चन्द्रमा के पृथ्वी से न दिखने वाले हिस्से में उतरने वाली चीन ई 4 यान ने अब वहां पर सफलता पूर्वक पौधे उगाना चालू कर दिया है. चीन की अंतरिक्ष एजेंसी (सीएनएसए) ने मंगलवार को एक तस्वीर जारी की है जिसमे कपास के बीज को उगता हुआ साफ देखा जा सकता है. इतिहास में ऐसा पहली बार हुआ है जब चन्द्रमा कि सतह पर जैविक खेती की गई हो. चांग ई -4 के इस मिशन में अन्य जैविक पदार्थों में कपास, तिलहन, आलू, अरेबिडोप्सिस, खमीर और फल आदि की खेती करना शामिल है. सीएनएसए ने दावा किया है कि आने वाले 100 दिनों में और अधिक पौधे उगाए जाएंगे. इन पौधों पर अध्ययन यान पर विशेष रूप से डिजाईन किए गए बायोस्फीयर से किया जा रहा है।
बता दें, इससे पहले भी अंतरिक्ष यात्री अंतरराष्ट्रीय अंतरिक्ष स्टेशन (आइएसएस) तियांगोंग -2 स्पेस लैब पर चावल और अरेबिडोप्सिस के पौधे उगाये गए थे. 7 दिसंबर 2018 को चीन ने अपने पहले जैविक अनुसंधान मिशन के अनुरूप चांग ई-4 लूनर अंतरिक्ष यान को बनाया था. 4 जनवरी, 2019 को यान ने अनदेखे हिस्से में सफलतापूर्वक उतरकर एक वैश्विक सफलता हासिल की थी।
वैज्ञानिकों का मानना है की मून पर कठोर परिस्थितियों के प्रयोग के बाद मानव जाति ने सबसे पहले पौधा उगाया है. अंतरिक्ष में मौजूद यान से धरती पर भेजी गई तस्वीर देखने से साफ़-साफ़ पता चलता है की कपास का ये बीज अच्छी तरह से उगा है. शेष सभी पौधों के बीज जैसे के तैसे हैं।
पौधों को उगाने के लिए सबसे पहले बीजों को गोलाकार टिन के कंटेनर में रखा गया. ये सभी कंटेनर तीन किलो भारी और सात इंच लंम्बे थे. इसका डिजाइन चोंगकिंग विश्वविद्यालय के विशेषज्ञों ने किया था.
इन्हे इंसुलेट परतों और एक मिनी एयर कंडीशनिंग सिस्टम से सजाया गया था. 0.8 लीटर वाले इस कंटेनर को विशेष रूप से विकसित एल्यूमीनियम( स्टील ) की धातु से बनाया गया था. बीजों के साथ-साथ कंटेनर में पानी, मिट्टी, एक पोषक तत्व समाधान, हवा, एक छोटा कैमरा और डेटा ट्रांसमिशन सिस्टम जैसे उपकरण लगाए गए थे। पौधों के बढ़ने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाने वाली सूर्य की किरणों के लिए इसमें एक ट्यूब भी लगाई गई थी। जिसके जरिये सूर्य की किरणें इसके अंदर प्रवेश कर सकेंगी।
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