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सौदा पत्रक की जानकारी के अभाव में दूरदराज़ के किसान कम दामों में ही बेच रहे हैं अपनी उपज

मध्यप्रदेश की बड़ी मंडियों में से अगर मंदसौर कृषि उपज मंडी की बात करे तो जहां पहले लहसुन की उपज बेचने के लिए किसानों को दो-तीन दिन इंतजार करना पड़ता था. वह कोरोना वायरस के चलते लॉक डाउन है और अभी मंडी खाली है. पहले मन्दसौर मंडी में एक दिन की 20 हजार क्विंटल लहसुन की आवक होती थी. अब देखें तो आवक बिल्कुल कम हैं. किसान अपनी उपज बेच सके इसके लिए नीलाम बंद कर सौदा पत्रक के माध्यम से उपज मंडी व्यापारी ले रहे है. लेकिन यह सौदा पत्रक जिला मुख्यालय और उसके आसपास के गांवों तक ही सीमित है. दूरदराज के गांवों में रहने वाले किसानों को तो सौदापत्रक की जानकारी भी नहीं है. और उन्होंने बिना सौदा पत्रक के ही अपनी उपज व्यापारी को बेच दी है. मंदसौर मंडी में पिछले तीन दिनों से सौदापत्रक से लहसुन लेने का कार्य बंद था. लेकिन अभी प्रशासन ने मंडी चालू कर दी है जो 3 दिन से फिर शुरु कर दिया गया है. परन्तु आवक नहीं है. गुडारिया ददा के किसान विनोद पाटीदार ने बताया कि सौदापत्रक की किसानों को जानकारी नहीं है. और यह निर्णय भी देरी से लिया गया. मैं हमेशा मंदसौर में उपज बेचता था. लेकिन इस बार लहसुन का भाव नहीं मिल पा रहा है. पहले मंडी में नीलामी पर किसान को अच्छे भाव मिलते थे. और बिना सौदा पत्रक के ही दी है. बुडा गाँव के किसानों से पूछा तो सौदापत्रक की जानकारी नहीं है. उनका कहना है की मंडी में भाव नीलामी में अच्छे मिल जाते थे लेकिन व्यापारियों द्वारा गाँव में ही सौदापत्रक से हमको उपज बेचना पड़ रहा है. 2700 रुपए से लेकर 4000 रुपए तक लहसुन के भाव मिल रहे है. वो ही पहले मंडी की बात करें तो 3000रू से 5000रू का भाव मिलते थे. सरकार किसानों की बात करती है लेकिन किसान परेशान है. किसानों को सौदापत्रक की जानकारी नहीं है.

अशोक परमार

मध्यप्रदेश की बड़ी मंडियों में से अगर मंदसौर कृषि उपज मंडी की बात करे तो जहां पहले लहसुन की उपज बेचने के लिए किसानों को दो-तीन दिन इंतजार करना पड़ता था. वह कोरोना वायरस के चलते लॉक डाउन है और अभी मंडी खाली है. पहले मन्दसौर मंडी में एक दिन की 20 हजार क्विंटल लहसुन की आवक होती थी. अब देखें तो आवक बिल्कुल कम हैं. किसान अपनी उपज बेच सके इसके लिए नीलाम बंद कर सौदा पत्रक के माध्यम से उपज मंडी व्यापारी ले रहे है. लेकिन यह सौदा पत्रक जिला मुख्यालय और उसके आसपास के गांवों तक ही सीमित है. दूरदराज के गांवों में रहने वाले किसानों को तो सौदापत्रक की जानकारी भी नहीं है. और उन्होंने बिना सौदा पत्रक के ही अपनी उपज व्यापारी को बेच दी है.

