर्य होता है कि कितनी अद्भुत रचना ईश्वर ने रची है. जहां आपको और हमें निवास करने का सौभाग्य प्राप्त हुआ है. जरा देखिएं इस सूर्य को जो हमें मुफ्त में प्रकाश उपलब्ध कराता है, तो कभी निहारिएं इन लहलहाते वृक्षों को, जो हमें मुफ्त में शीतल हवा प्रदान करते हैं. साथ ही कभी इस विशालकाय समुद्र को देखकर हमारा आश्चर्यचकित होना स्वभाविक है.

निसंदेह, इंसान अपनी प्रबुद्धता का सहारा लेकर कितना भी समृद्ध क्यों न हो जाएं, लेकिन ईश्वर की रचना की तुलना में उसकी प्रबुद्धता सदैव बौनी ही रहेगी. लेकिन अफ़सोस हम विज्ञान की एक ऐसी तकनीकी दुनियां में जी रहे हैं, जहां प्राकृतिक संसाधनों का हम सिर्फ दोहन ही कर रहे हैं.अगर समय रहते इस पर अंकुश नहीं लगाया गया तो निकट भविष्य में स्थिति भयावह हो सकती है, जिसका खामियाज़ा  हमारे साथ-साथ हमारी आने वाली पीढ़ियों को भी भुगतना पड़ सकता है, इसलिए प्राकृतिक संसाधनों को संरक्षित करने की दिशा में प्रयास करने के लिए प्रतिवर्ष 28 जुलाई को ‘विश्व प्राकृतिक दिवस’ मनाया जाता है.

विश्व प्राकृतिक संरक्षण दिवस का उद्देश्य  (Objective of  World Natural Conservation Day)

इस दिवस को मनाने का एकमात्र उद्देश्य यही है कि हम अपनी तरफ से भरसक प्रयास करते हुए प्राकृतिक संसाधनों को संरक्षित करने की दिशा में एक ऐसी योजना तैयार करें,  जो हमारे लिए उपयोगी साबित हो सकें. आज कभी आधुनिकता के बहाने तो कभी विकास के बहाने जिस तरह से प्राकृतिक संसाधनों के दोहन का सिलसिला जारी है, इसका प्रतिकूल असर हमारे परिस्थितिक तंत्र पर पड़ सकता है. प्रकृति संरक्षण का समस्त प्राणियों के जीवन तथा इस धरती के समस्त प्राकृतिक परिवेश से घनिष्ठ सम्बन्ध है. प्रदूषण के कारण सारी पृथ्वी दूषित हो रही है और निकट भविष्य में मानव सभ्यता का अंत दिखाई दे रहा है. इस स्थिति को ध्यान में रखकर सन 1992 में ब्राजील में विश्व के 174 देशों का 'पृथ्वी सम्मेलन' आयोजित किया गया था.

विश्व प्रकृति संरक्षण दिवस का इतिहास और उत्पत्ति अज्ञात है लेकिन 28 जुलाई को इसे मनाने का मुख्य उद्देश्य एक साथ आना और प्रकृति का समर्थन करना है, इसका दोहन नहीं करना है. प्रकृति का संरक्षण प्राकृतिक संसाधनों का बुद्धिमानी पूर्ण प्रबंधन और उपयोग है. वर्तमान में प्राकृतिक असंतुलन के कारण ग्लोबल वार्मिंग, विभिन्न बीमारियों का प्रकोप , प्राकृतिक आपदाएं, तापमान में वृद्धि आदि कई समस्याओं का सामना करना पड़ रहा हैं, इसलिए अगली पीढ़ी के लिए इसे संरक्षित करना आवश्यक है. इसलिए, संसाधनों को बचाने के महत्व को समझने, प्राकृतिक संसाधनों का पुनर्चक्रीकरण करने, इसे संरक्षित करने के लिए दुनियां भर के लोगों में जागरूकता बढ़ाना महत्वपूर्ण है.

