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धारा 370 हटने के बाद से भारत और पाकिस्तान के बीच तनाव का माहौल जारी है. दोनों ही देशों ने पिछले कुछ महीनों से किसी भी प्रकार के एग्रो कमोडिटी का ना तो आयात किया है और ना ही निर्यात किया है. जिस वजह से दोनों ही देशों के किसानों एवं व्यपारियों को भारी नुकसान हो रहा है. सबसे अधिक प्रभाव चाय, कपास और टमाटर के व्यापार पर पड़ा है. बता दें कि भारत से पाकिस्तान इन उत्पादों का आयात करता है. वहीं भारत में भी पाकिस्तान से खजूर, आम और प्याज का निर्यात बंद है. भारी घाटें को देखते हुए अब दोनों देशों के निर्यातकों ने दूसरे देशों का रुख करना शुरू कर दिया है.
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पाकिस्तान में चाय हुआ महंगाः
इस साल के पहले 7 महीनों में भारत से चाय का निर्यात 33.59 पर्सेंट घटकर 58.9 लाख टन रहा, जो पिछले साल की इसी अवधि में 88.7 लाख टन था. पाकिस्तान अधिकतर दक्षिण भारत से और कुछ मात्रा में असम से चाय का आयात करता है. साउथ इंडियन टी एक्सपोर्टर्स असोसिएशन के प्रेसिडेंट दीपक शाह ने कहा, 'पाकिस्तान ने भारत से चाय खरीदना बिल्कुल बंद कर दिया है. अब हम चाय बेचने के लिए मलयेशिया, इराक और पश्चिम अफ्रीकी देशों में संभावनाएं तलाश रहे हैं. नए बाजार में जगह बनाना मुश्किल है, लेकिन हम इसकी पूरी कोशिश कर रहे हैं. इनमें कुछ देशों की बैंकिंग व्यवस्था खराब है, जिससे भुगतान प्रभावित होता है. इराक को दुबई के रास्ते चाय भेजी जा रही है.'
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दशक में 4 गुना बढ़ा था कपास का निर्यात
पिछले एक दशक में भारत से पाकिस्तान को कपास के निर्यात में चार गुना बढ़ोतरी हुई है. 2008 में यह निर्यात 1,352 करोड़ रुपये का था, जो 2018 में बढ़कर 5,182 करोड़ रुपये का हो गया था. भारत के कुल कपास निर्यात में 10 पर्सेंट हिस्सेदारी पाकिस्तान की है. यह पिछले एक दशक में बढ़कर चार गुना हो गया है. भारत से पाकिस्तान को होने वाले कुल निर्यात में 32 पर्सेंट हिस्सा कपास का है. अभी भारत में इसकी अगली फसल का इंतजार किया जा रहा है, लेकिन अभी तक निर्यात खास नहीं रहा है.
कपास निर्यात में चीन से होगी भरपाई!
बहरहाल नवंबर-दिसंबर से शुरू होने वाले नए सीजन के निर्यात पर कॉटन असोसिएशन ऑफ इंडिया के वाइस प्रेसिडेंट बीएस राजपाल ने कहा, 'हम अगले साल चीन को भारी मात्रा में कपास का निर्यात करने की उम्मीद कर रहे हैं. इससे पाकिस्तान को होने वाले निर्यात में जो गिरावट आई है, उसकी भरपाई हो सकेगी.'
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