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नि:शुल्क प्रशिक्षण लेकर शुरू करें मधुमक्खी पालन, रहना-खाना है एकदम फ्री

खेती-बाड़ी के अलावा कुछ करना चाहते हैं और अपने आय को बढ़ाना चाहते हैं, तो हम आपको आज इस लेख में इससे जुड़ी जानकारी देने जा रहे हैं. आपको बता दें कि मधुमक्खी पालन आज के समय में एक ऐसा व्यवसाय है, जो मानव जाति को लाभान्वित कर रहा है.

प्राची वत्स
मधुमक्खी पालन को लेकर मिल रहा मुफ्त प्रशिक्षण
मधुमक्खी पालन को लेकर मिल रहा मुफ्त प्रशिक्षण

आज के समय में किसान भाई अपने आय को बढ़ाने के लिए हर संभव कोशिश करते नजर आ रहे हैं. ऐसे में अगर आप भी खेती-बाड़ी के अलावा कुछ करना चाहते हैं और अपने आय को बढ़ाना चाहते हैं, तो हम आपको आज इस लेख में इससे जुड़ी जानकारी देने जा रहे हैं.

आपको बता दें कि मधुमक्खी पालन आज के समय में एक ऐसा व्यवसाय है, जो मानव जाति को लाभान्वित कर रहा है. यह एक कम खर्चीला घरेलू उद्योग है, जिसमें आय, रोजगार व वातावरण शुद्ध रखने की क्षमता है. साथ ही यह एक ऐसा रोजगार है, जिसे समाज के हर वर्ग के लोग अपना कर लाभान्वित हो सकते हैं. यह सही मायने में कम लागत में अधिक मुनाफा देता है. जिससे किसानों को सुविधा के साथ-साथ मुनाफा भी दोगुना मिलता है.

मधुमक्खी पालन को बढ़ावा देने हेतु निशुल्क प्रशिक्षण

मधुमक्खी पालन कृषि व बागवानी उत्पादन बढ़ाने की क्षमता भी रखता है. इसी कड़ी में आज हम आपको बताएंगे कि कैसे आप मधुमक्खी पालन के बारे में जानकारियां इकठ्ठी कर सकते हैं. कृषि विज्ञान केंद्र, मुरैना में आगामी 24 से 27 मार्च तक मधुमक्खी पालन हेतु प्रशिक्षण कार्यक्रम आयोजित किया जाएगा.

जहाँ किसान भाई इससे जुड़ी जानकारी प्राप्त कर सकते हैं और मुनाफा कमा सकते हैं. राविसिं कृषि विवि, ग्वालियर से सम्बद्ध कृषि विज्ञान केंद्र के इच्छुक नवयुवक/कृषक इस प्रशिक्षण में शामिल हो सकते है. आपको बता दें कि किसानों को यह प्रशिक्षण पूरी तरह से निशुल्क दिया जाएगा. इसके साथ ही प्रशिक्षण में शामिल होने वाले प्रशिक्षणार्थियों के लिए आवास और भोजन की व्यवस्था भी निशुल्क रहेगी.

ये भी पढ़ें: मधुमक्खी पालन बेरोजगारों के जीवन में घोल रहा है मिठास

मधुमक्खियों में कृत्रिम विधि

मधुमक्खियां मोन समुदाय में रहने वाली कीटों वर्ग की जंगली जीव है. इन्हें उनकी आदतों के अनुकूल कृत्रिम स्थान में पाल कर उनकी वृधि करने तथा शहद एवं मोम आदि प्राप्त करने को मधुमक्खी पालन या मौन पालन कहते हैं. शहद एवं मोम के अतिरिक्त अन्य पदार्थ, जैसे गोंद (प्रोपोलिस, रायल जेली, डंक-विष) भी प्राप्त होते हैं. साथ ही मधुमक्खियों से फूलों में परपरागण होने के कारण फसलों की उपज में लगभग एक चौथाई अतिरिक्त बढ़ोतरी हो जाती है.

आज कल मधुमक्खी पालन ने कम लागत वाला कुटीर उद्योग का दर्जा ले लिया है. ग्रामीण भूमिहीन बेरोजगार किसानों के लिए आमदनी का एक साधन बन गया है. मधुमक्खी पालन से जुड़े कार्य जैसे बढ़ईगिरी, लोहारगीरी एवं शहद विपणन में भी रोजगार का अवसर मिलता है.

English Summary: Free training to promote beekeeping, know from when till when farmers will get its benefit Published on: 21 March 2022, 12:59 PM IST

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