उत्तर भारत में बढ़ते स्मॉग के प्रकोप से बचने के लिए कृषि विशेषज्ञों व अधिकारियों ने धान की पराली का प्रभावी ढंग से निपटान करने के लिए उपाय सुझाए हैं। इसके तहत उन्होंने कटाई वाली कम्बाइनों के साथ सुपर स्ट्रॉ मैनेजमेंट सिस्टम लगाने पर जोर दिया है।
इस संबंध में हाल ही में लुधियाना स्थित पंजाब कृषि विश्वविद्यालय (पीएयू) में कृषि विशेषज्ञों, अग्रणी किसानों व अधिकारियों की एक बैठक हुई। बैठक में इस वर्ष पराली जलाने की वजह से हुई समस्या पर विस्तृत चर्चा की गई। बैठक में पीएयू के वाइय चांसलर डॉ. बी.एस. ढिल्लों ने बताया कि वर्ष 2016 में पीएयू ने सुपर स्ट्रॉ मैनेजमेंट सिस्टम विकसित किया था। इसके बारे में किसानों को जागरूक करने के लिए कृषि विज्ञान केंद्रों व कृषि विभाग के अधिकारियों को आगे आना होगा।
पराली जलाने पर हो पाबंदी
बैठक में उपस्थित वैज्ञानिकों व विषय विशेषज्ञों ने इस बात पर जोर दिया कि पराली जलाने को सख्ती से प्रतिबंधित किया जाए। किसानों ने कहा कि कटाई वाली कम्बाइनों के साथ सुपर स्ट्रॉ मैनेजमेंट सिस्टम को लगाना आवश्यक होगा। साउथ एशिया की बोरलॉग संस्था से आए डॉ. एस.एच. सिद्धू ने कहा कि पराली को खेतों में मिलाने से पर्यावरण को अंसतुलित होने से बचाया जा सकता है। उन्होंने कहा कि धान की सुपर स्ट्रॉ मैनेजमेंट सिस्टम वाली कम्बाइन के साथ कटाई के बाद गेहूँ की सीधी बिजाई के लिए हैप्पी सीडर बहुत ही बेहतरीन तकनीक है।
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