विगत कुछ दशकों से विकास के नाम पर तीव्रता से जंगलों का विनाश किया गया है. वृक्षों की कटाई की गई है. जिसके परिणामस्वरूप कई जानवर विलुप्त होने की कगार पर पहुँचते जा रहे है. भारत में स्तनपायी वन्य जीवों की कई प्रजातियाँ संकटग्रस्त हैं, जिसमें कश्मीरी हिरण, भारतीय गैंडे, काले एवं सफेद तेंदुएं आदि कई अन्य जानवर शामिल हैं. अगर यह सिलसिला यूं ही जारी रहा तो स्वाभाविक है कि निकट भविष्य में इसका नकारात्मक असर हमारे परिस्थितिक तंत्र पर पड़ सकता है.

विश्व प्रकृति संरक्षण दिवस,2021 की थीम

सर्वविदित है कि प्रतिवर्ष विश्व प्रकृति संरक्षण दिवस के लिए कोई न कोई विषय निर्धारित किया जाता है. इसी प्रकार से इस वर्ष के लिए भी थीम निर्धारित की गयी है. इस वर्ष विश्व प्रकृति संरक्षण दिवस के लिए वन और आजीविका: लोगों और ग्रह को बनाए रखना' थीम है. इस पूरे वर्ष इसी थीम पर काम किया जाएगा. इस वर्ष वन एवं इसके संरक्षण की दिशा में काम किया जाएगा व इस पृथ्वी को मानव के लिए एक सुरक्षित ठिकाना बनाने के लिए काम किया जाएगा. बीते कुछ वर्षों में प्राकृतिक असंतुलन के कारण, कोरोना महामारी, भूकंप, तूफ़ान आदि प्राकृतिक आपदाएं लगातार आती रही है. मानव जीवन को बचाना भी कठिन होता जा रहा हैं. ऐसे में  विश्व प्रकृति संरक्षण दिवस की यह थीम प्रासंगिक है.

अंतर्राष्ट्रीय प्रकृति संरक्षण संघ (The International Union for Conservation of Nature)

  • आईयूसीएन सरकारों तथा नागरिकों दोनों से मिलकर बना एक सदस्यता संघ है.

  • यह दुनिया की प्राकृतिक स्थिति को संरक्षित रखने के लिये एक वैश्विक प्राधिकरण है जिसकी स्थापना वर्ष 1948 में की गई थी.

  • इसका मुख्यालय स्विटज़रलैंड में स्थित है.

  • आईयूसीएन पर्यावरण के संरक्षण के बारे में भी तीन आवश्यक शब्द हैं जो कम करना, रीसायकल करना और पुन: उपयोग करना है. इसके द्वारा जारी की जाने वाली लाल सूची दुनिया की सबसे व्यापक सूची है, जिसमें पौधों और जानवरों की प्रजातियों की वैश्विक संरक्षण की स्थिति को दर्शाया जाता है.

  • आईयूसीएन प्रजातियों के विलुप्त होने के जोखिम का मूल्यांकन करने के लिये कुछ विशेष मापदंडों का उपयोग करता है. ये मानदंड दुनिया की अधिकांश प्रजातियों के लिये प्रासंगिक हैं.

  • इसे जैविक विविधता की स्थिति जानने के लिये सबसे उत्तम स्रोत माना जाता है.

  • यह SDG का एक प्रमुख संकेतक भी है.

आवश्यकता है समुचित कदम उठाने की

कई वर्षों में जिस तरह से विकास के नाम पर प्राकृतिक संसाधनों का दोहन हुआ है. उसे देखकर हमारा दिल पसीज उठता है. कई नदी,तालाब सूख चुके हैं. बहुत से जंगल क्षेत्र अब सपाट मैदान में परिवर्तित हो चुके हैं. जहां पहले कभी जानवरों का बसेरा हुआ करता था. वहां अब विकास के नाम पर बड़े-बड़े वाहन दौड़ते हुए नजर आ रहे हैं. मानो अब यह पूरा संसार सिर्फ मुनष्यों से ही भरा हुआ लगता है, लेकिन भौगोलिक नियमों के अनुसार संसार के सुचारू संचालन के लिए इंसान समेत पशुओं व पर्यावरण की भी आवश्यकता है. लेकिन विगत कई वर्षों में विकास के नाम पर जिस तरह इसका दोहन किया गया है. वह निंदनीय है. अब समय आ चुका है कि इस पर अंकुश लगाने की दिशा में समुचित कदम उठाए जाए अन्यथा हमें इसकी भारी कीमत अदा करनी पड़ सकती है.

