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भारत कृषि क्षेत्र के महत्वपूर्ण योगदान के साथ अमृतकाल में एक शानदार कहानी लिखेगा: डॉ. हिमांशु पाठक

लघु एवं सीमांत किसानों के मुद्दों को उजागर करने के लिए एफजीएनआई (FGNI) ने एक सेमिनार का आयोजन किया, जिसमें कृषि संबंधित कई मुद्दों पर अपने विचार विमर्श किए गये हैं...

KJ Staff
लघु एवं सीमांत किसानों के मुद्दों को उजागर करने के लिए सेमिनार
लघु एवं सीमांत किसानों के मुद्दों को उजागर करने के लिए सेमिनार

नई दिल्ली में फाउंडेशन फॉर द ग्रोथ ऑफ न्यू इंडिया (FGNI) ने एक सेमिनार का आयोजन किया जिसका विषय था "भारत की कृषि क्षमता का साकारीकरण: एक समृद्ध अर्थव्यवस्था की ओर ले जाने की कुंजी". इस सेमिनार में मौजूद सभी अतिथियों ने अपने संबोधन में कृषि क्षेत्र की बेहतरी के लिए कई विषयों में अपनी राय रखी.

कृषि क्षेत्र के कल्याण में केंद्र, राज्यों, उद्योग और एनजीओ के एक साथ आने को एक स्वस्थ पहल बताते हुए भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद के महानिदेशक और भारत सरकार के कृषि मंत्रालय के अधीन कृषि अनुसंधान एवं शिक्षा विभाग (डीएआरई) के सचिव डॉ. हिमांशु पाठक ने कहा कि अगले 25 वर्षों में भारत का अमृतकाल पूरा होने तक भारत एक बेहतर और शानदार कहानी लिखेगा, जिसमें कृषि क्षेत्र की महत्वपूर्ण भूमिका होगी.

डॉ पाठक खुद बचपन में किसान के रूप में खेती कर चुके हैं, वह कहते हैं कि जब किसी किसान, खासकर लघु एवं सीमान्त किसान को दर्द होता है, वे उसे महसूस करने के साथ-साथ समझ सकते हैं.

बिल गेट्स और विभिन्न देशों द्वारा हाल ही में भारत को मिली सराहना का हवाला देते हुए उन्होंने कहा, "हम खाद्यान्न में आत्म-निर्भरता और विश्व में दूसरे सबसे बड़े उत्पादक तक का लंबा सफर तय कर चुके हैं, लेकिन अगर भारत को विकसित राष्ट्र बनना है 2047 तक, तो यह कृषि और छोटे और सीमांत किसानों के योगदान के बिना संभव नहीं है.”

डॉ. पाठक भारत की कृषि नीति के क्षेत्र में बेहद सम्मानित शख्सियत, 'पद्म भूषण' से सम्मानित, केंद्रीय कृषि विश्वविद्यालय, इंफाल के चांसलर और एफजीएनआई के अध्यक्ष और संस्थापक सदस्य डॉ. आर. बी. सिंह और एफजीएनआई के सलाहकार  आर. जी. अग्रवाल के साथ संगोष्ठी के उद्घाटन सत्र को सम्बोधित किया.

डॉ. आर.बी. सिंह ने विकास को समावेशी, सतत, समरूप, उच्च और भारत के एसडीजी लक्ष्यों के अनुरूप बनाने का आह्वान किया.

'न्यू इंडिया' को सही मायने में 'न्यू इंडिया' बनाने का आह्वान करते हुए, जो न्यायसंगत, समृद्ध और खुशहाल भी हो, डॉ. आर.बी. सिंह ने कहा, "दुनिया दिशा के लिए भारत की ओर देख रही है, जी20 की अध्यक्षता ऐसे उदाहरणों में से एक है, हालांकि आत्मसंतुष्ट होने के बजाय, हमें हमारी लगभग 50% आबादी किसानों और ग्रामीण आबादी को प्रौद्योगिकी के साथ सशक्त बनाना चाहिए. जिससे गैर-किसानों की तुलना में किसान अपनी आय को एक चौथाई से बढ़ाकर किसी अन्य समूह के बराबर कर सकें. इससे कृषि क्षेत्र के कम से कम $1 ट्रिलियन योगदान के साथ $5 ट्रिलियन अर्थव्यवस्था के ध्येय को सच किया जा सकता है."

आर.जी. अग्रवाल ने भारतीय किसानों के कई मुद्दों पर खुलकर बात की, जिसमें चीन से आयातित हानिकारक कीटनाशकों का उपयोग जो कि मिट्टी और फसलों को नुकसान पहुंचा रहा है, किसानों के हाथों में प्रौद्योगिकी की कमी, सरकार द्वारा उर्वरक और कीटनाशकों के लिए अलग-अलग व्यवहार आदि शामिल थे और किसानों की आय को अधिकतम करने के लिए मुक्त और प्रतिस्पर्धी बाजार, कृषि में उपयोग किए जाने वाले शोध आधारित उत्पादों के लिए समयबद्ध अनुमोदन, सटीक खेती के लिए नीतिगत पहल और प्रोत्साहन और कृषि के लिए उन्नत आईटी उपकरण आदि की मांग की.