मंदसौर मंडी में पिछले तीन दिनों से सौदापत्रक से लहसुन लेने का कार्य बंद था. लेकिन अभी प्रशासन ने मंडी चालू कर दी है जो 3 दिन से फिर शुरु कर दिया गया है. परन्तु आवक नहीं है. गुडारिया ददा के किसान विनोद पाटीदार ने बताया कि सौदापत्रक की किसानों को जानकारी नहीं है. और यह निर्णय भी देरी से लिया गया. मैं हमेशा मंदसौर में उपज बेचता था. लेकिन इस बार लहसुन का भाव नहीं मिल पा रहा है. पहले मंडी में नीलामी पर किसान को अच्छे भाव मिलते थे. और बिना सौदा पत्रक के ही दी है. बुडा गाँव के किसानों से पूछा तो सौदापत्रक की जानकारी नहीं है. उनका कहना है की मंडी में भाव नीलामी में अच्छे मिल जाते थे लेकिन व्यापारियों द्वारा गाँव में ही सौदापत्रक से हमको उपज बेचना पड़ रहा है. 2700 रुपए से लेकर 4000 रुपए तक लहसुन के भाव मिल रहे है. वो ही पहले मंडी की बात करें तो 3000रू से 5000रू का भाव मिलते थे. सरकार किसानों की बात करती है लेकिन किसान परेशान है. किसानों को सौदापत्रक की जानकारी नहीं है.

मंदसौर कृषि उपज मंडी सचिव जेके चौधरी ने बताया कि 15 अप्रैल से 30 अप्रैल तक 22 हजार क्विंटल लहसुन की आवक हुई है. पहले एक दिन में 20 हजार क्विंटल की आवक होती थी. अभी किसानों की उपज व्यापारी सौदापत्रक के माध्यम से ले रहे है. 3  दिनों से सौदापत्रक के जरिए लहसुन लेना फिर से शुरु हो गया है. अभी लहसुन की भाव 3500  रूपए से लेकर 5000रु प्रति क्विटंल चल रहा है. 15 अप्रैल से सौदापत्रक से ही उपज ली जा रही है. किसानों का कहना है कि सौदा पत्रक के माध्यम से उपज का भाव 200/300 रू कम मिलते है वो मंडी में नीलामी से उपज का भाव अच्छा मिलता है.

क्या होता है सौदा पत्रक -

सौदा पत्रक ऐसी प्रक्रिया है जिसमें अपनी मर्ज़ी से किसान अपने अनाज को कहीं भी किसी भी व्यापारी को बेच सकता है और व्यापारी को खरिदे हुए माल (अनाज) की जानकारी मंडी प्रशासन को देना होती है. सौदा पत्रक में वो ही व्यापारी शामिल होगा जो मंडी लाइसेंसी होगा. सौदा पत्रक में मंडी प्रशासन द्वारा कुछ खास कार्य नहीं किया जाता है केवल निगरानी करता है. सौदा पत्रक में किसानों से अनाज के 2 सेम्पल लिए जाते है एक व्यापारी की ओर एक मंडी को भी सेम्पल दिया जाता है ताकी कोई विवाद ना हो और अनाज की गुणवत्ता के आधार सौदा किया जाता है.

फ़सल का भुगतान- प्रशासन द्वारा भुगतान को लेकर कुछ खास परिवर्तन किये गए हैं. 2 लाख तक का भुगतान किया जा सकता है और उससे अधिक होने पर शेष राशि खाते में दी जायेंगी.
व्यापारियों द्वारा किसान के खेत में जाकर भी व्यापार कर सकते है. सौदा पत्रक ख़रीदीं वर्ष से चली थी. मंडी में नीलामी नहीं होंगी केवल सौदा पत्रक पर समझौते पर खेत की उपज को व्यापारी द्वारा खरिदा जाएगा. कोरोना महामारी के चलते किसानों को दी जाने वाली कई प्रकार की सुविधा.प्रशासन ने किसानों से फ़सल समर्थन मूल्य पर खरिदी 15 अप्रैल से चालू की गई है.

सौदा पत्रक में हो रहा है किसानों को नुक़सान-

मप्र सरकार द्वारा covid19  संक्रमण के चलते lock down है जिसमें किसानों को राहत देने के लिए सौदा पत्रक व्यवस्था को लागू किया है जिसमें किसान को अपनी फ़सल का दाम नही मिल पा रहा है और किसानों पर सौदा पत्रक की जानकारी का अभाव देखा गया है.

English Summary: In the absence of information on deal sheets, remote farmers are selling their produce at low prices. Published on: 14 May 2020, 12:15 PM IST

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