हम सभी में से शायद ही किसी ने इस बात की कल्पना की होगी बिना मिट्टी के भी सब्जियां उगाई जा सकती हैं। जी हां, यह सच है। अब प्लास्टिक ट्रे में बिना मिट्टी के भी आप सब्जियां उगा सकते हैं। हम आपको ऐसे ही कुछ आसान तरीके बताने जा रहे हैं जिन्हें अपनाकर आप बिना मिट्टी के सब्जियां उगाकर सबकी वाहवाही लूट सकते हैं।
सब्जियों की नर्सरी लगाना एक उपयोगी व्यवसाय के रूप में किसानों के बीच उभर रहा है। इस व्यवसाय को अपनाकर किसान अपनी आमदनी बढ़ा सकते हैं। ट्रे में नर्सरी उत्पादन द्वारा ऐसी सब्जियां उगाना जिनकी परंपरागत विधि से पौध तैयार करना संभव नहीं है उनकी पौध तैयार की जा सकती है। खासतौर से बेल वाली सब्जियों की पौध तैयार करना मुश्किल होता है। आपको बता दें कि इस तकनीक से सामान्य तथा संकर किस्म के बीज उत्पादन में मदद मिलती है।
इस तकनीक की खासियत यह है कि किसान कम क्षेत्र में अधिक पौध तैयार कर सकता है। इस तकनीक से वर्ष में न सिर्फ 5-6 बार पौध तैयार की जा सकती है बल्कि बेमौसमी सब्जियां तैयार करना भी संभव है।
प्लास्टिक ट्रे में तैयार पौध भू-जनित रोगों से मुक्त रहती है व किसान भाइयों को दवाओं पर पैसा खर्च नहीं करना पड़ता है। इस तरह के पौधों को ट्रे में एक जगह से दूसरी जगह ले जाना आसान होता है।
किस तरह की ट्रे का करें इस्तेमाल?
प्लास्टिक ट्रे तकनीक से पौध को तैयार करने के लिए प्लास्टिक की खानेदार ट्रे का इस्तेमाल करना सबसे उचित रहता है। ध्यान रखें कि टमाटर, बैंगन व समस्त बेल वाली सब्जियों के लिए 18-20 घन सेंटीमीटर आकार के खानों वाली ट्रे का प्रयोग होता है जबकि शिमला मिर्च, मिर्च, फूलगोभी, पत्तागोभी, ब्रोकली, सेलरी व पार्सले आदि सब्जियों के लिए आठ-दस घन सेंमी आकार के खानों वाली ट्रे का इस्तेमाल करना चाहिए।
बिना मिट्टी के पौध तैयार
इस आसान विधि से तैयार पौध को मिट्टी के बिना उगाएं। मिट्टी की जगह कोकोपीट, वर्मीक्यूलाइट व परलाइट 3:1:1 के अनुपात में मिलाएं। इसको पानी से गीला करने के बाद प्लास्टिक की ट्रे में भरना चाहिए। अब इस भरी ट्रे में अंगुली की मदद से गड्ढा करें और बीज बोएं। फिर इन बीज को वर्मीक्यूलाइट की पतली परत से ढंक दें। ऐसा इसलिए करते हैं क्योंकि वर्मीक्यूलाइट में नमी को संजोए रखने की अधिक क्षमता होती है। सब्जियों के बीजों में अंकुरण के लिए 20-250 सें. तापमान उचित होता है। यदि बाहर का तापमान अंकुरण के लिए उपयुक्त है तो ट्रे को बाहर भी रखा जा सकता है। यदि तापमान 10-150 सें. है तो अस्थायी अंकुरण कक्ष में ट्रे को रखा जा सकता है।
ड्रिप सिंचाई से डालें पोषक तत्व
पौध की बढ़वार के लिए आवश्यक पोषक तत्वों को डालना बेहद जरूरी है। अंकुरण के एक सप्ताह बाद सिंचाई जल के साथ आवश्यक मात्रा में एनपीके अर्थात् नाइट्रोजन, फॉस्फोरस व पोटेशियम डालना चाहिए। बाजार में 20:20:20 या 19:19:19 या 15:15:15 के विभिन्न अनुपातों में ये पोषक तत्व आसानी से मिल जाते हैं। किसान भाई इस बात का ध्यान रखें कि ये पोषक तत्व ड्रिप सिंचाई से 70-80 पीपीएम की मात्रा से डालें। हालांकि सामान्य सिंचाई से भी यह घोल ट्रे में डाला जा सकता है।
रोपाई के समय ध्यान रखें
पौध तैयार होने पर इसे आराम से ट्रे से निकाला जा सकता है। गर्मी के मौसम में रोपाई से पहले कीटनाशक का छिड़काव करना लाभदायक होता है। यदि आप रोपाई करने जा रहे हैं तो यह काम आप सुबह या धूप ढलने के बाद ही करें ताकि पौध उस वातावरण में खुद को ढाल ले और मिट्टी में आराम से सेट हो जाए। ऐसी पौध 25-30 दिनों में तैयार हो जाती है तथा इस विधि से किसान भाई अच्छी आमदनी पा सकते हैं।
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