देश के अधिकतर राज्यों में मानसून दस्तक दे चुका है. ऐसे में कृषि वैज्ञानिकों ने किसानों को खरीफ फसलों की बुवाई संबंधित ज़रूरी सलाह दी है. जिन किसानों के क्षेत्र में मानसून की बारिश चुकी है, उन किसानों को खेती संबंधी कुछ ज़रूरी काम पर विशेष ध्यान देना है.
मानसून संबंधी ज़रूरी सलाह
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किसानों को खेतों की जुताई कर लेनी चाहिए.
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खरीफ फसलों में धान, मक्का, तिल, सोयाबीन, अरहर, उड़द, मूंग, मूंगफली आदि की बुवाई कर सकते हैं.
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फसलों की बुवाई से पहले बीजों को उपचारित ज़रूरी कर लें.
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धान की बुवाई में मैट टाईप नर्सरी डाल सकते हैं.
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धान की बुवाई के 18 से 20 दिन बाद प्रति एकड़ में विसपायरीबैक सोडियम 100 मि.ली.प्रति एकड़ या फिनांकसाप्राप पी इथाइल (30) 250 मि.ली. का छिडकाव कर सकते हैं.
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धान की बुवाई वाले क्षेत्र के लगभग 1/10 भाग में नर्सरी तैयार करें.
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मोटा धान वाली किस्मों की मात्रा 50 कि.ग्राम प्रति हेक्टेयर रखें.
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पतला धान की किस्मों की मात्रा 40 कि.ग्राम प्रति हेक्टेयर की दर से बीज डालें.
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इसके बीजों को 15 से 17 प्रतिशत नमक के घोल में डालकर रख दें.
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इसके बाद बीजों को साफ पानी से धोकर छाया में सुखा लें.
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इसी तरह मूंगफल्ली, सोयाबीन और अरहर की फसल के लिए जल निकास की व्यवस्था कर लें. इसके बाद ही फसलों की बुवाई करें.
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सोयाबीन समेत अन्य दलहनी फसलों के बीजों को राइजोबियम कल्चर 5 ग्राम और पी.एस.बी.10 ग्राम प्रति कि.ग्राम की दर से उपचारित कर लें.
मानसून में पशुपालन संबंधी सलाह
मानसून की बारिश होते ही पशुओं में गलाघोंटू रोग होने की संभावना ज्यादा होती है. इसके साथ ही एक टंगिया रोग होने की संभावना ज्यादा रहती है. ऐसे में पशुपालक और किसानों को सलाह दी गई है कि इस स्थिति में पशु चिकित्सालय या चिकित्सक से संपर्क कर लें, साथ ही पशुओं में टीकाकरण करवा लें. इसके अलावा मुर्गियों में रानीखेत रोग होने का खतरा रहता है. इसके लिए पहला टिका F-1 सात दिनों के अंदर लगवा लें और दूसरा R2B का टीका 8 सप्ताह की उम्र में लगवा लें.
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