देश में पिछले कई वर्षों से कृषि पर अलग-अलग तरह से अनुसंधान किए जा रहे हैं। कई विभाव के वैज्ञानिक अनुसंधान के जरिए कृषि प्रधान देश भारत को आगे बढ़ाने के हर संभव प्रयास कर रहे हैं। और इस बार कृषि क्षेत्र में मध्यप्रदेश वन विभाग ने वैज्ञानिकों की सहायता से सफलता हासिल की है। देश में पहली बार इनहें बैक्टिरिया और फंगस से किफायती और अति-गुणवत्तापूर्ण खाद बनाने में सफलता हासिल की है। वहीं इसकी खूबी की बात करें तो यह पौधों को स्मार्ट, स्वस्थ्य और बुद्धिमान बनाएगी। पौधे खुद ही मिट्टी की सहायता से सुक्षम पोष्ण ग्रहण कर लेंगे। वहीं फंगस और सात तरह के बैक्टिरिया से विकसित खाद की लागत भी बिल्कुल कम है मात्र 2-3 पैसा।
पौधे खुद अपनी जरूरत के अनुसार सुक्षम तत्वों को इस्तेमाल करेगा
बैक्टिरिया स्पन्ज के समान नमी सोखेगा और फंगस दूसरे पौधों तथा खरपतवार के आक्रमण से बचायेगा। फास्फोरस भी घुलनशील रूप में पौधों को मिल सकेगा। यह प्राकृतिक खाद पौधों को सभी तरह के खतरों से बचाते हुए सभी को स्वस्थ्य,निरोगी और शीघ्र वृद्धि करने में बहुत मददगार होगी। यह खाद पौधों को बीमारियों और संक्रमण से बचाने के साथ-साथ उनकी रोग प्रतिरोधक क्षमता भी मजबूत बनाएगी।
वहीं इस विषय पर काम कर रहे एक अधिकारी ने बताया कि इस बायोडिग्रेबल और बायोडाइजेस्टर खाद को सोयाबीन रिसर्च सेंटर के वैज्ञानिक डॉक्टर बी.पी. बुन्देला और डॉ. सतीश अग्रवाल की मदद से तैयार किया गया है। खाद को तैयार करने की विधि के बारे में उन्होंने कहा कि इसमें मात्र एक से दो ग्राम फंगस एवं बैक्टिरिया की जरूरत होती है। यह एक डेढ़ किलो भूसे में मिलाकर तैयार किया जाता है। वेल्यू एडिशन के लिये इसे वर्मी कम्पोस्ट में मिला दिया जाता है। यह खाद मात्र 45 दिनों में तैयार हो जाती है।
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