किसानों के लिए खुशखबरी है. दरअसल राज्य सरकार स्वामित्व योजना के तहत ग्रामीणों को उनकी जमीन का प्रमाण पत्र देगी. इससे कर्ज लेना या जमीन से संबंधीत कोई भी कार्य करना आसान हो जाएगा. बता दें, कि इसके लिए उत्तर प्रदेश आबादी सर्वेक्षण और अभिलेख संक्रिया विनियमावली 2020 को मंजूरी दी गई है. मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की अध्यक्षता में मंगलवार को हुई कैबिनेट की बैठक में यह बड़ा फैसला लिया गया है.
बता दें, कि केंद्र सरकार ग्रामीण आबादी क्षेत्र का नवीनतम ड्रोन प्रौद्योगिकी के सहायता से सर्वेक्षण कराते हुए स्वामित्व अभिलेख तैयार करा रही है. इसके लिए 'स्वामित्व योजना' का शुभारंभ राष्ट्रीय पंचायतीराज दिवस पर 24 अप्रैल को पीएम मोदी के द्वारा किया गया था. स्वामित्व प्रमाण पत्र मिलने के बाद ग्रामीणों को कर्ज और अन्य वित्तीय लाभ प्राप्त करने में बेहद आसानी होगी. वे अपनी संपत्ति को एक वित्तीय परिसंपत्ति के रूप में इस्तेमाल कर सकेंगे.
इसके अलावा जीआईएस नक्शे का उपयोग विभाग अपने उपयोग के लिए कर सकेंगे. जीआईएस नक्शे का उपयोग कर बेहतर गुणवत्ता वाली ग्राम पंचायत विकास योजना (जीपीडीपी) तैयार करने में सहयोग मिलेगा. इससे संपत्ति संबंधी विवादों और कानूनी मामलों में भी सहायता मिलेगी. इस योजना में यूपी के लगभग 108648 गांवों की ग्रामीण आबादी का सर्वेक्षण कर स्वामित्व संबंधी अभिलेख बांटा जाएगा. पहले चरण वर्ष 2020-21 में यूपी के कुल 54022 गांवों को चुना गया है. इसमें 10 मंडलों आजमगढ़, वाराणसी, अयोध्या, गोरखपुर, प्रयागराज, मीरजापुर, बस्ती, देवीपाटन, झांसी और चित्रकूट के 37 गांवों के कुल 50294 का अभिलेख तैयार जा रहा है. बाकी 3728 गांव पश्चिमी यूपी के आठ मंडलों से लिए गए हैं.
इसमें प्रत्येक जिले के लगभग 100 गांव शामिल हैं. विनियमावली बनने से अभिलेख तैयार करने में अधिकारियों और कर्मचारियों के कर्तव्य व दायित्व का निर्धारण होगा. जिला अभिलेख अधिकारी केवल सुलह समझौते के आधार पर निवारण करते हुए आपत्ति को निस्तारित करेगा. सहायक अभिलेख अधिकारी अंतिम ग्रामीण आवासीय अभिलेख घरौनी तैयार करने की पुष्टि करेगा और जिला अभिलेख अधिकारी को सूचित करेगा.
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