भारतीय कृषि अनुसंधान संस्थान, नई दिल्ली के कृषि विज्ञान केंद्र (शिकोहपुर, गुरुग्राम) ने "कृषि-बाग़वानी फसलों में समन्वित कीट प्रबंधन" पर एक दिवसीय प्रशिक्षण का आयोजन किया. इस कार्यक्रम में 28 प्रतिभागियों ने हिस्सा लिया, जिसमें गुरुग्राम ज़िले के कृषि, बाग़वानी एवं गैर सरकारी संगठनों के अधिकारी और कार्यकर्ता शामिल थे. इसमें कृषि, बाग़वानी एवं गैर सरकारी संस्थाओं के क्षेत्र विस्तार अधिकारियों व कार्यकर्ताओं ने रसायनमुक्त कीट प्रबंधन तकनीकों पर जानकारी प्राप्त की, जिससे कृषि उत्पादों की गुणवत्ता और पर्यावरण संरक्षण सुनिश्चित हो सके.
कीटनाशकों के प्रयोग को रोकने के उपाय
कीट वैज्ञानिक डॉ. भरत सिंह ने रबी फसलों जैसे अनाज, दलहन, तिलहन, सब्ज़ियां और फलों में अनावश्यक कीटनाशकों के प्रयोग को रोकने के उपायों पर जानकारी दी. उन्होंने हानिकारक कीटों को नियंत्रित करने के लिए समन्वित कीट प्रबंधन तकनीक का उपयोग करने के लाभ बताए और रसायनिक कीटनाशक का प्रयोग करने से पहले कीटों की निगरानी और उनकी संख्या का आकलन करने का महत्व समझाया.
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कीट प्रबंधन के तरीके
डॉ. सिंह ने जैविक, यांत्रिक और सस्य क्रियाओं का उपयोग करके कीट प्रबंधन के तरीके बताए. उन्होंने फसलों के पारिस्थितिकी तंत्र में मौजूद प्राकृतिक कीट नियंत्रणक जैसे परभक्षी और परजीवी कीटों की पहचान, उनके संरक्षण और बढ़ोतरी के तरीकों पर भी जोर दिया. इसके माध्यम से कृषि उत्पादों की गुणवत्ता और पर्यावरण संरक्षण सुनिश्चित किया जा सकता है.
समन्वित कीट प्रबंधन
कृषि प्रसार विशेषज्ञ डॉ. गौरव पपने ने प्राकृतिक खेती में कीट और रोग नियंत्रण के लिए प्रयोग होने वाले उपायों के बारे में बताया. वहीं, सस्य विज्ञान विशेषज्ञ डॉ. राम सेवक ने समय पर सस्य क्रियाओं के जरिये समन्वित कीट प्रबंधन पर प्रकाश डाला.
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