वित्त मंत्रालय ने एक आधिकारिक बयान में कहा है कि बैंकों ने किसान क्रेडिट कार्ड योजना (केसीसी) से डेढ़ करोड़ किसानों को जोड़ा है और उनके लिए 1.35 लाख करोड़ रुपये के रियायती ऋण मंजूर किए हैं. दरअसल वित्त मंत्रालय ने कोविड-19 संकट के दौरान 'आत्मनिर्भर भारत अभियान' के तहत इस योजना से 2.5 करोड़ किसानों को जोड़ने की घोषणा की थी. इसकी वजह कोरोना काल में किसानों को उनकी वित्तीय जरूरत पूरा करने में मदद करना रहा.
केसीसी के तहत 1.5 करोड़ किसानों को मिली वित्तीय मदद (1.5 crore farmers get financial help under KCC)
वित्त मंत्रालय ने आधिकारिक बयान में कहा, ''बैंकों और अन्य संबधित पक्षों ने सही दिशा में किए निरंतर प्रयास कर सस्ती ब्याज दर पर ऋण उपलब्ध कराने के लिए मछली पालकों, पशु पालकों समेत 1.5 करोड़ किसानों को केसीसी जारी करने की उपलब्धि हासिल की है. जारी किए गए सभी किसान क्रेडिट कार्डों के लिए खर्च की कुल सीमा 1.35 लाख करोड़ रुपये है.''
क्या है किसान क्रेडिट कार्ड योजना (What is Kisan Credit Card Scheme)
केसीसी योजना 1998 में शुरू की गई थी. इसका उद्देश्य किसानों को कृषि गतिविधियों के लिए बिना किसी बाधा के समय पर लोन उपलब्ध कराना था. भारत सरकार किसान क्रेडिट कार्ड (Kisan credit card) के तहत किसानों को ब्याज पर 2 प्रतिशत की आर्थिक सहायता देती है और समय पर ऋण चुकाने वाले किसानों को 3 प्रतिशत की प्रोत्साहन छूट देती है. इस तरह केसीसी पर सालाना ब्याज दर चार प्रतिशत की आती है. सरकार ने किसानों के हित में बड़े कदम उठाते हुए 2019 में केसीसी में ब्याज़ दर में आर्थिक सहायता का प्रावधान शामिल करते हुए इसका लाभ डेयरी उद्योग समेत पशुपालकों और मछ्ली पालकों को भी देने की व्यवस्था सुनिश्चित की है.
केसीसी के लिए सिर्फ तीन डॉक्यूमेंट जरूरी
कृषि मंत्रालय के अधिकारियों के मुताबिक केसीसी के लिए सिर्फ तीन डॉक्यूमेंट ही लिए जाएंगे. पहला यह कि जो व्यक्ति अप्लीकेशन दे रहा है वो किसान है या नहीं. इसके लिए बैंक उसके खेती के कागजात देखें और उसकी कॉपी लें. दूसरा निवास प्रमाण पत्र और तीसरा आवेदक का शपथ पत्र कि उसका किसी और बैंक में लोन तो बकाया नहीं है.
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