"स्वस्थ धरा तो खेत हरा" यानी मिट्टी की सेहत बेहतर होगी तो पैदावार उतनी ही जबदरदस्त होगी. किसी भी फसल की अच्छी पैदावार के लिए उसके पोषक तत्वों और प्रबंधन के बारे में सही जानकारी होना जरूरी है. केवल इतना ही नहीं पोषक तत्वों की कमी या ज्यादा होने से फसल के बढ़वार एवं पैदावार के ऊपर क्या फर्क पड़ता है, इसके बारे में भी किसान भाइयों को समझना होगा. ऐसी ही खरीफ सीजन (Kharif Season) की एक फसल है धान (Paddy), जिसमें इसके पौध के वक़्त से ही पोषक तत्वों का ख़ास ख्याल रखना पड़ता है, जिससे इसकी उपजाऊ शक्ति को दमदार बनाया जा सके और जैसा कि आप सभी जानते हैं कि इस समय धान की रोपाई (Paddy Transplantation) का महीना चल रहा है जिसमें हमारे किसान भाइयों को पोषक तत्वों पर ध्यान देने की बेहद जरूरत है और इसमें कोई शक नहीं कि ये फसल भारत की अर्थव्यवस्था के लिए अत्यधिक महत्वपूर्ण है.
इसी संदर्भ में आईसीएल ग्रुप लिमिटेड ने कृषि जागरण के साथ मिलकर "धान की खेती में पोषक प्रबंधन (Nutrient Management in Paddy Cultivation)" पर लाइव वेबिनार आयोजित किया था, जिसमें किसानों का मार्गदर्शन करने के लिए ICL के सीनियर अग्रोनॉमिस्ट डॉक्टर शैलेंद्र सिंह (Dr. Shailendra Singh, Senior Agronomist, ICL) के साथ इसके नार्थ इंडिया के मैनेजर जी.पी शर्मा (G.P Sharma) भी मौजूद थे. इन्होंने धान की खेती से जुड़ी हर एक जानकारी किसानों के लिए उपलब्ध करवाई, ताकि उनकी फसलों में कल्ले ही कल्ले लग सकें.
भारत में चावल की खेती का क्षेत्रफल, उत्पादन और उत्पादकता (Area, Production and Productivity of Rice Cultivated in India)
चावल के प्रकार (Types of Rice)
भूरे रंग के चावल (Brown Rice)
बासमती चावल (Basmati Rice)
चमेली चावल (Jasmine Rice)
मोगरा चावल (Mogra Rice)
बांस चावल (Bamboo Rice)
जंगली चावल (Wild Rice)
काला चावल (Black Rice)
लाल चावल (Red Rice)
लाल कार्गो चावल (Red Cargo Rice)
इंद्रायणी चावल (Indrayani Rice)
सफ़ेद चावल (White Rice)
सुशी चावल (Sushi Rice)
बैंगनी थाई चावल (Purple Thai Rice)
बोम्बा चावल (Bomba Rice)
चिपचिपा चावल (Sticky Rice)
अरबोरिया चावल (Arborio Rice)
वालेंसिया राइस (Valencia Rice)
सोना मसूरी (Sona Masuri)
सांबा चावल (Samba Rice)
रोजमेटा चावल (Rosematta Rice)
धान की खेती से जुड़ी प्रमुख बातें (Important things related to paddy cultivation)
-चावल आवश्यक खाद्य फसल (Food Crop) है, और एक उष्णकटिबंधीय पौधा (Tropical Plant) होने के कारण यह आर्द्र और गर्म वातावरण में जल्दी से बढ़ता है.
-भारत दुनिया में दूसरा सबसे बड़ा चावल उत्पादक और सबसे बड़ा निर्यातक है.
-धान की खेती (Paddy Cultivation) के लिए लगभग 1 किलो चावल में 5,000 लीटर पानी की आवश्यकता होती है.
-धान की उन्नत फसल के लिए N, P2O5, K2O, और Si सबसे महत्वपूर्ण पोषक तत्व हैं.
-बासमती (Basmati) भारत के लिए निर्यातोन्मुख है और इसका लगभग वैश्विक बासमती बाजार में 65% हिस्सा है.
-विश्व के बासमती चावल उत्पादन में भारत का 70% से अधिक का योगदान है.
-भारत में बासमती की खेती भूगोल के अनुसार होती है.
