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भारत-अमेरिका टैरिफ विवाद: कृषि और डेयरी उत्पादों पर मतभेद, 5 देशों ने भी किया समझौते से इनकार

India US Trade Dispute: अमेरिका ने भारत पर 50% तक का टैरिफ लगाया है, क्योंकि भारत ने अमेरिकी डेयरी और कृषि उत्पादों को बाजार में प्रवेश देने से इनकार किया. किसानों के हित, धार्मिक कारण और GMO फसलों पर प्रतिबंध इसका मुख्य कारण हैं. पांच देशों ने भी इसी तरह अमेरिका से समझौता नहीं किया.

लोकेश निरवाल
India US Trade Dispute
अमेरिका ने भारत पर 50% टैरिफ लगाया, डेयरी व कृषि उत्पादों को लेकर विवाद गहरा (सांकेतिक तस्वीर)

अमेरिका ने भारत समेत पांच देशों पर आयात टैरिफ बढ़ाने का ऐलान किया है. भारत पर यह टैरिफ 50% तक लगाया गया है. यह कदम दोनों देशों के बीच पिछले चार महीनों से चल रही ट्रेड डील की बातचीत के विफल रहने के बाद उठाया गया. इस विवाद की मुख्य वजह भारत का अमेरिकी डेयरी और कृषि उत्पादों को बाजार में प्रवेश देने से मना करना है.

अमेरिका चाहता था कि भारत उसके दूध, पनीर, घी और अन्य डेयरी उत्पादों के साथ-साथ गेहूं, चावल, मक्का, सोयाबीन, सेब और अंगूर जैसे कृषि उत्पादों पर आयात शुल्क कम करे. लेकिन भारत ने किसानों के हितों, धार्मिक कारणों और खाद्य सुरक्षा को ध्यान में रखते हुए इसे स्वीकार नहीं किया.

भारत का रुख: ‘नॉन-वेज दूध’ और GMO पर सख्ती

भारत दुनिया का सबसे बड़ा दूध उत्पादक देश है और करोड़ों छोटे किसान इस क्षेत्र से जुड़े हैं. सरकार का मानना है कि अमेरिकी डेयरी उत्पादों के आने से स्थानीय किसानों को भारी नुकसान हो सकता है. इसके अलावा, धार्मिक कारण भी एक अहम वजह हैं. अमेरिका में गायों को दिए जाने वाले चारे और उत्पादन प्रक्रिया में जानवरों की हड्डियों से बने एंजाइम, जैसे रैनेट, का इस्तेमाल होता है. भारत में ऐसे उत्पादों को ‘नॉन-वेज दूध’ माना जाता है, जो धार्मिक भावनाओं के खिलाफ है.

अमेरिका चाहता था कि भारत GMO (जीन संवर्धित) फसलों के आयात की अनुमति दे, लेकिन भारत ने इसे खाद्य सुरक्षा, पर्यावरण और किसानों की आजीविका के लिए खतरा बताते हुए साफ इनकार कर दिया.

अन्य चार देश भी अमेरिका से असहमत

भारत के अलावा साउथ कोरिया, कनाडा, स्विट्जरलैंड और आइसलैंड ने भी अमेरिका के साथ कृषि और डेयरी सेक्टर में समझौता करने से इनकार किया है. इन सभी देशों का तर्क है कि वे अपने किसानों के हितों और खाद्य सुरक्षा से समझौता नहीं कर सकते.

साउथ कोरिया: चावल और बीफ पर रोक

अमेरिका ने साउथ कोरिया पर 15% टैरिफ लगाया है. कोरिया अमेरिकी सामानों को टैक्स-फ्री एंट्री देता है, लेकिन चावल और बीफ के बाजार को अपने किसानों के लिए सुरक्षित रखता है. यहां 30 महीने से अधिक उम्र वाले अमेरिकी मवेशियों का बीफ आयात प्रतिबंधित है, ताकि ‘मैड काउ डिज़ीज़’ का खतरा न बढ़े. GMO फसलों पर भी सख्त नियम लागू हैं.

कनाडा: 200-300% तक का टैरिफ

कनाडा पर अमेरिका ने 35% टैरिफ लगाया. कनाडा का ‘सप्लाई मैनेजमेंट सिस्टम’ डेयरी, पोल्ट्री और अंडों के उत्पादन को नियंत्रित करता है. कोटा से बाहर आने वाले विदेशी उत्पादों पर 200-300% तक टैरिफ लगाया जाता है, जिससे स्थानीय किसानों की सुरक्षा होती है.

स्विट्जरलैंड: डेयरी और मांस पर ऊंचा टैक्स

अमेरिका ने स्विट्जरलैंड पर 39% टैरिफ लगाया है. यहां कृषि का 25% हिस्सा डेयरी से जुड़ा है और सरकार किसानों को आर्थिक मदद देती है. विदेशी डेयरी और मांस उत्पादों पर ऊंचा टैक्स लगाकर स्थानीय बाजार को सुरक्षित रखा जाता है.

आइसलैंड: विदेशी उत्पादों पर सख्त नियंत्रण

अमेरिका ने आइसलैंड पर 15% टैरिफ लगाया. यहां विदेशी डेयरी और कृषि उत्पादों पर ऊंचा टैक्स और स्थानीय किसानों को सब्सिडी दी जाती है, ताकि खाद्य सुरक्षा और किसान दोनों सुरक्षित रहें.

अमेरिका का पक्ष

अमेरिका का कहना है कि वह फ्री ट्रेड के लिए प्रतिबद्ध है और सभी देशों को अपने बाजार अधिक खुलने चाहिए, ताकि उपभोक्ताओं को सस्ते और विविध उत्पाद मिल सकें. अमेरिकी अधिकारियों का तर्क है कि उच्च आयात शुल्क और बाजार बंद करने से अंतरराष्ट्रीय प्रतिस्पर्धा घटती है और उपभोक्ताओं को महंगे दाम चुकाने पड़ते हैं.

असर और आगे की राह

भारत और अमेरिका के बीच यह टैरिफ विवाद व्यापारिक रिश्तों में तनाव बढ़ा सकता है. भारत पहले ही अमेरिका के लिए एक बड़ा बाजार है, जबकि अमेरिका भारत का महत्वपूर्ण निर्यात गंतव्य है. अगर यह विवाद लंबा खिंचता है तो दोनों देशों के व्यापारिक हितों को नुकसान पहुंच सकता है. विशेषज्ञों का मानना है कि इस मसले का समाधान बातचीत और आपसी समझ से ही संभव है, ताकि किसानों के हित, उपभोक्ताओं की जरूरत और व्यापारिक संतुलन तीनों को सुरक्षित रखा जा सके.

English Summary: India US Trade Dispute imposes 50 percent tariff on india over dairy agriculture dispute Published on: 12 August 2025, 03:46 PM IST

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