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क्या सच में कपड़े उतरवाकर पीटा गया है किसानों को ?

मध्य प्रदेश में किसान बार-बार आंदोलन करते हैं. इसके बावजूद हर साल शिवराज सिंह चौहान की सरकार को राष्ट्रपति से कृषि कर्मण अवॉर्ड मिल जाता है. रिपोर्ट्स के मुताबिक फ़रवरी 2016 से फ़रवरी 2017 के बीच, मध्यप्रदेश में तकरीबन 1982 किसानों ने आत्महत्या की है.

 

मध्य प्रदेश में किसान बार-बार आंदोलन करते हैं. इसके बावजूद हर साल शिवराज सिंह चौहान की सरकार को राष्ट्रपति से कृषि कर्मण अवॉर्ड मिल जाता है. रिपोर्ट्स के मुताबिक फ़रवरी 2016 से फ़रवरी 2017 के बीच, मध्यप्रदेश में तकरीबन 1982 किसानों ने आत्महत्या की है.

मध्य प्रदेश के टीकमगढ़ ज़िले से एक मामला सामने आया है. कथित रूप से यहां पुलिसवालों ने किसानों के एक समूह को पीटा और उनके कपड़े उतरवा दिए. सोशल मीडिया पर ऐसी कई तस्वीरें और वीडियोज़ घूम रहे हैं. इन तस्वीरों में किसान पुलिस स्टेशन के बाहर खड़े हैं और उन्होंने मात्र अंडरवियर पहना हुआ है.

आखिर क्या है पूरा मामला ?

तीन अक्टूबर को दस हज़ार से ज़्यादा किसान टीकमगढ़ ज़िले में प्रोटेस्ट कर रहे थे. उनकी मांग थी कि ज़िले को सूखा ग्रसित घोषित किया जाए. इस किसान आंदोलन की कमान टीकमगढ़ के पूर्व कांग्रेस विधायक और मंत्री यादवेंद्र सिंह और विपक्ष के नेता अजय सिंह संभाल रहे थे. कांग्रेस समर्थक चाह रहे थे कि डीएम ऑफ़िस से बाहर आएं और किसानों की मांगें सुनें. लेकिन डीएम ने ऑफ़िस से बाहर आने से मना कर दिया. बहुत देर बाद डीएम बाहर आए पर तब तक किसानों ने ऑफ़िस के बाहर पत्थर फेंकना शुरू कर दिया था. जवाब में पुलिस ने आंसू गैस और लाठी का इस्तेमाल किया. पुलिस ने बहुत से किसानों को हवालात में भी डाल दिया.

चार अक्टूबर को हवालाती किसानों की तस्वीरें और वीडियोज़ सामने आए. इनमें उनके कमर तक के कपड़े उतरे हुए हैं. कांग्रेस नेता इन तस्वीरों पर प्रतिक्रियाएं दे रहे हैं कि मध्यप्रदेश सरकार किसानों के साथ ऐसा व्यवहार करती है. पूर्व यूनियन मिनिस्टर कमल नाथ का कहना है, मुख्यमंत्री खुद को किसान का बेटा बुलाते हैं लेकिन इन्हीं के राज में पुलिस किसानों का इतना अपमान कर रही है. उन किसानों का जिनकी मांग बस सूखे से निजात पाना है.’

कुछ दिनों पहले महाराष्ट्र के यवतमाल ज़िले में कीटनाशक के ज़हर से 18 किसानों की जान चली गई. करीबन 24 की दृष्टिहीन हो गए अब भी 600 से ऊपर किसानों का ज़िला अस्पताल में इलाज चल रहा है. मध्यप्रदेश और महाराष्ट्र की इन दोनों घटनाओं पर राहुल गांधी ने ट्वीट्स किए. उन्होंने लिखा, ‘यवतमाल में किसानों की हुई मौत से बहुत दुखी हूं. महाराष्ट्र में किसानों को ज़हर दिया जा रहा है और मध्यप्रदेश में उनके कपड़े उतरवाकर उन्हें पीटा जा रहा है.’

हालांकि राज्य गृह मंत्री भूपेंद्र सिंह का कहना है कि किसी भी किसान को पुलिस स्टेशन में पीटा नहीं गया है. ये भी कहा कि सरकार ने इन रिपोर्ट्स को गंभीरता से लिया है. कपड़े उतारने और पीटने के आरोपों की जांच जाएगी. साथ ही तीन दिन के अंदर जांच की रिपोर्ट भी सबमिट करने को कहा है.

भूपेंद्र सिंह ने प्रेस में कहा, ‘इस मामले की जांच होनी बहुत ज़रूरी है. ताकि पता चले कि किसानों ने खुद कपड़े उतारे थे या पुलिसवालों ने उतरवाए थे. सीएम शिवराज सिंह चौहान इस मामले को बहुत गंभीरता से ले रहे हैं. अगर पुलिसवालों ने ऐसा किया होगा तो उनके खिलाफ़ सख़्त कदम उठाए जाएंगे. अभी सरकार सूखा ग्रसित राज्यों की पड़ताल कर रही है और डीएम इसके लिए सर्वे कर रहे हैं.

डीएम अभिजीत अग्रवाल का कहना है कि उन्होंने भी किसानों की सोशल मीडिया पर ऐसी तस्वीरें देखीं लेकिन जांच के बाद ही पता चलेगा कि किसानों ने खुद अपने कपड़े उतारे थे या पुलिसवालों ने उतरवाए थे. पुलिस स्टेशन इन-चार्ज आर. पी. चौधरी ने बताया कि उन्हें नहीं पता किसने किसानों को कपड़े उतारने को कहा क्योंकि वो उस वक्त फ़ील्ड ड्यूटी पर थे. वो जब तक पहुंचे तब तक उन्हें रिहा कर दिया गया था.

पुलिस ने ये भी बताया कि उन्होंने एक हज़ार अज्ञात लोगों को गिरफ़्तार किया है, जिनका टीकमगढ़ के प्रोटेस्ट में भड़की हिंसा में हाथ हो सकता है. डीएम ऑफ़िस के बाहर पुलिस से हुई भिड़ंत में तकरीबन 25 कांग्रेस कार्यकर्ता घायल हो गए. डीएम का कहना है कि पुलिस ने लाठी और आंसू गैस का तब इस्तेमाल किया, जब कांग्रेस कार्यकर्ताओं ने पत्थर फेंकना शुरू कर दिया था.

 

English Summary: Is the fact that the farmers have been beaten up by wearing clothes? Published on: 09 October 2017, 01:54 AM IST

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