जहां महेंद्र सिंह धोनी (Mahendra Singh Dhoni) क्रिकेट में अपनी कैप्शनशिप और सरल स्वभाव के लिए जाने जाते है, वहीं उनकी रूचि हमेशा से आर्गेनिक फार्मिंग (Organic Farming) में भी रही है. जिस तरह इन्होंने क्रिकेट में अपना लोहा मनवाया है, उसी ही तरह उन्होंने पशुपालन (Animal Husbandry) से भी लोगों को अपना दीवाना बना रखा है. धोनी की एक खासियत हमेशा से रही है कि अपनी किस्मत आजमाते हैं, वहां सोना ही सोना निकलता है. यही कड़कनाथ मुर्गे (Kadaknath Chicken) के बिज़नेस में भी हुआ.
धोनी और कड़कनाथ (Dhoni and Kadaknath)
मुर्गों की प्रजातियों में कड़कनाथ हमेशा ही सुर्ख़ियों में बना रहता है, क्योंकि यह अपने काले रंग-रूप के लिए जाना जाता है. जैसे ही इंटरनेशनल क्रिकेट से संन्यास लेने के बाद कैप्टन कूल ने मध्य प्रदेश के खास कड़कनाथ मुर्गे की फार्मिंग शुरू की, वैसे ही यह कारोबार पूरे झारखंड में तेजी से आगे बढ़ने लगा. इसकी वजह से कड़कनाथ काफी डिमांड में है और मुर्गी पालन में बेहतर कमाई का जरिया भी बना हुआ है.
कड़कनाथ की ख़ासियत (Specialties of Kadaknath)
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कड़कनाथ मुर्गों (Kadaknath Chicken) में फैट और कोलेस्ट्रोल बहुत ही कम होता है, जबकि इसमें प्रोटीन की भरमार होती है.
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स्वास्थ्य से जुड़े फायदों की वजह से ही इसकी कीमत भी 1000 रुपये से 1200 रुपये प्रति किलो तक होती है.
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इस मुर्गो को 1 किलो का होने में करीब 8 महीने का वक्त लग जाता है
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इसके अंडे भी करीब 30-35 रुपये में बिकते हैं और अंडे देनी वाली कड़कनाथ मुर्गी तो 3-4 हजार रुपये में बिकती है.
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उत्तराखंड, यूपी, बिहार, मध्य प्रदेश, छत्तीसगढ़, गुजरात और राजस्थान जैसे राज्यों में भी इसकी फार्मिंग डिमांड में है.
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बता दें कि कड़कनाथ भारत का एकमात्र काले मांस वाला मुर्गा है. दूसरे मुर्गों के मुकाबले ये सिर्फ चार से पांच महीने में तैयार हो जाता है. बाजार में यह 2000 रुपये तक में बिकता है. गौर करने वाली बात यह है कि कोरोना काल के चलते पोल्ट्री कारोबार भी मंदी की चपेट में है. इसके बावजूद कड़कनाथ मुर्गा पालने वाले किसान फायदा उठा रहे हैं. अपनी खासियत के चलते कड़कनाथ की डिमांड दिनोंदिन बढ़ रही है.
कई किसानों का तो ये तक कहना है कि हमने महेंद्र सिंह धोनी (Mahendra Singh Dhoni) से प्रेरित होकर कड़कनाथ मुर्गे की फार्मिंग शुरू की है, क्योंकि हमेशा उन्होंने अपनी मिसाल पेश की है.
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