देश में सिंचाई प्रणाली के सहारे सिंचाई के पानी के आर्थिक उपयोग की दक्षता को बढ़ाने के लिए रायपुर के इंदिरा गांधी कृषि विश्वविद्यालय ने संयुक्त रूप से मृदा और जल इंजीनियरिंग विभाग, कृषि अभियात्रिकी और प्रदोयोगिकी महाविद्यालय एवं अनुसंधान स्टेशन मे 9 से 11जुलाई तक तीन दिवसीय सिंचाई जल प्रबंधन पर अखिल भारतीय समन्वित अनुसंधान परियोजना के मुख्य वैज्ञानिकों के बैठक का आयोजन किया गया है. इस अहम बैठक में देशभर के सिंचाई जल प्रबंधन पर अखिल भारतीय समन्वित अनुसंधान परियोजना के कुल 80 से अधिक वैज्ञानिकों ने इसमें भाग लिया.
यह अतिथि थे मौजूद
डॉ. एस. के. पाटिल, कुलपति, इंदिरा गांधी कृषि विश्वविद्यालय, रायपुर ने उद्घाटन समारोह की अध्यक्षता की. डॉ. एस.के. अंबास्ट, निदेशक, भाकृअनुप-भारतीय जल प्रबंधन संस्थान, भुवनेश्वर और प्रो.डी.के. मारोठिया, राष्ट्रीय समन्वयक, एकीकृत प्राकृतिक संसाधन प्रबंधन केंद्र, राष्ट्रीय पारिस्थितिकी संस्थान, नई दिल्ली और पूर्व अध्यक्ष, सीएसीपी, भारत सरकार उद्घाटन समारोह में विशेष अतिथि के तौर पर मौजूद रहे.इस अवसर पर विभिन्न क्षेत्रों और भाकृअनुप-संस्थानों के वरिष्ठ अधिकारी भी उपस्थित थे।
कई कार्यक्रमों को प्रस्तुत किया
वैज्ञानिकों ने वर्ष 2018-19 के दौरान प्राप्त उपलब्धियों और वर्ष 2019-20 के लिए नए प्रौद्योगिकी कार्यक्रम प्रस्तुत किए. बैठक के दौरान दबाव और सिंचाई प्रणाली के माध्यम से सिंचाई के पानी के आर्थिक उपयोग के साथ सतह और भूजल सिंचाई के तहत पानी के उपयोग की दक्षता बढ़ाने के लिए स्थान-विशिष्ट जल प्रबंधन प्रौद्योगिकियों के विकास संबंधी प्रमुख मुद्दों और परीक्षणों पर चर्चा की गई. डॉ.सी.एल.आचार्य, पूर्व निदेशक, भाकृअनुप-भारतीय मृदा विज्ञान संस्थान, भोपाल और पूर्व सदस्य, क्यूआरटी (QRT), सिंचाई जल प्रबंधन पर अखिल भारतीय समन्वित अनुसंधान परियोजना भी इस कार्यक्रम के दौरान मौजूद थे.
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