चावल बाज़ार के छेत्र में भारत को एक बड़ी सफलता मिल सकती है। देश की गैर-बासमती चावल चीन में निर्यात किया जा सकता है। इस माह के अंत तक चीनी अधिकारियों का एक दल देश की कुछ गैर-बासमती चावल मिलों का दौरा कर सकते हैं। अधिकारियों के दौरे का मकसद मिलों में स्वच्छता मानकों के अनुपालन की जांच करना है। दौरे के बाद यह दल एक रिपोर्ट तैयार करेगा जिसके बाद चीन भारते के इन मिलों को चावल आयात करने की अनुमति दे सकता है। मौजूदा समय में भआरत से चीन केवल बासमती चावल ही निर्यात की जाती है।
पिछले हफ्ते प्रधान मंत्री नरेंद्र मोदी और चीन के राष्ट्रपति शी चिनफिंग ने शंघाई सहयोग संगठन(एससीओ) के शिखर सम्मेलन के दौरान अलग से एक बैठक कि जिसमें भारत से गैर- बासमती चावल आयात करने के बारे में एक समझौते पर हस्ताक्षर किया गया था। समझौते के तहत भारत से निर्यात किए जाने वाले चावल को चीन में बाहर से आने वाले पादप उत्पादों के आरोग्य एवं स्वच्छता संबंधी कानून और नियमों के अनुकूल होना चाहिए। इसके साथ ही भारत यह सुनिश्चित करेगा कि चीन को निर्यात किए जाने वाले चावल का भंडारण और प्रसंसकरण ट्रोगोडर्मा ग्रेनेरियम और प्रोस्टेफानुस ट्रंकाटस जैसे किटनाशकों से मुक्त हो और उसमें कोई भी जीवित किड़ा भी प्रसंस्करण या भंडारण स्थल पर ना हो।
इससे यह फायदा होगा की चीन के इस कदम से देश को एक बड़ा फायदा होगा और देश को एक बड़ा चावल बाजार मिलने की उम्मीद है।
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