
भारतीय कृषि अनुसंधान संस्थान (आईसीएआर-आईएआरआई), नई दिल्ली के जेनेटिक्स क्लब एवं ग्रेजुएट स्कूल द्वारा 32वें डॉ. बी. पी. पाल स्मृति व्याख्यान का आयोजन किया गया. यह कार्यक्रम भारतीय कृषि के क्षेत्र में अग्रणी वैज्ञानिक और दूरदर्शी डॉ. बी. पी. पाल की स्मृति और योगदान को समर्पित था. 28 मई 2025 को यह व्याख्यान आईएआरआई के एग्रीकल्चरल इंजीनियरिंग डिवीजन के सभागार में आयोजित हुआ, जिसमें वक्ता डॉ. एम. एल. जाट, सचिव, कृषि अनुसंधान और शिक्षा विभाग (DARE) एवं महानिदेशक, आईसीएआर थे. उन्होंने "विकसित भारत @2047 के लिए विषयवस्तु-केंद्रित कृषि से समग्र कृषि-खाद्य प्रणाली की ओर परिवर्तन" विषय पर व्याख्यान दिया. इस सत्र की अध्यक्षता डॉ. आर. एस. परोदा, अध्यक्ष, टीएएएस एवं पूर्व सचिव, DARE तथा पूर्व महानिदेशक, आईसीएआर ने की.
कार्यक्रम की शुरुआत टीजीएस कोयर द्वारा सरस्वती वंदना के साथ हुई, तत्पश्चात दीप प्रज्वलन और डॉ. बी. पी. पाल को पुष्पांजलि अर्पित की गई. डॉ. अनुपमा सिंह, संयुक्त निदेशक (शिक्षा) एवं डीन, आईसीएआर-आईएआरआई ने सभी अतिथियों का स्वागत किया. डॉ. सी. एच. श्रीनिवास राव, निदेशक एवं कुलपति, आईसीएआर-आईएआरआई ने डॉ. बी. पी. पाल के भारतीय कृषि में अमूल्य योगदान पर प्रकाश डाला और अध्यक्ष का परिचय कराया. डॉ. परोदा ने डॉ. पाल को श्रद्धांजलि अर्पित करते हुए मुख्य वक्ता का परिचय दिया.

डॉ. जाट ने अपने व्याख्यान में जोर देते हुए कहा कि विकसित भारत @2047 के लक्ष्य को प्राप्त करने के लिए—जिसका केंद्रबिंदु युवा, महिलाएं, किसान और गरीब हैं—हमें कृषि विज्ञान, नवाचार और विस्तार की एक मजबूत नींव की आवश्यकता है. उन्होंने पर्यावरणीय क्षरण, जैव विविधता की हानि, जलवायु परिवर्तन और पोषण असुरक्षा जैसी चुनौतियों से निपटने के लिए समग्र, समावेशी दृष्टिकोण की आवश्यकता पर बल दिया. उन्होंने भारतीय कृषि के रूपांतरण के लिए कुछ प्रमुख रणनीतिक प्राथमिकताएं रेखांकित कीं—स्थानीय खाद्य प्रणालियों को सशक्त बनाना, जलवायु-लचीले और पुनरुत्पादक परिदृश्यों को बढ़ावा देना, मांग एवं बाजार-आधारित अनुसंधान को आगे बढ़ाना, जलवायु जोखिम को कम करने हेतु विशेष कृषि क्षेत्र स्थापित करना, और "वन हेल्थ" ढांचे के अंतर्गत गुणवत्तापूर्ण विज्ञान और बहु-क्षेत्रीय समन्वय को बढ़ावा देना. उन्होंने "देश के लक्ष्यों में अपने विज्ञान को समाहित करने" का आह्वान करते हुए कृषि अनुसंधान एवं विकास (AR4D) में "वन-नारेस", बहु-विषयक अनुसंधान प्राथमिकताओं, एआई/एमएल का समावेश, मांग-आधारित सह-निर्माण नवाचार और मजबूत डेटा पारिस्थितिकी तंत्र की आवश्यकता पर बल दिया. साथ ही "भविष्य के लिए किस्म विकास", गुणवत्तापूर्ण मानव संसाधन, सशक्त कृषि शिक्षा प्रणाली, तकनीक-सक्षम विस्तार एवं व्यावसायिक योजनाएं जो विकसित भारत के लक्ष्यों से मेल खाएं—इन सभी की आवश्यकता बताई.
डॉ. परोदा ने अपने संबोधन में प्रणालीगत दृष्टिकोण और तत्काल कार्रवाई की आवश्यकता को दोहराया. उन्होंने संयुक्त प्रयासों और सुदृढ़ कृषि शिक्षा प्रणाली की आवश्यकता पर भी बल दिया. इस अवसर पर आईएआरआई सहित एनबीपीजीआर, एनआईआईपीएम, एनआईएपी और एनआईपीबी जैसे सहयोगी संस्थानों के वैज्ञानिक, शिक्षक और छात्र उपस्थित थे. धन्यवाद ज्ञापन डॉ. हर्ष कुमार दीक्षित, प्रोफेसर एवं अध्यक्ष, जेनेटिक्स क्लब, आईसीएआर-आईएआरआई ने प्रस्तुत किया. यह स्मृति व्याख्यान विज्ञान-आधारित, समावेशी और सतत कृषि परिवर्तन हेतु आईएआरआई की प्रतिबद्धता को दोहराता है, जो विकसित भारत @2047 की राष्ट्रीय परिकल्पना से जुड़ा हुआ है.
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