देश के जेनेटिकली मॉडिफाइड क्रॉप रेग्युलेतक ने जीएम सरसों के व्यावसायिक इस्तेमाल के लिए गुरूवार को हरी झंडी दे दी | पर्यावरण मंत्रालय के तहत आने वाली जेनेटिक इंजिनियरिंग अप्रेजल कमेटी (GEAC) ने मिनिस्ट्री को GM मस्टर्ड के व्यावसायिक इस्तेमाल के लिए अपनी सिफारिश भेजी है। अप्रेजल कमिटी के पास जीएम फसलों के आकलन की जिम्मेदारी है। जीएम मस्टर्ड से जुड़े सुरक्षा के पहलू पर विचार करने के लिए एक सब-कमिटी बनाई गई थी। अब इस फसल को लेकर पर्यावरण मंत्री अनिल माधव दवे अपनी राय देंगे,जिसके बाद ही इस बारे में कोई अंतिम फैसला हो सकेगा। उनके पास इस सिफारिश को स्वीकारने, खारिज करने या फिर इस मसले पर सुप्रीम कोर्ट में दायर याचिका के निपटारे के इंतजार का विकल्प होगा।
जेनेटिक इंजिनियरिंग अप्रेजल कमेटी ने इस कमेटी की रिपोर्ट की समीक्षा करने के बाद अपनी सिफारिश दी है। अब इस बारे में पर्यावरण मंत्रालय को अंतिम फैसला करना है। GEAC ने GM मस्टर्ड के व्यावसायिक इस्तेमाल की सिफारिश करने के साथ ही मिनिस्ट्री को कई शर्तें भी दी हैं। सेंटर फॉर जेनेटिक मैनिप्युलेशन ऑफ क्रॉप प्लांट्स (CGMCP), दिल्ली यूनिवर्सिटी साउथ कैंपस ने 2015 में GEAC को एक ऐप्लिकेशन देकर हाइब्रिड फसलों की नई रेंज डिवेलप करने के लिए GM मस्टर्ड को पर्यावरण से जुड़ी मंजूरी देने की मांग की थी।
इस ऐप्लिकेशन पर GEAC ने कई दौर की मीटिंग की थी। सब-कमेटी ने भी इसे लेकर एक्सपर्ट्स के साथ मीटिंग की थी। पर्यावरण मंत्रालय को GM मस्टर्ड पर असेसमेंट ऑफ फूड ऐंड इन्वाइरनमेंटल सेफ्टी (AFES) रिपोर्ट पर किसानों और शोधकर्ताओं सहित इससे जुड़े विभिन्न स्टेकहोल्डर्स से 700 से अधिक टिप्पणियां मिली थी। GEAC ने GM फसलों को अनुमति देने का विरोध करने वाले कई एनजीओ के भी विचार सुने थे। इन फसलों का विरोध करने वालों में आरएसएस से जुड़े संगठन शामिल हैं।
जीएम सरसों के व्यावसायिक इस्तेमाल को मिली हरी झंडी
देश के जेनेटिकली मॉडिफाइड क्रॉप रेग्युलेतक ने जीएम सरसों के व्यावसायिक इस्तेमाल के लिए गुरूवार को हरी झंडी दे दी | पर्यावरण मंत्रालय के तहत आने वाली जेनेटिक इंजिनियरिंग अप्रेजल कमेटी (GEAC) ने मिनिस्ट्री को GM मस्टर्ड के व्यावसायिक इस्तेमाल के लिए अपनी सिफारिश भेजी है। अप्रेजल कमिटी के पास जीएम फसलों के आकलन की जिम्मेदारी है। जीएम मस्टर्ड से जुड़े सुरक्षा के पहलू पर विचार करने के लिए एक सब-कमिटी बनाई गई थी। अब इस फसल को लेकर पर्यावरण मंत्री अनिल माधव दवे अपनी राय देंगे,जिसके बाद ही इस बारे में कोई अंतिम फैसला हो सकेगा। उनके पास इस सिफारिश को स्वीकारने, खारिज करने या फिर इस मसले पर सुप्रीम कोर्ट में दायर याचिका के निपटारे के इंतजार का विकल्प होगा।
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