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डॉ बी आर बारवाले को भावभीनी श्रधांजलि एवं शत शत नमन

डॉ बीआर बारवाले का जन्म 1931 में महराष्ट्र के हिंगोली में हुआ था और उन्होंने 1950 के दशक में भारत में अपने परिवार की जमीन पर खेती शुरू की थी, नई दिल्ली में वर्ल्ड एग्रीकल्चरल फेयर में उन्हें दिए जाने वाले उच्च उपज भिन्डी (ओक्रा) हाइब्रिड के साथ प्रयोग करते हुए। उन्होंने उच्च दक्षता के बीज की खेती की और उन्हें किफायती मूल्य के लिए क्षेत्र के किसानों को बेचना शुरू कर दिया। यह महाराष्ट्र हाइब्रिड सीड्स कं (महिको) की शुरुआत थी।

 

डॉ बीआर बारवाले   का जन्म 1931 में महराष्ट्र के हिंगोली में हुआ था और उन्होंने 1950 के दशक में भारत में अपने परिवार की जमीन पर खेती शुरू की थी, नई दिल्ली में वर्ल्ड एग्रीकल्चरल फेयर में उन्हें दिए जाने वाले उच्च उपज भिन्डी (ओक्रा) हाइब्रिड के साथ प्रयोग करते हुए। उन्होंने उच्च दक्षता के बीज की खेती की और उन्हें किफायती मूल्य के लिए क्षेत्र के किसानों को बेचना शुरू कर दिया। यह महाराष्ट्र हाइब्रिड सीड्स कं (महिको) की शुरुआत थी। महिको ने किसानों के नेटवर्क के विस्तार के लिए कई अलग-अलग फसलों की नई बीज किस्मों का उत्पादन किया।  Mahyco के बीज की खेती के लिए किसानों के लिए सहायता और गारंटी प्रदान करके, बरवाले की टीम विभिन्न फसलों के उपभेदों पर मूल्यवान प्रतिक्रिया हासिल करने और उनके उपज और गुणवत्ता के बाद के सुधार करने में सक्षम थी। पूरे भारत में किसानों को किफायती, उच्च उपज की किस्मों और कृषि विज्ञान प्रशिक्षण प्रदान करने के लिए उनके कार्य के लिए 1998 में बीआर बारवाले  को विश्व खाद्य पुरस्कार से सम्मानित किया गया। और भारत के राष्ट्रपति ने उनकी विशिष्ट सेवा के लिए उन्हें 2001 में पद्म भूषण पुरस्कार से सम्मानित किया| डॉ बी आर बारवाले का ये योगदान भारत के किसानो के लिए अहम् सिद्ध हुआ है

 आज डॉ बी आर बारवाले हमारे बीच नहीं है पर उनके इस अमूल्य योगदान से भारत के सभी किसान और भारतवासीयों को इसका लाभ मिल रहा है

कृषि जागरण परिवार की ओर से डॉ बी आर बारवाले को भावभीनी श्रधांजलि एवं शत शत नमन 

English Summary: homage to Dr. ShabnamDr. B R Barwale Published on: 29 August 2017, 03:31 AM IST

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