क्या है गोबर-धन योजना ? आप भी पढ़ें...
बजट 2018 में जहां हर सेक्टर का ध्यान रखा गया है वहीं ग्रामीणों के जीवन को बेहतर बनाने के लिए सरकार ने एक अनूठा प्रयास किया है। सरकार ने अपने इस प्रयास के चलते ही एक नई योजना की घोषणा की है जिसका नाम है गोबर-धन योजना। आइए जानते हैं क्या है गोबर-धन योजना?
गांवों में बनेगा बायोईंधन
केंद्रीय वित्त मंत्री अरूण जेटली ने लोकसभा में आम बजट पेश करते हुए गोबर-धन अर्थात् गैलवनाइजिंग ऑर्गेनिक बायो-एग्रो रिसोर्स धन योजना की घोषणा की। इस योजना के तहत गोबर और खेतों के ठोस अपशिष्ट पदार्थों को कंपोस्ट, बायो-गैस और बायो-सीएनजी में बदला जाएगा। उन्होंने कहा कि समावेशी समाज निर्माण के दृष्टिकोण के तहत सरकार ने विकास के लिए 115 जिलों की पहचान की है। इन जिलों में स्वास्थ्य, शिक्षा, पोषण, सिंचाई, ग्रामीण विद्युतिकरण, पेयजल, शौचालय तक पहुंच आदि में निवेश करके निश्चित समयावधि में विकास की गति को तेज किया जाएगा। मंत्री ने उम्मीद जताई है कि ये 115 जिले विकास के मॉडल साबित होंगे।
ठोस कचरे एवं जानवरों के मलमूत्र का इस्तेमाल
इस योजना के तहत ठोस कचरे एवं जानवरों के मलमूत्र का इस्तेमाल खाद बनाने में किया जाएगा। इतना ही नहीं इससे ऊर्जा उत्पन्न करने के उद्देश्य से बायो-गैस एवं बायो-सीएनजी का भी निर्माण किया जाएगा। इस दृष्टि से देखा जाए तो इस समय बर्बाद हो रहे मलमूत्र का उपयोग हो सकेगा।
ग्रामीणों के लिए फायदा
गांव में रहने वाले लोगों के रहन-सहन सुधारने के साथ-साथ गांव में खुले होने वाली शौच पर काबू पाने के लिए किया गया है जिसका फायदा सीधे तौर पर ग्रामीणों को पहुंचेगा।
किसानों के लिए अतिरिक्त आय का साधन
इस समय किसान की आय पूरी तरह फसल पैदावार पर निर्भर करती है। गोबर धन योजना से किसानों की आय बढ़ाने में काफी मदद मिलेगी। अपशिष्ट का इस्तेमाल कर बायो-ईंधन बनाना एक महत्वपूर्ण कार्य है। इसके लिए सरकार किसानों को खराब मलमूत्र एवं अपशिष्ट के भी दाम देगी जिससे किसानों को अतिरिक्त आय प्राप्त होगी।
कम्पोस्ट खाद बनाने पर ध्यान
सरकार किसानों को इस योजना के जरिए आर्थिक सहायता के साथ-साथ आत्मनिर्भर बनाने पर जोर देना चाहती है कि किसान खुद से अपनी खाद का निर्माण कर सकें और अपनी कृषि प्रणाली को मजबूत बना सकें।
इस योजना से विशेष रूप से गांव एवं पिछड़े इलाकों के लोगों को आर्थिक मजबूती देना चाहती है जिससे भारत के किसान भी काफी तादाद में फायदा उठा सकेंगे और भविष्य में गांवों के मॉडल को एक नया रूप देने में मदद मिलेगी।
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