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30 दिसंबर, 2016 तक शत-प्रतिशत दूध उत्पादकों के खाते

सरकारों के विमुद्रीकरण के निर्णयों के फलस्वरूप विशेष रूप से विशुद्ध नकद लेन-देन से फल-फूल रहे कुछ क्षेत्रों में अनायास प्रभाव देखा गया है। इस संबंध में दुग्ध उत्पादकों/ किसानों द्वारा डेयरी को-ऑपरेटिव्ज को आपूर्ति किए गए दूध का भुगतान करने में सहकारी बैंकों में धन की उपलब्ध न होने का मामला सरकार की जानकारी में आया है। जीसीएमएमएफ/ अमूल को विशेष रूप से यह निर्देश दिया गया है कि वह 30 दिसंबर, 2016 तक तक शत-प्रतिशत दूध उत्पादकों के खाते खोलना सुनिश्चित करे। इसी प्रकार अन्य सहकारी समितियों को भी दुग्ध उत्पादकों/ किसानों के शत-प्रतिशत खाते 30 जनवरी, 2017 तक खोलने का निर्देश दिया गया है

सरकारों के विमुद्रीकरण के निर्णयों के फलस्वरूप विशेष रूप से विशुद्ध नकद लेन-देन से फल-फूल रहे कुछ क्षेत्रों में अनायास प्रभाव देखा गया है। इस संबंध में दुग्ध उत्पादकों/ किसानों द्वारा डेयरी को-ऑपरेटिव्ज को आपूर्ति किए गए दूध का भुगतान करने में सहकारी बैंकों में धन की उपलब्ध न होने का मामला सरकार की जानकारी में आया है। जीसीएमएमएफ/ अमूल को विशेष रूप से यह निर्देश दिया गया है कि वह 30 दिसंबर, 2016 तक तक शत-प्रतिशत दूध उत्पादकों के खाते खोलना सुनिश्चित करे। इसी प्रकार अन्य सहकारी समितियों को भी दुग्ध उत्पादकों/ किसानों के शत-प्रतिशत खाते 30 जनवरी, 2017 तक खोलने का निर्देश दिया गया है

राष्ट्रीय डेयरी विकास बोर्ड, मदर डेयरी, दिल्ली दुग्ध योजना और सभी राज्य डेयरी सहकारी महासंघों जैसी एजेंसियों को जल्द से जल्द दूध उत्पादकों के बैंक खातों में सीधे भुगतान सुनिश्चित करने के लिए विशेष निर्देश जारी किए गए हैं। ग्रामीण क्षेत्रों में राष्ट्रीयकृत बैंकों और सहकारी बैंक खातों की कमी के कारण उचित सुरक्षा के साथ वित्तीय सहायता दिए जाने की जरूरत है। भुगतान समस्याओं की मौजूदा स्थिति पर त्वरित कार्रवाई करते हुए केंद्रीय कृषि और किसान कल्याण मंत्री श्री राधा मोहन सिंह ने नियमति रूप से स्थिति की समीक्षा की और इन समस्याओं को दूर करने के लिए उचित कार्रवाई करने का निर्देश दिया है। मदर डेयरी, गुजरात कोऑपरेटिव मिल्क मार्केटिंग फेडरेशन (जीसीएमएमएफ)/ अमूल, दिल्ली दुग्ध योजना और ऐसी ही अन्य सहकारी समितियों के साथ नियमित अंतराल पर बैठकें आयोजित की जा रही हैं।मौजूदा हालात का जायजा लेने के लिए पशुपालन, डेयरी और मत्स्य पालन सचिव श्री देवेन्द्र चौधरी ने दुग्ध उत्पादकों के लिए भुगतान प्रणाली को सुचारू बनाने के साथ-साथ कैशलैस लेन-देन के माध्यम से उपभोक्ताओं को दूध की बिक्री करने के लिए अनेक बैठकों का आयोजन किया।यह उल्लेखनीय है कि ग्राम स्तर पर 1.70 लाख दुग्ध सहकारी समितियां हैं और 218 दुग्ध संघों के साथ 1.6 करोड़ दुग्ध उत्पादक जुड़े हैं। निजी डेयरियों सहित लगभग 850 लाख लीटर दूध की प्रतिदिन खरीददारी होती है।

जबकि डेयरी सहकारी समितियों (डीसीएस) से खरीदे गए दूध की कीमत 120 करोड़ रुपये प्रति दिन है। साप्ताहिक और 10 दिनों के भुगतान चक्र के लिए विविध भौगोलिक क्षेत्रों में फैले लाखों दूध उत्पादकों को वितरण के लिए भारी राशि की जरूरत है। विमुद्रीकरण के निर्णय से खुली अवसर की खिड़की का उपयोग करते हुए देर-सबेर भुगतान प्रक्रिया को कैशलेस और डिजिटल बनाने के लिए उन सभी बिना बैंक खाते वाले दूध उत्पादकों के बैंक खाते खोलने की गति बढ़ाने का यह सबसे अच्छा समय है। आखिरकार पारदर्शिता, बचत करने की आदत, वित्तीय इंतजाम आदि से दुग्ध उत्पादकों को कई मायनों में लाभ होगा।दुग्ध उत्पादकों के लिए भुगतान की सहजता की स्थिति की सरकार द्वारा समय समय पर समीक्षा और निगरानी की जा रही है।

English Summary: 100% milk producers' accounts by December 30, 2016 Published on: 26 August 2017, 12:52 AM IST

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