समय के साथ कृषि में भी परिवर्तन तेजी से हो रहा है। पहले के समय में कृषि कार्य के लिए ज्यादा मजदूरों की आवश्यकता होती थी। और मजदूर आसानी से मिल भी जाते थे परन्तु बढ़ते समय के साथ कृषि में मजदूरों की संख्या कम होने लगी इस कमी को पूरी करने के लिए तकनीकी का सहारा लिया। और आज के समय में हम कृषि के लगभग सभी क्षेत्रों में मशीनी टूल्स और कई तरह के तकनीक का उपयोग कर रहे हैं। इन्हीं तकनीकों में ड्रोन एक महत्वपूर्ण भूमिका निभा रहा है।
क्या है ड्रोन ?
ड्रोन एक आधुनिक युग का चालक रहित विमान है इसे कहीं दूर से रिमोट या कम्प्यूटर द्वारा चलाया जा सकता है। एक सामान्य ड्रोन की संरचना चार विंग यानि पंखोवाला होता है। इसलिए इसे क्वाड काॅप्टर भी कहा जाता है। असल में यह नाम इसके उड़ने के कारण इसे मिला यह बिल्कुल एक मधुमख्खी की तरह उड़ता है और एक जगह पर स्थिर भी रह सकता है। ड्रोन को कई तरीकों से वर्गीकृत किया जा सकता है। जैसे उसके उड़ने की ऊंचाई के आधार पर, उसके आकार के आधार पर, उसके वजन उठाने के क्षमता के आधार पर, उसके पहुंच क्षमता के आधार पर इत्यादि परन्तु मुख्य रूप से इसके वायु गतिकीय के आधार पर वर्गीकृत किया गया है।
रोटरी विंग (घुमने वाले पंख)
फिक्सड विंग (स्थिर पंख)
कृषि प्रबंधन में ड्रोन का उपयोग
खेती किसनी के क्षेत्र में ड्रोन के उपयोग की असीन संभावनायें है।
ड्रोन में लगे उच्च क्षमता वाले कैमरों की मदद से फसलों की देखरेख की जा सकती है।
फसलों में अधिक सटीक तरह से छिड़काव के लिए ड्रोन का उपयोग किया जा सकता है। फसलों पर किटनाशकों का छिड़काव जोखिम पूर्ण होता है इन किटनाशकों से गंभीर बिमारी होने का खतरा होता है। सबसे ज्यादा मुश्किल गन्ना, ज्वार, बाजरा जैसी ऊंचाई वाली फसलों में आती है। परन्तु ड्रोन सभी फसलों में आसानी से बहुत ही कम समय लेते हुये सुरक्षित रूप से यह काम पूर्ण कर देता है।
ड्रोन में लगे विभिन्न प्रकार के संेसर से फसलों में होने वाली बीमारियो कीड़े और खरपतवार का सटिक रूप से पता लगाया जा सकता है।
ड्रोन की सहायता से मृदा एवं क्षेत्र का आसानी से विश्लेषण किया जा सकता है।
मृदा की आवश्यकता के अनुसार परिवर्तनीय दर से उर्वरक के छिड़काव में उपयोग किया जा सकता है।
पशुओं पर नजर रखने के लिए भी इसका उपयोग किया जा सकता है। ब्रिटेन में किसान इस तकनीक से पशुओं पर नजर रख सकते है।
भूमि में पोषक तत्व की स्थिति एवं मृदा का स्वास्थ्य पर प्रभाव, मृदा में नमी इत्यादि का भी आसानी से पता लगाया जा सकता है।
सटीक कृषि में ड्रोन की उपयोगिता महत्वपूर्ण है यह लगने वाले उर्वरक, पोषकतत्व, किटनाशकों आदि की मात्रा में कमी लाती है।
ड्रोन का एक बेहतरीन इस्तेमाल पिछले दिनों महाराष्ट्र में देखने को मिला जब सूखा राहत के लिए, सूखे का सर्वेक्षण कराने का काम राज्य सरकार ने ड्रोन्स के हवाले किया। ऐसा ही एक और अच्छा उदाहरण हरियाणा में देखने को मिला जब फसल क्षति के मूल्यांकन का काम ड्रोन्स की सहायता से किया गया।
ड्रोन की आवश्यकता
कृषि कार्य करने वाले कुशल व्यक्ति एवं मजदूरों की कमी व समय पर कार्य खत्म करने का बोझ, सटिकता एवं सुरक्षित तरीके से काम करने की चाहत, इन सब परेशानियों के लिए ड्रोन तकनीक वरदान बनकर किसानों के सामने प्रस्तुत हुई है। इस तकनीक ने कृषि के लगभग सभी क्षेत्रों में अपनी उपस्थिति शानदार तरीके से दर्ज कराई है।
वर्तमान समय में यह कहना भी गलत होगा की यह तकनीक पूर्ण रूप से स्थाई हो चुकी है क्योंकि अभी भी इसमें कमियां मौजूद है जैसे इसकी वजन उठाने की क्षमता और लघु किसानों के लिए कीमत की समस्या आदि अस्थायी रूप से है। और हम यह उम्मीद करते है की समय के साथ इन सब कमियों का भी निपटारा हो जाएगा।
हेमन्त कुमार, एम.टेक. (एफ.एम.पी.ई.)
विजया रानी, असोसिएट प्रोफेसर (एफ.एम.पी.ई.)
चैधरी चरण सिंह हरियाणा कृषि विश्वविद्यालय
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