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चीन और अमेरिका के ट्रेड वॉर से बढ़ेगा भारत का कृषि निर्यात

पिछले कई महीनों से भौगोलिक अस्थिरता, प्रतिबंध और विश्व की प्रमुख अर्थव्यवस्थाओं के बीच व्यापार में उठापटक के चलते वैश्विक बाजार में अनिश्चितता का माहौल है. दुनियां की दो सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था- अमेरिका और चीन के बीच चल रहे व्यापार युद्ध से मुश्किलें और बढ़ गई हैं. इन दोनों मुल्कों के बीच टेरिफ शुल्क बढ़ाने की होड़ ने अंतर्राष्ट्रीय बाजार में हलचल पैदा कर दी हैं.

पिछले कई महीनों से भौगोलिक अस्थिरता, प्रतिबंध और विश्व की प्रमुख अर्थव्यवस्थाओं के बीच व्यापार में उठापटक के चलते वैश्विक बाजार में अनिश्चितता का माहौल है. दुनियां की दो सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था- अमेरिका और चीन के बीच चल रहे व्यापार युद्ध से मुश्किलें और बढ़ गई हैं. इन दोनों मुल्कों के बीच टेरिफ शुल्क बढ़ाने की होड़ ने अंतर्राष्ट्रीय बाजार में हलचल पैदा कर दी हैं. इसने वैश्विक आपूर्ति में अस्थिरता लाने का काम किया है. इस बात की काफी संभावना है कि अमेरिका और चीन के बीच जारी टैरिफ युद्ध वैश्विक कमोडिटी व्यापार प्रवाह में संरचनात्मक बदलाव लाएगा.

टैरिफ और काउंटर-उपायों के चलते आयात बेहद महंगा और व्यावसायिक रूप से पेचीदा हो गया है. नतीजतन अमेरिका ने चीन की बजाय अन्य देशों से माल खरीदना शुरू कर दिया है. वहीं दूसरी तरफ चीन भी अपनी विकास की गति को निर्बाध रूप से बनाये रखने के लिए गैर-अमेरिकी मुल्कों से कच्चा माल मंगा रहा है.

चीन और अमेरिका के बीच मुख्यतः दो कृषि उत्पाद, सोयाबीन और कपास का आयात-निर्यात होता है. व्यापार असंतुलन के चलते चीन ने धीरे-धीरे अमेरिका से कपास और सोयाबीन की खरीद कम कर दी है. इससे अमेरिका के घरेलू बाजार भारी दबाब का सामना कर रहे हैं. स्थिति को देखते हुए सरकार नए बाज़ार और अन्य कारगर विकल्प तलाश रही है.

भारत इस स्थिति से फायदा उठा सकता है. दुनिया का सबसे बड़ा कपास निर्यातक भारत, चीन की फाइबर जरूरतों को पूरी करने की मजबूत स्थिति में है. हाल के वर्षों में, चीन एक बड़े खरीदार के रूप में विश्व बाजार से अनुपस्थित रहा है क्योंकि वह पुराने स्टॉक को ख़त्म करने की जुगत में लगा था.

अब वह फिर से खरीद के लिए उत्सुक है. यह भारत के लिए एक अच्छा अवसर है. हाल के महीनों में एशियाई देशों में भारतीय कपास की डिमांड बढ़ी है. रूपये के अवमूल्यन और प्रतिस्पर्धा कम होने चलते कपास निर्यातकों के लिए यह बेहतरीन मौका हो सकता है. भारतीय घरेलू बाजार में कपास के उत्पादन में कमी आई है और साथ ही वैश्विक बाजार में मांग बढ़ने से कपास का निर्यात किफायती होने की उम्मीद है.

कपास के अलावा चीन में भारतीय सोयाबीन की मांग बढ़ने की संभावना जताई जा रही है.  2018-19 में सोयाबीन उत्पादन का पिछले पांच वर्ष के उच्चतम स्तर पर रहने का अनुमान है. कृषि मंत्रालय के मुताबिक पिछले वर्ष कुल 11 मीट्रिक टन सोयाबीन उत्पादित किया गया था जो इस साल बढ़कर 13.6 मीट्रिक टन होने का अनुमान है.

देश में सोयाबीन का समर्थन मूल्य 3400 रूपये प्रति क्विंटल तय किया गया है. हालाँकि, भारत चीन को ध्यान में रखकर कीमतें तय कर सकता है क्योंकि चीन तक़रीबन 2 मीट्रिक टन सोयाबीन की खरीद कर सकता है. जाहिर तौर पर यह भारत के लिए एक बड़ा बड़ा सौदा होगा।हालांकि चीन को लुभाने के लिए लगभग 100 डॉलर प्रति टन की भारी सब्सिडी भी दी जा सकती है.

रोहिताश चौधरी, कृषि जागरण

English Summary: India's agricultural exports will grow by trade war of China and America Published on: 17 October 2018, 03:25 PM IST

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