-'बासमती' के प्रमुख राज्यों में जम्मू-कश्मीर, हिमाचल प्रदेश, पंजाब, हरियाणा, चंडीगढ़, दिल्ली, उत्तराखंड, उत्तर प्रदेश और केंद्र शासित प्रदेश के राज्य शामिल हैं.
धान की बुवाई करने के तरीके (Methods of Sowing Paddy)
बीज का छिटंकवा (Broadcasting of Rice Seeds)
इस तरह की तकनीक में चावल की सीधी बुवाई (Direct Sowing) की जाती है. इसमें 75 - 100 किलो बीज/हेक्टेयर की पैदावार और श्रम की कमी वाले क्षेत्रों में सीधी बुवाई एक व्यवहार्य विकल्प है.
ड्रम सीडर से बुवाई (Sowing Using Drum Seeder)
इस तरह की तकनीक में चावल की सीधी गीली बुवाई (Direct Wet Sowing) होती है. इसमें 60 किलो बीज/हेक्टेयर की पैदावार हो सकती है.
मैनुअल प्रत्यारोपण (Manual Transplanting)
इस तकनीक में नर्सरी बेड (Nursery Bed) में धान के बीज बोए जाते हैं. इसके बाद 3-5 सप्ताह में नर्सरी से धान के सीडलिंग मुख्य खेत में प्रतिरोपित किए जाते हैं.
मशीन प्रत्यारोपण (Machine Transplanting)
इस तरह की तकनीक में धान की बुवाई अच्छी खासी नर्सरी या ट्रे (Tray) में होती है. इसके अंतर्गत, चावल की पौध 12-15 दिनों में रोपाई के लिए तैयार हो जाती है.
धान की फसल में पोषक तत्वों की जानकारी
इसके साथ ही, डॉक्टर शैलेंद्र जी ने बताया कि, पॉलीसलफेट के इस्तेमाल से किसान धान की खेती (Paddy Farming) में चार-चांद लगा सकते हैं यानी धान की बेहतर उपज के साथ अधिक गुणवत्ता वाली फसल ले सकते हैं.
क्या होता है पॉलीसलफेट (What is Polysulphate)
POLYSULPHATE एक प्राकृतिक खनिज है जो ब्रिटेन के तट के करीब उत्तरी सागर के नीचे गहरे भूमिगत में पाया जाता है. पॉलिसल्फेट धान की खेती के लिए बहुत उपयोगी है और यह पोटेशियम (Potassium), सल्फर (Sulphur), कैल्शियम (Calcium) और मैग्नीशियम (Magnesium) आपूर्ति का उत्कृष्ट स्रोत है.
पॉलीसलफेट का इस्तेमाल (Uses of Polysulphate)
-खाद एक फायदे अनेक
-बेहतर उपज
-बेहतर गुणवत्ता
-बेहतर मृदा स्वास्थ्य
-स्वस्थ फसल, अधिक उपज
-जैविक खेती (Organic Farming) के लिए उपयुक्त
-बेहतर गुणवत्ता, ज्यादा मुनाफा
आईसीएल उर्वरकों का धान की खेती में महत्व
फर्टिफ्लो 5-45-5 +8Zn (Fertiflow 5-45-5 +8Zn)
-इसमें N:P:K+Zn का 1:9:1:1.6 अनुपात है जो पौधों के ग्रेड विकास, सक्रियता और जड़ों के बढ़ाव में उपयोगी है.
-विकास और उत्पादक चरणों में इसका अनुप्रयोग फूलों और फलों की स्थापना को प्रेरित करने में मदद करता है.
-इसमें मौजूद 8% जिंक पौधों में इसकी कमी को रोकने में मदद करता है.
-कम पीएच(3) के कारण क्षारीय मिट्टी के लिए सबसे उपयुक्त (>8.5pH) है.
फर्टिफ्लो 12-6-22+12ca0 (Fertiflow 12-6-22+12ca0)
-N:P:K + CaO का अनुपात 1:0.5:2 है जो पौधों के बेहतर उपज और गुणवत्ता में उपयोगी है.
-धान की जुताई की अवस्था में इसका प्रयोग करने से धान की पैदावार में अधिक से अधिक मदद मिलती है और इसके फूलों की शुरुआत को बढ़ावा मिलता है.
-इसमें मौजूद 12% CaO फसल को मजबूत रखने की योजना में पौधे में इसकी कमी को रोकने में मदद करता है
-कम पीएच के कारण क्षारीय मिट्टी के लिए सबसे उपयुक्त (पीएच>8.5) है.
