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अब बिना मिट्टी के भी उगेंगी महंगी फसलें, IIT कानपुर ने बनाई नई तकनीक!

IIT कानपुर की इस क्रांतिकारी तकनीक में हाइड्रोपोनिक्स और एरोपोनिक्स प्रणाली का उपयोग किया गया है, जिससे बिना मिट्टी के केसर, स्ट्रॉबेरी और ब्लैकबेरी जैसी फसलें उगाई जा सकती हैं. यह पद्धति कम पानी, कम जगह और पोषक तत्वों के नियंत्रित उपयोग से अधिक उत्पादन सुनिश्चित करती है, जिससे किसानों को लाभ होगा.

लोकेश निरवाल
Farming Technology
IIT कानपुर की क्रांतिकारी तकनीक: बिना मिट्टी के उगेंगी केसर, स्ट्रॉबेरी और ब्लैकबेरी (सांकेतिक तस्वीर)

भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान (IIT) कानपुर ने कृषि क्षेत्र में एक नई और क्रांतिकारी तकनीक विकसित की है, जिससे खेती की दुनिया में बड़ा बदलाव आने वाला है, क्योंकि IIT कानपुर के स्टार्टअप 'एक्वा सिंथेसिस' ने ऐसी तकनीक विकसित की है, जिससे केसर, स्ट्रॉबेरी और ब्लैकबेरी जैसी फसलें बिना मिट्टी के सिर्फ पानी और तकनीक के सहारे उगाई जा सकेंगी. इस तकनीक से किसानों को कम पानी, कम जगह और बिना मिट्टी के खेती करने की सुविधा मिलेगी.

IIT कानपुर की यह पहल विशेष रूप से उन क्षेत्रों के लिए फायदेमंद होगी जहां मिट्टी की गुणवत्ता खेती के लिए उपयुक्त नहीं होती या जहां पारंपरिक खेती करना कठिन है. यह आधुनिक पद्धति किसानों की आय बढ़ाने और उच्च गुणवत्ता वाली फसल उत्पादन में मदद करेगी. वैज्ञानिकों का मानना है कि यह तकनीक भारत में कृषि के भविष्य को बदल सकती है और कम संसाधनों में अधिक उत्पादन सुनिश्चित कर सकती है.

कैसे काम करती है यह नई तकनीक?

  • यह तकनीक हाइड्रोपोनिक्स और एरोपोनिक्स प्रणाली पर आधारित है, जिसमें पौधों को आवश्यक पोषक तत्व पानी और हवा के माध्यम से मिलते हैं.
  • इसमें मिट्टी की बजाय एक विशेष लेयर, पोषक तत्वों से भरपूर पानी और सेंसर का उपयोग किया जाता है.
  • फसलों की जड़ों तक पोषक तत्व सीधे पानी के माध्यम से पहुंचाए जाते हैं, जिससे पौधे स्वस्थ और समृद्ध होते हैं.
  • यह तकनीक पूरी तरह से AI (आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस), IoT (इंटरनेट ऑफ थिंग्स), सेंसर और मशीन लर्निंग (ML) से लैस है.

IIT कानपुर के प्रोफेसर ने क्या कहा?

IIT कानपुर के प्रोफेसर इंचार्ज दीपू फिलिप के अनुसार:

  • इस तकनीक में मिट्टी की आवश्यकता पूरी तरह खत्म हो जाती है.
  • पानी की बचत होती है, जिससे पर्यावरण को फायदा मिलेगा.
  • पौधों की पोषण ज़रूरतें कोकोपीट और अन्य लेयर्स के माध्यम से पूरी की जाती हैं.
  • स्मार्ट सेंसर तापमान और नमी को नियंत्रित कर पौधों के लिए आदर्श माहौल बनाते हैं.

कितना आता है खर्च?

  • पहले 1 स्क्वायर फीट खेती में करीब 2500 रुपये का खर्च आता था.
  • इस तकनीक से खर्च घटकर 700-800 रुपये तक आ गया है.
  • यानी लागत तीन गुना तक कम हो गई है, जिससे किसानों को अधिक मुनाफा होगा.

किसानों और आम लोगों के लिए फायदेमंद

  • इस तकनीक को घर की छत, कमरे या किसी भी छोटी जगह पर अपनाया जा सकता है.
  • किसानों को कम लागत में ज्यादा उत्पादन मिलेगा.
  • मिट्टी की जरूरत खत्म होने से बंजर भूमि या शहरी क्षेत्रों में भी खेती संभव होगी.
  • इस टेक्नोलॉजी का पेटेंट हो चुका है, जिससे यह सुरक्षित और विश्वसनीय है.

हर घर में खुशहाली की नई उम्मीद

IIT कानपुर की यह क्रांतिकारी तकनीक खेती के तरीके को पूरी तरह बदल सकती है. अब किसान केसर, स्ट्रॉबेरी और ब्लैकबेरी जैसी महंगी फसलें भी आसानी से उगा सकते हैं. यह न सिर्फ कृषि क्षेत्र को नई ऊंचाइयों पर ले जाएगा, बल्कि पर्यावरण संरक्षण और जल बचत में भी मददगार साबित होगा. अगर आप भी खेती में नई तकनीकों को अपनाना चाहते हैं, तो यह हाइड्रोपोनिक्स तकनीक आपके लिए बेहतरीन विकल्प हो सकती है!

English Summary: Iit Kanpur revolutionary technology soilless saffron strawberry blackberry Published on: 18 March 2025, 05:39 PM IST

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