1. Home
  2. ख़बरें

मीठे पानी के मोती उत्पादन का नया केंद्र बना यह राज्य, युवाओं के लिए खुल रहे रोज़गार के अवसर

झारखंड में मोती उत्पादन के क्षेत्र में हो रहे इन प्रयासों से स्पष्ट है कि यह राज्य भविष्य में भारत के मीठे पानी के मोती उत्पादन का बड़ा हब बन सकता है. प्रशिक्षण, तकनीक और शिक्षा के मेल से यह क्षेत्र ग्रामीण युवाओं के लिए एक सुनहरा अवसर बनकर उभर रहा है.

लोकेश निरवाल
Pearl Farming
हजारीबाग में विकसित हो रहा पहला 'पर्ल क्लस्टर', किसानों को मिल रहा विशेष प्रशिक्षण (सांकेतिक तस्वीर)

भारत में मीठे पानी के मोती उत्पादन (Pearl Farming) का हब झारखंड बनता जा रहा है. केंद्र सरकार और राज्य सरकार मिलकर इस क्षेत्र को ग्रामीण युवाओं और किसानों के लिए आजीविका के बड़े अवसर के रूप में विकसित कर रही हैं. प्रधानमंत्री मत्स्य संपदा योजना (PMMSY) के तहत 22 करोड़ रुपये की लागत से हजारीबाग में देश का पहला मोती उत्पादन क्लस्टर विकसित किया जा रहा है.

यह पहल 2019-20 में एक पायलट प्रोजेक्ट के रूप में शुरू हुई थी, लेकिन अब इसे पूरे राज्य में प्रशिक्षण और तकनीकी सहायता के साथ फैलाया जा रहा है. किसानों को मोती उत्पादन की कला सिखाने के लिए झारखंड के अलग-अलग ज़िलों में विशेष प्रशिक्षण केंद्र भी खोले गए हैं. आइए राज्य सरकार की इस पहले के बारे में यहां विस्तार से जानते हैं...

रांची का 'पूर्ति एग्रोटेक ट्रेनिंग सेंटर' बना सफलता का केंद्र

रांची में CSR फंड से 2024 में स्थापित पूर्ति एग्रोटेक प्रशिक्षण केंद्र (Purty Agrotech Training Centre) अब इस अभियान का प्रमुख केंद्र बन गया है. अब तक यह केंद्र 132 से अधिक किसानों को गोल मोती उत्पादन की तकनीकें सिखा चुका है. इन किसानों ने अपने-अपने क्षेत्रों में और लोगों को प्रशिक्षित किया है, जिससे यह ज्ञान कई गुना बढ़ रहा है.

गोल मोती पर ज़ोर, बढ़ा मुनाफा

एनआईटी जमशेदपुर के मैकेनिकल इंजीनियर बुधन सिंह पूर्ति, जो खुद एक प्रशिक्षित मोती उत्पादक हैं, कहते हैं कि प्रशिक्षण इस क्षेत्र की रीढ़ है. वे गोल मोती उत्पादन पर ज़ोर दे रहे हैं, क्योंकि यह डिजाइनर मोतियों की तुलना में ज़्यादा मुनाफा देता है. प्रशिक्षण में सर्जिकल ग्राफ्टिंग, उपकरणों का सही इस्तेमाल और बाद की देखरेख की तकनीकें सिखाई जाती हैं. इन प्रक्रियाओं से मोतियों की गुणवत्ता और उत्पादन दर दोनों बेहतर होती हैं.

शैक्षणिक संस्थानों की भी पहल

इस क्षेत्र की संभावनाओं को देखते हुए, रांची के सेंट जेवियर्स कॉलेज ने मोती उत्पादन में 6 महीने से डेढ़ साल तक के सर्टिफिकेट कोर्स शुरू किए हैं. यहां छात्रों को वैज्ञानिक जानकारी के साथ-साथ फील्ड का अनुभव भी दिया जा रहा है. झारखंड में मोती उत्पादन एक उभरता हुआ उद्योग बन रहा है, जो न केवल युवाओं को रोज़गार देगा, बल्कि राज्य की ग्रामीण अर्थव्यवस्था को भी सशक्त करेगा.

English Summary: Jharkhand freshwater pearl farming new employment opportunities news Published on: 15 July 2025, 02:01 PM IST

Like this article?

Hey! I am लोकेश निरवाल . Did you liked this article and have suggestions to improve this article? Mail me your suggestions and feedback.

Share your comments

हमारे न्यूज़लेटर की सदस्यता लें. कृषि से संबंधित देशभर की सभी लेटेस्ट ख़बरें मेल पर पढ़ने के लिए हमारे न्यूज़लेटर की सदस्यता लें.

Subscribe Newsletters

Latest feeds

More News