देश के कई इलाकों में इस समय किसानों ने अपने खेतों में धान की फसल लगा रखी है और इसकी फसल अब अपने विकास करने के दौर में है, जिसमें पंजाब, हरियाणा व यूपी समेत कई राज्य शामिल है.आईएआरआई के अनुसार, इन इलाकों से कुछ दिनों पहले धान की फसल में बौनेपन का रोग लगने की शिकायत आई थी, जिस पर आईएआरआई ( Indian agriculture research institute) पूसा, नई दिल्ली द्वारा ट्विटर और अन्य सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म पर एक वीडियो जारी किया गया था.
उसमें कहा गया था कि वे इस समस्या पर रिसर्च कर रहे हैं और जल्द ही इसका कारण किसानों को बताया जाएगा और किसानों को इसका इलाज भी बताया जाएगा. आज आईएआरआई ( Indian agriculture research institute) द्वारा वीडियो जारी किया गया है. इस वीडियो में आईएआरआई के एक विशेषज्ञ हैं, जो कि किसानों को इलाज करने की सलाह दे रहे हैं, आइए डिटेल में जानते हैं कि उन्होंने क्या कुछ कहा है.
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धान में बौनेपन की समस्या था ये कारण
देश के कुछ राज्यों से धान में बौनेपन की आ रही समस्या का समाधान आईएआरआई ( Indian agriculture research institute) ने ढूंढ़ लिया है, उन्होंने वीडियो जारी कर बताया है कि धान में बौनेपन की समस्या फिजी वाइरस के कारण आ रही थी. ये एक प्रकार का कीड़ा होता, जो कि बीमार पौधे पर बैठने के बाद स्वस्थय पौधे पर बैठता है जिसके कारण बीमारी फैलती है. इसे फुदका भी कहा जाता है. इसका परीक्षण आईएआरआई ( Indian agriculture research institute) पूसा, नई दिल्ली की लैब में किया गया था.
किसानों को करना है ये काम
आईएआरआई के विशेषज्ञ के अनुसार, अगर आपके खेत में यह समस्या है तो आप निम्न दवाओं का इस्तेमाल कर सकते हैं:
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पेक्सालॉन(pexalon) इसे एक एकड़ के इस्तेमाल के लिए 250 लीटर पानी में 94ml की मात्रा रखनी है.
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ओशीन(oshin) इसे एक एकड़ के इस्तेमाल के लिए 250 लीटर पानी में 100 ग्राम की मात्रा रखनी है.
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टोकन(Token) इसे एक एकड़ के इस्तेमाल के लिए 250 लीटर पानी में 100 ग्राम की मात्रा रखनी है.
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चैस(chess) इसे एक एकड़ के इस्तेमाल के लिए 250 लीटर पानी में 120 ग्राम मिलाना है.
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