पर्यावरण संरक्षण के तरीके

केवल सरकार और सामजिक संस्थानों की ही जिम्मेदारी पर्यावरण का संरक्षण करने की नहीं है. हम सभी इसमें सहभागिता कर सकते हैं. ऐसे कई तरीके हैं जिनसे हम पर्यावरण का संरक्षण कर सकते हैं जैसे:

  1. पुनर्चक्रण: - जितना हो सके पुन: प्रयोज्य और बायोडिग्रेडेबल उत्पादों को खरीदने का प्रयास करें.

  2. पानी की खपत को कम करना जरूरी है.

  3. बिजली का उपयोग कम करें. जब आपका काम बिजली के उपकरण से हो जाए तो उसे बंद कर दें. इस तरह ऊर्जा और धन दोनों की बचत होगी.

  4. पेड़ लगाएं और पपृथ्वी को हरा-भरा बनाएं.

  5. सब्जियां उगाएं. बाजार में मिलने वाली कई सब्जियां रसायनों और कीटनाशकों का अधिक मात्र में उपयोग करके उगाई जाती हैं. इसलिए बेहतर है कि घर पर सब्जियां लगाएं, टेरेस गार्डन लगाएं र्और ऑर्गेनिक फूड खाएं.

  6. प्राकृतिक खाद तैयार करना भी एक बेहतर तरिका है.

  7. बैटरी पर्यावरण के लिए खतरनाक हैं, इसलिए रिचार्जेबल बैटरी का उपयोग करना बेहतर है.

  8. धूम्रपान न करें. धूम्रपान स्वास्थ्य के लिए हानिकारक है और कभी-कभी देखा जाता है कि धूम्रपान करने के बाद लोग सिगरेट को कूड़ेदान में नहीं बल्कि सीधे जमीन पर फेंक देते हैं जो सिर्फ शुद्ध कचरा है.

  9. प्रदूषण कम करें.

  10. प्रकृति, पर्यावरण और ऊर्जा के संरक्षण के उपयोग के बारे में लोगों को जागरूक करें.

अगर कुछ वर्ष पहले की पर्यावरणीय स्थिति और आज की तुलना करें तो यह साफ जाहिर होता है कि महज इंसानों की संख्या में ही इजाफा हुआ है. बाकी  पर्यावरण के अन्य पहलुओं को भारी नुकसान का सामना करना पड़ा है. इन सभी उपरोक्त भयावह स्थितियों के दृष्टिगत प्रत्येक वर्ष 28 जुलाई को विश्व प्राकृतिक संरक्षण दिवस’ मनाया जाता है. इस दिवस को मनाए जाने के पीछे एकमात्र उद्देश्य  यही होता है कि हम पर्यावरण को संरक्षित करने की दिशा में उपयुक्त कदम उठाए. सरकार ने इस दिशा में कई कारगर कदम उठाए है. जैसे कि केंद्रीय पर्यावरण मंत्रालय का गठन, जिसका प्रभार केंद्रीय पर्यावरण मंत्री खुद संभालते हैं. इसके साथ ही कई योजनाओं के जरिए भी केंद्र सरकार ने पर्यावरण को संरक्षित करने की कोशिश की है. लेकिन वर्तमान स्थिति इस बात की साफ गवाही दे रही है कि अभी हमें और कदम उठाने होंगे. हालिया कदम अभी अपर्याप्त हैं.प्राकृतिक संसाधनों के संरक्षण के लिए और प्रयास करने की जरूरत है.

विशेष दिवसों के बारे में और प्रकृति, पर्यावरण से संबंधित हर विशेष जानकारी के लिए पढ़ते रहिएं कृषि जागरण हिंदी पोर्टल के लेख एवं ख़बरें.

English Summary: Know why World Natural Conservation Day is celebrated Published on: 27 July 2021, 07:57 PM IST

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