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सरकार इन पौधों पर दे रही है सब्सिडी

देश-दुनिया में हर्बल उत्पादों की बढ़ती मांग के कारण देश के विभिन्न क्षेत्रों में किसान परंपरागत खेती के अलावा औषधीय और जड़ी-बूटियों की तरफ भी अपना रुख कर रहे हैं लेकिन उत्तर प्रदेश में इसकी खेती कम हो रही है। ऐसे में उत्तर प्रदेश के किसान भी औषधीय खेती करके अपनी आमदनी बढ़ा सकें, इसके लिए राष्ट्रीय आयुष मिशन योजना के जरिए उत्तर प्रदेश उद्यान एवं खाद्य प्रसंस्करण विभाग यहां औषधीय खेती को बढ़ावा देने के लिए काम कर रहा है। इसमें औषधीय खेती के लिए किसानों को अनुदान दिया जा रहा है। यह जानकारी उद्यान एवं खाद्य प्रसंस्करण विभाग के एसपी जोशी ने दी। उन्होंने बताया कि इस योजना के पहले चरण में प्रदेश के 75 में से 48 जिलों का चयन किया गया है।

देश-दुनिया में हर्बल उत्पादों की बढ़ती मांग के कारण देश के विभिन्न क्षेत्रों में किसान परंपरागत खेती के अलावा औषधीय और जड़ी-बूटियों की तरफ भी अपना रुख कर रहे हैं लेकिन उत्तर प्रदेश में इसकी खेती कम हो रही है।

ऐसे में उत्तर प्रदेश के किसान भी औषधीय खेती करके अपनी आमदनी बढ़ा सकें, इसके लिए राष्ट्रीय आयुष मिशन योजना के जरिए उत्तर प्रदेश उद्यान एवं खाद्य प्रसंस्करण विभाग यहां औषधीय खेती को बढ़ावा देने के लिए काम कर रहा है। इसमें औषधीय खेती के लिए किसानों को अनुदान दिया जा रहा है। यह जानकारी उद्यान एवं खाद्य प्रसंस्करण विभाग के एसपी जोशी ने दी। उन्होंने बताया कि इस योजना के पहले चरण में प्रदेश के 75 में से 48 जिलों का चयन किया गया है।

किस औषधि पर कितना अनुदान

पौधा अनुदान

सर्पगन्धा 45753 रुपए

अश्वगंधा 10980.75 रुपए

ब्राम्ही 17569.20 रुपए

कालमेघ 10980.75 रुपए

कौंच 8784.60 रुपए

सतावरी 27451.80 रुपए

तुलसी 13176.90 रुपए

एलोवेरा 18672.20 रुपए

वच 27451.80 रुपए

आर्टीमीशिया 14622.25 रुपए

फसल विविधता से किसानों को मिलेगा लाभ

वर्षों से खेत में एक ही तरह की फसल उगाने से पैदावार क्षमता प्रभावित होती है। ऐसे में खेत में फसल विविधता के लिए औषधीय खेती करने की सलाह कृषि वैज्ञानिकों की तरफ से दी जाती है। इस बारे में जानकारी देते हुए नरेन्द्र देव कृषि एवं प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय फैजाबाद के कृषि मौसम विभाग के प्रोफेसर डॉ. एके सिंह ने बताया, ‘खेत की एक ही तरह की फसल लेने से खेत की उर्वरकता प्रभावित होती है। ऐसे में किसानों को फसल विविधता के लिए सलाह दी जाती है। फसल विविधता के इस क्रम में अगर गेहूं और धान के खेतों को खाली होने के बाद अगर किसान उसमें औषधीय पौधों की खेती करेंगे तो यह उनके लिए बहुत लाभकारी होगा। अगली बार जब वह उसमें धान और गेहूं उगाएंगे तो उसकी पैदावार अधिक होगी।'

औषधीय खेती की कैसे करें बुवाई

कृषि वैज्ञानिक डॉ. एसआर मिश्रा ने बताया कि सर्पगंधा की एक हेक्टेयर की खेती के लिए सर्पगंधा की ताजी जड़ी 100 किलो, अश्वगंधा के लिए लिए प्रति हेक्टेयर 8 से 10 किलो बीज, ब्राम्ही के लिए प्रति हेक्टेयर 100 किलो बीज, कालमेघ के लिए प्रति हेक्टेयर 450 ग्राम बीज, कौंच के लिए प्रति हेक्टेयर नौ से लेकर 10 किलो बीज, सतावरी के लिए प्रति हेक्टेयर तीन किलो बीज, तुलसी के लिए प्रति हेक्टेयर एक किलो बीज, एलोवेरा के लिए प्रति हेक्टेयर पांच हजार पौधे, वच के लिए प्रति हेक्टेयर 74074 तना और आर्टीमीशिया के लिए प्रति हेक्टेयर 50 ग्राम बीज की जरूरत पड़ती है।

इन औषधियों में मिल रहा अनुदान

इस योजना के तहत सर्पगन्धा, अश्वगंधा, ब्राम्ही, कालमेघ, कौंच, सतावरी, तुलसी, एलोवेरा, वच और आर्टीमीशिया जैसे औषधीय पौधों की खेती के लिए सरकार की तरफ से अनुदान दिया जा रहा है। इस योजना का लाभ लेने के लिए किसानों के पास अपने नाम से कम से कम एक एकड़ खेती की जमीन, खेत के पास सिंचाई साधन, किसान के पास बैंक में खाता और चेकबुक के साथ ही अपनी पहचान के लिए वोटर आईकार्ड, राशन कार्ड, आधार कार्ड या पासपोर्ट में से कोई एक होना चाहिए। लाभुकों का चयन पहले आओ और पहले पाओ की तर्ज पर किया जाएगा।

इन जिलों के किसान ले सकेंगे लाभ

सहारनपुर, मुजफ्फरनगर, मुरादाबाद, बिजनौर, सम्भल, मेरठ, बुलंदशहर, बरेली, बदायूं, शाहजहांपुर, लखनऊ, सीतापुर, हरदोई, फैजाबाद, बाराबंकी, अम्बेडकर नगर, सुल्तानपुर, बस्ती, गोरखपुर, महाराजगंज, कुशीनगर, इलाहाबाद, कौशाम्बी, प्रतापगढ़, कन्नौज, कानपुर देहात, इटावा, फतेहपुर, आगरा, मथुरा, एटा, अलीगढ़, हाथरस, आजमगढ़, वाराणसी, गाजीपुर, जौनपुर, जालौन, ललितपुर और बहराइच वगैरह। इन जिलों के किसान इस योजना का लाभ लेने के लिए विभाग में संपर्क कर सकते हैं। किसान इस योजना के लाभ के लिए उत्तर प्रदेश कृषि विभाग की वेबसाइट www.upagriculture.com  पर जाकर आनलाइन रजिस्ट्रेशन भी कर सकते हैं।

English Summary: Government is giving subsidy on these plants Published on: 26 August 2017, 01:42 AM IST

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