केन्द्रीय कृषि एवं किसान कल्याण मंत्री राधा मोहन सिंह ने कहा है कि देश में पहली बार किसानों के लिए समर्थन मूल्यों पर दलहन फसलों की बिक्री सुनिश्चित करवाने की व्यवस्था की गई है। इस व्यवस्था के तहत जहां भी दलहन फसलों का बाजार भाव समर्थन मूल्य से कम होगा, वहाँ भारत सरकार की संस्थाएं किसानों से समर्थन मूल्य पर खरीद सुनिश्चित करेंगीं। इसके अतिरिक्त दालों का 20 लाख टन बफर स्टाक बनाए रखने का निर्णय भी लिया गया है, ताकि लोगों को दाल के मंहगे बाजार भाव से छुटकारा दिलाया जा सके। राधा मोहन सिंह ने यह बात आगरा में आयोजित अंतरराष्ट्रीय दलहन वर्ष 2016 के समापन समारोह में कही। विश्व में खाद्य एवं पोषण सुरक्षा की प्राप्ति एवं दालों के पोषण संबंधी लाभों के बारे में जन मानस में जागरूकता बढाने के उददेश्य से संयुक्त राष्ट्र महासभा ने वर्ष 2016 को अंतर्राष्ट्रीय दलहन वर्ष के रूप में मनाने की घोषणा की थी।
केन्द्रीय कृषि मंत्री ने कहा कि देश के किसानों को दलहन उत्पादन के लिए बढ़ावा देने के लिए वर्ष 2016-17 में दालों के न्यूनतम समर्थक मूल्य में सरकार ने उल्लेखनीय वृद्धि की है। सरकार ने वर्ष 2016-17 में अरहर के लिए 4625 रूपए तथा उरद के लिए 4575 रूपए व मूंग के लिए 4500 रूपए प्रति कुन्तल का न्यूनतम समर्थन मूल्य की घोषणा की है जो अब तक का अधिकतम समर्थन मूल्य है। न्यूनतम समर्थन मूल्य के साथ-साथ दलहन उत्पादन के लिए 425 रूपए प्रति कुन्टल की दर से सरकार द्वारा अतिरिक्त बोनस भी तय किया गया है।
सिंह ने कहा कि देश में दलहनी फसलों के उत्पादन और उत्पादकता में बढ़ोत्तरी के लिए कृषि और किसान कल्याण मंत्रालय ने अंतर्राष्ट्रीय दलहन वर्ष 2016 में कई कदम उठाए। इसके तहत कृषि और किसान कल्याण मंत्रालय के दो विभाग- भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद और कृषि सहकारिता और किसान कल्याण विभाग ने वर्ष 2016-17 से राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा मिशन परियोजना के तहत एक व्यापक कार्य-योजना का संयुक्त रूप से क्रियान्वयन किया। इस कार्य-योजना के अंतर्गत वर्ष 2016-17 में 200 लाख टन, वर्ष 2017-18 में 210 लाख टन और वर्ष 2020-21 में 240 लाख टन उत्पादन का लक्ष्य निर्धारित किया है। सिंह ने बताया कि भारतीय दलहन अनुसंधान संस्थान, कानपुर के साथ 10 कृषि विश्वविद्यालयों के क्षेत्रीय केन्द्रों पर 20.39 करोड़ रू. की लागत के साथ अतिरिक्त “प्रजनक बीज” उत्पादन कार्यक्रम प्रारंभ किया गया है। इन केंद्रों द्वारा वर्ष 2016-17 के अंत तक 3717 कुन्तल अतिरिक्त प्रजनक बीज तथा वर्ष 2018-19 के अंत तक इन केन्द्रों द्वारा वर्तमान में किए जा रहे 7561 कुन्तल प्रजनक बीज के अतिरिक्त 5801 कुन्तल अतिरिक्त प्रजनक बीज उत्पादन का लक्ष्य निर्धारित किया गया है। केन्द्रीय कृषि मंत्री ने कहा कि दलहनी फसलों के औपचारिक बीज तंत्र को मजबूत करने और देश में उन्नत प्रजातियों के बीजों की उपलब्धता बढाने के लिए यह कदम उठाया गया है।
सिंह ने कहा कि देश के प्रमुख दलहन उत्पादक राज्यों के राज्य कृषि विश्वविद्यालयों, परिषद के संस्थानों व कृषि वैज्ञानिक केन्द्रों में ‘’दलहन सीड-हब’’ की स्थापना की जा रही है। दलहन के गुणवत्तायुक्त बीजों की उपलब्धता बढ़ाने के लिए वर्ष 2016-17 से तक कुल 150 ‘’दलहन सीड-हब’’ स्थापित करने का लक्ष्य निर्धारित किया गया है जिसके लिए 225.31 करोड़ रूपए का प्रावधान किया गया है। इस परियोजना के अन्तगर्त प्रति वर्ष 1.50 लाख कुन्तल अतिरिक्त बीज उत्पादन का लक्ष्य रखा गया है। प्रत्येक ‘’दलहन सीड-हब’’ वर्ष 2018-19 के अंत तक दलहनी फसलों का न्यूनतम 1000 कुन्तल गुणवत्तायुक्त बीजों का प्रति वर्ष उत्पादन तथा आपूर्ति करेगा।
राधा मोहन सिंह ने देश के सभी कृषकों, वैज्ञानिकों व नीति निर्माताओं को देश में दलहन उत्पादन व उत्पादकता/उपलब्धता बढाने के उनके प्रयासों की सराहना की और उम्मीद जताई कि वे भारत को दलहन उत्पादन में आत्मनिर्भर बनाने के लिए प्रयत्नशील रहेंगे।
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