किसानों के लिए शुरू की गई केंद्र सरकार की सबसे अहम "प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना" में बड़ा बदलाव हो सकता है. सूत्रों की माने तो इस योजना को सरकार कृषि ऋण लेने वाले किसानों के लिए वैकल्पिक बना सकती है. ऐसा करने के पीछे का कारण अभी तक अधिकारिक तौर पर नहीं बताया गया है, लेकिन माना जा रहा है कि कार्यान्वयन में परेशानियों और विलंबित भुगतान के कारण यह कदम उठाया जा रहा है.
इस बारे में भारत के एक बहुत प्रतिष्ठित अखबार “हिंदुस्तान टाइम्स” ने दावा किया है कि सरकार का मानना है कि योजना को वैकल्पिक करने के बाद कृषि ऋण लेने में किसानों को किसी तरह की परेशानी नहीं होगी. ऐसा करने के बाद खासतौर पर उन किसानों को सीधे फायदा होगा जिनके लिए फसल बीमा योजना अनिवार्य है. वैसे बता दें कि यह योजना उन किसानों के लिए पहले से ही वैकल्पिक है, जो ऋण का लाभ नहीं उठा रहे हैं.
गौरतलब है कि साल 2016 लाए गए इस योजना को बेहतर बनाने के लिए सरकार लगातार इसमें परिर्वतन करते आई है. लेकिन फिर भी किसानों द्वारा विलंबित भुगतान एवं अन्य तरह के गड़बड़ियों का आरोप लगता रहा है.
गौरतलब है कि PMFBY का गठन अप्रैल, 2016 में हुआ था. जिसका मुख्य लक्ष्य ऐसे प्राकृतिक जोखिमों से किसानों की रक्षा करना था जिन्हें होने से रोका नहीं जा सकता. इस बीमा के अर्तगत बुवाई के पहले से लेकर कटाई के बाद तक के समय में हर तरह की प्राकृतिक आपदा में किसानों को फसल बीमा उपलब्ध कराकर उन्हें आर्थिक रूप से सशक्त बनाना था. लेकिन अभी हाल के समय में फसल बीमा पर कई किसानों ने सवाल खड़े करते हुए सरकार पर निशाना साधा था. वहीं विपक्ष की कांग्रेस पार्टी ने भी सरकार से प्रश्न किया था कि फसल बीमा के नाम पर नाज़ायज मुनाफा कमा रहे कंपनियों के खिलाफ सरकार क्या कर रही है.
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