फर्टिफ्लो पोटेशियम + (Fertiflow Potassium Plus)
-N:K + S का अनुपात एनपीके 8-0-47+75 है जो ग्रेन फिलिंग के लिए बहुत उपयोगी है.
-इसका उपयोग धान में बोटिंग स्तर पर किया जाता है जिससे धान की बेहतर ग्रेन फिलिंग और समय पर परिपक्वता में मदद मिलती है.
-इसमें मौजूद 5% सलफेट का फसल की परिपक्वता पर सकारात्मक प्रभाव पड़ता है
-पीएच (3) कम होने के कारण क्षारीय मिट्टी के लिए सबसे उपयुक्त है.
नुट्रिवेंट फोलियर फर्टिलाइजेशन (Nutrivant Foliar Fertilization)
यह बेहतर पर्ण पोषण (Foliar Nutrition) के लिए लंबे समय तक चलने वाली तकनीक है.
इसके न्यूट्रिएंट रेंज में पूरी तरह से घुलनशील फॉर्मूलेशन शामिल हैं जिनमें मैक्रो-सेकेंडरी और माइक्रो पोषक तत्व दोनों होते हैं और यह प्रत्येक फसल की आवश्यकता के लिए एक विशेष नामित ट्रेस मिश्रण होता है.
नुट्रिवेंट के लाभ (Nutrivant Benefits)
-पत्तियों पर एक समान फैलाव
-लम्बे समय तक प्रभावी
-सभी पोषक तत्वों का पतों में सुगमता से प्रवेश
-फसलों के लिए सुरक्षित और उपयोगी
-नुट्रिवेंट दुनिया की सर्वोत्तम स्प्रे तकनीक फटींवांट पर आधारित है.
धान की गुणवत्ता में सुधार के लिए सुझाव (Suggestions for improving the quality of paddy)
कई कारक खेत पर उत्पादित धान की अंतिम गुणवत्ता निर्धारित करते हैं. सर्वोत्तम मिलिंग परिणामों के लिए अच्छी गुणवत्ता वाले धान (High Quality Paddy) की आवश्यकता होती है, और मिलिंग से पहले विभिन्न प्रकार के मिश्रण से बचना चाहिए चावल की अंतिम गुणवत्ता निर्धारित करने के लिए निम्नलिखित कारक आवश्यक हैं:
-खेतों को समान रूप से तैयार करें और जितना हो सके समतल करें.
-कीटों के लिए नियमित रूप से खेत की जांच करें और यदि आवश्यक हो तो कीटों को नियंत्रित करें.
-खेतों को खरपतवार मुक्त रखें.
-एक्सपायरी डेट देखकर ही बीज का चुनाव करें.
-पूरे खेत में एक समान फसल पोषण सुनिश्चित करें और समय पर पोषण लागू करें.
-उचित नमी के साथ अनाज की कटाई करें और थ्रेसिंग और सुखाने में देरी से बचें.
-सूखे चावल में नमी की मात्रा को घटाकर 14% कर दें.
-चावल को उचित नमी में स्टोर करें (Rice Storage) और इसे कीड़ों से बचाएं.
क्या है आईसीएल (Brief Intro of ICL)
आईसीएल जिंस उर्वरकों, विशेष उर्वरक और विशेष रसायन का एक वैश्विक निर्माता है जो कई सालों से किसानों की खेती में निरंतर मदद करता आ रहा है.
उत्पादन तथ्य (Production Facts)
-आईसीएल 5 मिलियन मीट्रिक टन पोटेशियम (Potassium) का उत्पादन करता है जो इसे यूरोप में दूसरा और विश्व में छठा उत्पादक बनता है.
-यह 3 मिलियन मीट्रिक टन फॉस्फेट (Phosphate) और 0.5 मिलियन मीट्रिक टन फॉस्फोरिक (Phosphoric) का भी उत्पादन करता है.
-एसिड 2 मिलियन एमटी (N) पीके ग्रेन्यूल्स (PK) के उत्पादन के साथ यह दुनिया में पहले स्थान पर है.
-यह विश्व का 35% ब्रोमाइड (Bromide) का उत्पादन करता है जिसके लिए इसको इसमें पहला स्थान दिया गया है.
-वहीं विश्व में 9% मैग्नीशियम (Magnesium) का उत्पादन करता है जिससे यह पश्चिमी दुनिया में दूसरा स्थान पर है.
किसान करें संपर्क (ICL Contact Details)
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