आर.जी. अग्रवाल ने आगे कहा “भारत में खाद्यान्न और फसल रसायनों के उत्पादन और निर्यात दोनों को बढ़ाने की काफी क्षमता है. यदि हमारे पास अधिक सक्षम वातावरण और नीतिगत समर्थन हो, तो भारत इस क्षेत्र में आसानी से अग्रणी हो सकता है. इसके अलावा, अगर हम खाद्यान्न की बर्बादी को दूर कर सकते हैं, जो कि मोटे तौर पर लगभग 30% है,  यह प्रौद्योगिकी के माध्यम से संभव भी है, तो हम 2050 में भी अपनी आवश्यकताओं को पूरा करने के लिए तैयार रहेंगे,".

छोटे और सीमांत किसानों की दुर्दशा पर बोलते हुए फाउंडेशन के सदस्य बिनोद आनंद ने किसानों के समक्ष आने वाले मुद्दों पर चार विचार-विमर्श आयोजित करने का प्रस्ताव रखा. सभी वैज्ञानिकों और प्रख्यात हस्तियों द्वारा भी इस पर सहमति व्यक्त की गई. आईसीएआर के डीजी डॉ. हिमांशु पाठक ने इस अवसर पर फाउंडेशन का संरक्षक बनना भी स्वीकार किया.

बिनोद आनंद ने कहा कि एफजीएनआई भाग लेने वाले वैज्ञानिकों, उद्योगपतियों और अन्य प्रतिष्ठित वक्ताओं द्वारा प्रस्तुत सुझावों और विचारों को संकलित करेगा और सरकार को प्रस्तुत करने के लिए एक नीति पत्र तैयार करेगा.

इस एक दिवसीय संगोष्ठी के दौरान विचार-विमर्श करने वाले अन्य वरिष्ठ वैज्ञानिकों और प्रतिष्ठित व्यक्तियों में डॉ. एच.पी. सिंह, सीएचएआई के संस्थापक एवं अध्यक्ष, डॉ. कौशिक बनर्जी, निदेशक, आईसीएआर-एनआरसी अंगूर, पुणे, डॉ. सैन दास, पूर्व निदेशक, आईसीएआर- डीएमआर, नई दिल्ली, डॉ. ए.के. दीक्षित, पूर्व प्रमुख, कृषि-रसायन विभाग, आईसीएआर-आईएआरआई, डॉ. मान सिंह, प्रोफेसर एवं पूर्व परियोजना निदेशक, डब्ल्यूटीसी, आईसीएआर-आईएआरआई, नई दिल्ली, डॉ. एस. एल. मेहता, पूर्व उपाध्यक्ष चांसलर और डीडीजी, आईसीएआर, डॉ. डी. कानूनगो, पूर्व अतिरिक्त महानिदेशक, स्वास्थ्य और परिवार कल्याण मंत्रालय (एमओएच एंड एफडब्ल्यू), सरकार.

ये भी पढ़ेंः वरिष्ठ वैज्ञानिक डॉ. हिमांशु पाठक आईसीएआर के नए महानिदेशक नियुक्त

 भारत के, डॉ पीके चक्रवर्ती, पूर्व सदस्य, एएसआरबी और एडीजी (पीपी), एमओएच एंड एफडब्ल्यू,  संजय नाथ सिंह, कार्यकारी अध्यक्ष, अखिल भारतीय किसान संघ एवं 'भारत रत्न' पूर्व प्रधान मंत्री स्वर्गीय लाल बहादुर शास्त्री जी के पोते, डॉ प्रवीण राव, पूर्व कुलपति, पीजेटीएसएयू, हैदराबाद, डॉ. सुरेश वालिया, कीटनाशक अवशेष पर एआईएनपी (AINP), कृषि-रसायन विभाग, आईसीएआर-आईएआरआई, नई दिल्ली,  बी वी राव, सलाहकार सम्पादक (डिजिटल), इंडिया टुडे समूह, डॉ प्रेम किशोर, पूर्व प्रमुख, आईसीएआर-आईएआरआई, नई दिल्ली, डॉ बक्शी राम, पूर्व निदेशक, आईसीएआर-एसबीआई, कोयम्बटूर और डॉ एस के पांडेय, प्रमुख, आईसीएआर-एसबीआई, करनाल आदि शामिल थे.

English Summary: India will write a great story in Amritkal with significant contribution of agriculture sector said Director General of ICAR Published on: 27 March 2023, 05:35 PM IST

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